Medieval India – Arab Aakraman
मध्यकालीन भारत – भारत पर अरबों का आक्रमण
भारत और अरब के बीच प्राचीन काल से ही व्यापारिक संबंध रहा है । सातवीं सदी से पूर्व इनका व्यापार भारत के पश्चिमी समुंद्र तटों से होता था ।
अरबों के भारत आक्रमण के विषय में पर्याप्त सूचना 9वीं शताब्दी के बिलादूरी कृत पुस्तक “फुतुल-अल-बलदान” में मिलती है ।
712 ई. में मोहम्मद बिन कासिम ने सिन्ध पर सफल आक्रमण किया । अरब आक्रमण के समय सिन्ध पर दाहिर का शासन था । भारत पर अरब वासियों के आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन- दौलत लूटना तथा इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार करना था ।
मोहम्मद बिन कासिम ने सबसे पहले थट्टा के पास स्थित देवल बंदरगाह को अपने अधीन करना चाहा । ( रावर का युद्ध ) अरबों के विरुद्ध भारतीयों की असफलता का कारण सिन्ध का शासक दाहिर का नकारापन था ।
तुर्क आक्रमण
अरबों के बाद तुर्कों ने एक विशाल मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना के लिए भारत पर आक्रमण किया । तुर्की आक्रमण भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी । इन आक्रमणों ने अपने व्यापक प्रभाव से सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय परिवर्तनों को जन्म दिया ।
महमूद गज़नी ( गजनवी)
- यामिनी वंश का संस्थापक अलप्तगीन था । उसने गजनी को अपनी राजधानी बनाया । अलप्तगीन की मृत्यु के पश्चात कुछ समय तक गज़नी में पिरीतिगीन ने शासन किया । इसी के शासनकाल (972- 977 ई.) में सर्वप्रथम भारत पर आक्रमण किया गया ।
- प्रथम तुर्क आक्रमण के समय पंजाब में शाही वंश का शासन जयपाल शासन कर रहा था ।अलप्तगीन का गुलाम तथा दामाद सुबुक्तगीन 977 ईसवी में गज़नी की गद्दी पर बैठा ।
- महमूद गज़नी सुबुक्तगीन का पुत्र था, जिसका जन्म 1 नवंबर 971 ईसवी में हुआ था । अपने पिता के काल में महमूद गज़नी खुरासान का शासक था ।
- महमूद गज़नी 27 वर्ष की अवस्था में 998 ईसवी में गद्दी पर बैठा । बगदाद का खलीफा अल-आदिर बिल्लाह ने महमूद गज़नी के पद को मान्यता प्रदान करते हुए उसे ‘यमीन-उद्-दौला’ तथा ‘यमीन-ऊल-मिल्लाह’ की उपाधि दी ।
- महमूद गज़नी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया । उसके इस आक्रमण का उल्लेख विद्वान हेनरी इलियट ने किया है ।
महमूद गज़नी द्वारा लड़े गए युद्ध –
- महमूद गजनवी ने भारत पर प्रथम आक्रमण 1000 ई. में किया तथा पेशावर के कुछ भागों पर अधिकार करके वह अपने देश लौट गया ।
- महमूद गज़नी ने 1001 ईस्वी में शाही राजा जयपाल के विरुद्ध आक्रमण किया था । जिसमें जयपाल की पराजय हुई थी एवं आत्मदाह कर लिया ।
- 1005 ई. में भटिण्डा पर आक्रमण किया यहाँ का शासक विजयराज था ।
- महमूद गज़नी ने 1006 ई. में मुल्तान पर आक्रमण किया । वहाँ शिया संप्रदायी करमाथियों का शासक अब्दुल फतह दाऊद था ।
- 1008 ईस्वी में नगरकोट के आनंदपाल के विरुद्ध हमले को मूर्तिवाद के विरुद्ध पहली महत्वपूर्ण जीत बताई जाती है ।
- 1009 ईस्वी में नारायणपुर (अलवर) पर आक्रमण किया, यहाँ का शासक अज्ञात है ।
- 1014 ईस्वी में नंदशाह पर आक्रमण किया गया, यहाँ का शासक त्रिलोचनपाल था ।
- 1018-19 ईस्वी में मथुरा व कन्नोज पर आक्रमण किया , यहाँ पर प्रतिहारों का शासक था ।
- 1019 ईस्वी में कन्नौज पर आक्रमण किया गया, इस समय यहाँ पर चंदेल शासक त्रिलोचनपाल था ।
- 1022 ईस्वी में कालिंजर / ग्वालियर पर आक्रमण किया गया, इस समय यहाँ का शासक चंदेल गंड था ।
