गुहिल वंश के शासक

गुहिल वंश के शासक । नरवाहन ,शक्ति कुमार व रणसिंह का इतिहास

राजपूत राजवंशों की उत्पत्ति में आज हम गुहिल वंश के शासक नरवाहन ,शक्ति कुमार व रणसिंह की बात करेंगे । पिछली पोस्ट में हमने गुहिल, बप्पा रावल तथा रावल अल्लट के बारे में पढ़ा था ।

रावल नरवाहन का इतिहास (Rawal Narwahan History in Hindi)

  • अल्लट की मृत्यु के बाद नरवाहन मेवाड़ का शासक बना । इसके समय का शिलालेख (971 ई.) एकलिंग जी में स्थित लकुलीश मंदिर में प्राप्त हुआ है , जिसमें मेवाड़ की राजधानी नागदा को ही बताया गया है ।
  • आहड़ शिलालेख 977 ई. के अनुसार नरवाहन पराक्रमी योग्य, कलाप्रेमी,धीर, विजय का निवास स्थान और क्षत्रियों का क्षेत्र , शश्रुहन्ता ,वैभव निधि तथा विद्या का वेदी था ।
  • नरवाहन शिव का उपासक था ।
  • आहड़ अभिलेख (आटपुर) 977 ई. के अनुसार नरवाहन का विवाह चौहान शासक जेजप की पुत्री से होना बताया गया है ।
  • नरवाहन का उत्तराधिकारी सालिवाहन बहुत कम समय के लिए ही शासन कर पाया ।
  • डॉ. गौरीशंकर हीराचंद ओझा के अनुसार इसके वंशजों ने ही भावनगर , पालिताना , रेवाकाण्ठा एवं राजपीपला में गुहिल वंश का शासन स्थापित किया था ।
  • नरवाहन के बाद से ही मेवाड़ के गुहिलों की शक्ति का पतन होना प्रारंभ होता है ।

रावल शक्ति कुमार का इतिहास ( Rawal Shakti Kumar History in Hindi)

  • सालिवाहन उत्तराधिकारी शक्ति वाहन (शक्ति कुमार) बना , जिसके समय के आटपुर (आहड़) अभिलेख 977 ई. में उसके संबंध में जानकारी प्राप्त होती है ।
  • इसने श्रीपति जो कि नरवाहन का अक्षपटलिक (प्रमुख अमात्य) था, के पुत्र भट्टाट को अक्षपटलिक नियुक्त किया एवं उसके छोटे भाई गुण्डला को वित्त का प्रभारी नियुक्त किया ।
  • 977 ई. हस्तिकुण्डी अभिलेख से ज्ञात होता है कि शक्ति कुमार के शासनकाल में मालवा के परमार शासक ‘मुंज’ (973-995 ई.) ने आटपुर (आहड़) पर आक्रमण कर वहाँ अपना अधिकार कर लिया ।
  • शक्ति कुमार ने हस्तीकुण्डी के राष्ट्रकूट शासक धवल की सहायता से मेवाड़ के कुछ भागों पर पुन: अधिकार कर लिया परंतु आहड़, चित्तौड़, नागदा आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर मूंज का अधिकार हो गया ।
  • मुंज परमार के भतीजे व उत्तराधिकारी ने चित्तौड़ में ‘त्रिभुवन नारायण का शिव मंदिर’ बनवाया , इसे मोकल का समिद्धेश्वर मंदिर कहते हैं ।
  • 11 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक मेवाड़ परमारों के अधीन रहा । इसके बाद चालुक्य राजा सिद्धराज ने परमारों से मालवा व मेवाड़ का काफी क्षेत्र छीन लिया ।
  • शक्ति कुमार का उत्तराधिकारी अंबा प्रसाद एक निर्बल शासक सिद्ध हुआ । वह चौहान शासक वाक्पतिराज के साथ युद्ध में मारा गया । मेवाड़ पर शाकंभरी के चौहानों का अधिपत्य हो गया ।
  • मेवाड़ पर कुछ समय अर्णोराज के पुत्र व चौहान शासक विग्रहराज चतुर्थ का शासन भी रहा था । विग्रहराज की मृत्यु के बाद गुहिलों ने चौहानों से मेवाड़ का शासन छीन कर अपना राज्य पुन: स्थापित किया ।

रणसिंह का इतिहास ( 1158 ई.)

  • गुहिल शासक विक्रम सिंह का पुत्र रणसिंह 1158 ईस्वी में मेवाड़ का शासक बना ।
  • इसे कर्ण सिंह भी कहते हैं ।
  • इतने आहोर की पहाड़ी पर दुर्ग का निर्माण करवाया ।
  • इसके शासनकाल में गुहिल वंश दो शाखाओं में बट गया – (१) रावल शाखा (२) राणा शाखा
  • रणसिंह के पुत्र क्षेमसिंह ने मेवाड़ की रावल शाखा को जन्म दिया, जो मेवाड़ के शासक बने ।
  • रणसिंह के अन्य पुत्र राहप ने ‘सीसोदा ग्राम ‘ की स्थापना कर राणा शाखा की नींव डाली, जो सिसोदे के जागीरदार रहे एवं सिसोदे में रहने के कारण सिसोदिया कहलाये ।
  • क्षेमसिंह , रणसिंह का उत्तराधिकारी बनकर मेवाड़ का शासक बना ।

Leave a Reply

Discover more from GK Kitab

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Scroll to Top