Gahadval Rajvansh
राजपूत राजवंशों की उत्पत्ति में हमने पिछली पोस्ट में गुर्जर- प्रतिहार वंश की बात की थी । आज हम कन्नौज के गहड़वाल वंश की बात करेंगे ।
गहड़वाल (राठौड़) राजवंश –
गुर्जर प्रतिहारों साम्राज्य के पतन के बाद कन्नौज तथा बनारस में गहड़वाल वंश का उदय हुआ । गहड़वाल शासकों को “काशी नरेश” के रूप में भी जाना जाता था क्योंकि बनारस इनके राज्य की पूर्वी सीमा के निकट था ।
गहड़वालों का मूल निवास स्थान विन्ध्याचल का पर्वतीय वन प्रान्त माना जाता था ।

गहड़वाल राजवंश के शासक –
चंद्रदेव
🔸गुर्जर प्रतिहारों के बाद चंद्रदेव ने कन्नौज में गहड़वाल वंश की स्थापना कर 1080 से 1100 ई. तक शासन किया ।
🔸इसकी राजधानी वाराणसी (काशी) थी ।
🔸चंद्रदेव ने “महाराजाधिराज” की उपाधि धारण की ।
🔸इन्होंने पाल शासक गोपाल को हराकर कन्नौज पर कब्जा कर लिया था ।
🔸चंद्रदेव में कलचुरी के पतन के बाद 1090 ईस्वी में एक संप्रभु राज्य की स्थापना की ।
🔸चंद्रदेव ने प्रतिहार शासक को हराकर कन्नौज पर अपना अधिकार स्थापित किया और 1100 ई. तक शासन किया ।
मदनपाल या मदनचंद्र
🔸चंद्रदेव का पुत्र मदनपाल (1104- 1114 ई.) को तुर्क आक्रमणकारियों ने कन्नौज पर आक्रमण करके उसे बंदी बना लिया । उसके पुत्र गोविंदचंद्र ने कड़े संघर्ष के बाद उसे मुक्त करवाया ।
गोविंद चंद्र
🔸मदनपाल के बाद उसकी रानी रालहदेवी से उत्पन्न पुत्र गोविंद चंद्र गहड़वाल वंश का शासक बना ।
🔸गोविंद चंद्र गहड़वाल वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा था ।
🔸उसने आधुनिक पश्चिमी बिहार से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक का समस्त भाग अपने अधीन करके कन्नौज के प्राचीन गौरव को पुनः स्थापित किया ।
🔸उसने पालों से मगध जीता तथा मालवा पर अधिकार किया ।
🔸गोविंद चंद्र स्वयं बड़ा विद्वान था । उसे उसके लेखों में ‘विविध विद्याविचार वाचस्पति’ कहा गया है ।
🔸इसका मंत्री लक्ष्मीधर शास्त्रों का प्रकांड पंडित था, जिसने ‘कृत्यकल्पतरु’ नामक ग्रंथ लिखा था ।
🔸गोविंद चंद्र की एक रानी कुमारदेवी ने सारनाथ में धर्मचक्र-जिन विहार बनवायी ।
विजय चंद्र
🔸गोविंद चंद्र के बाद उसका पुत्र विजय चंद्र ने गहड़वाल साम्राज्य का शासक बना ।
🔸विजय चंद्र के शासनकाल में लक्ष्मण सेन ने आक्रमण किया था तथा इस युद्ध में विजय चंद्र हार गया ।
जयचन्द
🔸विजय चंद्र का पुत्र जयचन्द गहड़वाल वंश का अंतिम शक्तिशाली शासक था ।
🔸जयचंद ने देवगिरि के यादव, गुजरात के सोलंकी, और तुर्की को कई बार हराया ।
🔸जयचन्द के राजकवि तथा संस्कृत के प्रख्यात कवि श्रीहर्ष ने इसके शासनकाल में नैशधीयचरित एवं खण्डनखाद्य की रचना की ।
🔸अजमेर के चौहान राजा पृथ्वीराज तृतीय ने स्वयंवर से जयचन्द की पुत्री संयोगिता का अपहरण कर लिया था ।
🔸इस वंश का अंतिम शासक जयचन्द था, जिसे मोहम्मद गौरी ने 1194 ई. के चन्दावर युद्ध में मार डाला ।