- महमूद गज़नी का सबसे चर्चित आक्रमण 1025 ईसवी में सोमनाथ मंदिर (सौराष्ट्र) पर हुआ । उस समय वहाँ का शासक भीम प्रथम था । इस मंदिर की लूट में उसे करीब 20 लाख दीनार की संपत्ति हाथ लगी। सोमनाथ की रक्षा में सहायता करने के कारण अन्हिलवाड़ा के शासक पर महमूद ने आक्रमण किया ।
- सोमनाथ मंदिर लूट कर ले जाने के क्रम में महमूद पर जाटों ने आक्रमण किया था और कुछ संपत्ति लूट ली थी ।
- महमूद गजनी का अंतिम भारतीय आक्रमण 1027 ईसवी में जाटों की विरुद्ध था ।
- ‘सुल्तान’ की उपाधि धारण करने वाला प्रथम शासक महमूद गज़नी था । इसकी सेना में सेवंदराय एवं तिलक जैसे हिन्दू उच्च पदों पर आसीन थे ।
- फारस का कवि उजारी, खुरासानी विद्वान तूसी , महान शिक्षक और विद्वान उन्सूरी तथा विद्वान अस्जदी महमूद के दरबारी कवि थे ।
- महमूद के दरबार में अलबरूनी, फिरदैसी,उत्बी एवं फर्रूखी आदि विद्वान थे । इसी के दरबार में फिरदौसी ने शाहनामा की रचना की । अलबरूनी महमूद के आक्रमण के समय भारत आया जिसकी प्रसिद्ध पुस्तक किताबुल हिन्द तत्कालीन इतिहास जाने का महत्वपूर्ण साधन है । इसमें भारतीय गणित ,इतिहास, भूगोल, खगोल दर्शन आदि की समीक्षा की गई है ।
- महमूद गजनी की मृत्यु 1030 ईस्वी में हो गई ।
गौरी वंश (Gori vansh History in Hindi)
- 12 वीं शताब्दी के मध्य में गोरी वंश का उदय हुआ । गोरी साम्राज्य का आधार उत्तर- पश्चिम अफगानिस्तान था । आरंभ में गोरी गजनी के अधीन था ।
- गोर जो वंश प्रधान था उसका नाम था शंसबनी । मुहम्मद गौरी इसी वंश का था ।
- 1173 ईस्वी में शहाबुद्दीन मुहम्मद गौरी गौर का शासक बना । इसमें भारत पर पहला आक्रमण 1175 ईस्वी में मुल्तान के विरोध किया था । मुहम्मद गौरी का दूसरा आक्रमण 1178 ई. पाटन (गुजरात) पर हुआ । यहाँ का शासक भीम द्वितीय ने गौरी को बुरी तरह परास्त किया ।
मुहम्मद गौरी द्वारा लड़ा गये प्रमुख युद्ध
- तराइन का प्रथम युद्ध 1191 ईस्वी में मुहम्मद गौरी एवं पृथ्वीराज चौहान के मध्य लड़ा गया जिसमें पृथ्वीराज चौहान विजय हुआ ।
- तराइन का द्वितीय युद्ध 1192 ईस्वी में गौरी एवं पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ जिसमें मुहम्मद गौरी की जीत हुई ।
- चन्दावर का युद्ध 1194 ईस्वी में मुहम्मद गौरी तथा कन्नौज के शासक जयचंद के बीच लड़ा गया था, जिसमें मुहम्मद गौरी विजय हुआ था ।
- गौरी की मुख्य सफलता उसकी उत्तर भारत की विजय थी । वास्तव में भारत में तुर्की राज्य की नींव उसी ने डाली ।
- गौरी के सिक्कों पर एक ओर कलमा खुदा रहता था तथा दूसरी ओर लक्ष्मी की आकृति अंकित रहती थी ।
- मुहम्मद गौरी भारत के विजित प्रदेशों पर शासन का भार अपने गुलाम सेनापतियों को सौंपते हुए गजनी लौट गया ।
- 1205 ईस्वी में मुहम्मद गौरी पुन: भारत आया और इस बार उसका मुकाबला खोखरों से हुआ। उसने खोखरों को पराजित कर उनका बुरी तरह कत्ल किया । इस विजय के बाद मुहम्मद गौरी जब वापस गजनी जा रहा था , तो मार्ग में 13 मार्च 1206 को उसकी हत्या कर दी गई ।
- 1206 ईस्वी में गौरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने भारत में नई वंश की नींव डाली, जिसे ‘गुलाम वंश’ कहा गया है ।
इन्हें भी देखें-
- सोलंकी वंश अथवा गुजरात के चालुक्य शासक का इतिहास
- चन्देल वंश का इतिहास
- मालवा का परमार वंश – इतिहास, प्रमुख शासक, वास्तुकला
- चौहान वंश या चाहमान वंश का इतिहास
- गहड़वाल (राठौड़) राजवंश का इतिहास
- राजपूत राजवंशों की उत्पत्ति-गुर्जर प्रतिहार वंश
- सीमावर्ती राजवंशों का उदय – पाल वंश, सेन वंश तथा कश्मीर के राजवंश का इतिहास
- चोल वंश तथा प्रशासन , पल्लव वंश ,चालुक्य वंश तथा दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश
- हर्षवर्धन काल , प्रशासन तथा सांस्कृतिक उपलब्धियां (पुष्यभूति वंश या वर्धन वंश )