आज हम वागड़ का गुहिल वंश के इतिहास ( Vagad History in Hindi) की बात करेंगे । जिसमें सांमतसिंह से लेकर महारावल उदयसिंह के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।
वागड़ राज्य का इतिहास ( Vagad History in Hindi)
- राजस्थान का दक्षिणी भाग जिसमें बाँसवाड़ा- डूँगरपुर व प्रतापगढ़ का कुछ भाग शामिल है , वागड़ या वाग्वर या वग्गड कहलाता है । वागड़ पर पहले क्षत्रपवंशियों व परमारों का राज्य रहा था ।
- सन् 1177 ई. के लगभग जालौर के चौहान शासक कीर्तिपाल से पराजित होने के बाद मेवाड़ के गुहिल वंश के शासक सामंतसिंह ने मेवाड़ का राज्य छूट जाने पर दक्षिण की तरफ वागड़ में आकर 1178 ई. के आसपास गुहिलवंश के राज्य की स्थापना की एवं वद्रपटक ( बड़ौदा) को अपनी राजधानी बनाया ।
- सामंतसिंह को सोलंकी महाराजा भीमदेव द्वितीय ने वहाँ से निकाल कर वागड़ पर पुन: अधिकार कर लिया और वागड़ का राज्य गुहिलवंशी विजयपाल या उसके पुत्र अमृतपाल को दिया ।
- सामंतसिंह के वंशधर जंयतसिंह ने 1221 ई. के लगभग सोलंकियों को वागड़ से पराजित कर वागड़ पर गुहिल वंश के शासन की पुनर्स्थापना की ।
- सामंतसिंह के वंशज जयतसिंह, सीहड़देव, विजयसिंह देव, देवपाल देव, वीरसिंह देव और भंचुड़ वागड़ के शासक हुए , जिनकी राजधानी बड़ौदा ( वटपद्रक) थी ।
- वीरसिंह ने डूँगरिया भील को पराजित कर डूँगरिया गाँव पर कब्जा कर लिया ।
- भंचुड़ का पुत्र डूँगरसिंह हुआ , जिसने डूँगरपुर कस्बा बसाकर वहाँ वागड़ राज्य की राजधानी स्थापित की ।
रावल प्रतापसिंह –
- डूँगरसिंह का वंशज रावल प्रतापसिंह ( कान्हड़देव का पुत्र ) हुआ , जो पाता रावल के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
- उसने पातेला तालाब और पातेला दरवाजा बनाया और अपने नाम से प्रतापपुर ( पातलपुर) गांव बसाया ।
गोपीनाथ –
- महारावल प्रतापसिंह के बाद उसके पुत्र गोपीनाथ (गजपाल या गेबा) का राज्यारोहण 1426 से पूर्व हुआ ।
- गोपीनाथ ने गुजरात सुल्तान अहमदशाह द्वारा तोड़े हुए सोमनाथ के मंदिर का जीर्णोद्धार कराया ।
- महारावल गोपीनाथ ने डूँगरपुर में गैबसागर झील और गैपपोल नामक दरवाजा बनवाया ।
- महारावल गोपीनाथ का उत्तराधिकारी सोमदास ( सौभदास) बना । इसके समय मांडू के सुल्तान महमूद खिलजी व मालवा के सुल्तान गयासुद्दीन के आक्रमण हुए । सोमदास ने अपने राज्य में पीतल की मूर्तियां बनाने की कला को प्रोत्साहन दिया ।
- सोमदास का उत्तराधिकारी महारावल गंगदास (गांदेव या गांगा) 1480 में डूँगरपुर का स्वामी हुआ । उनकी उपाधि रायरायां महारावल कई शिलालेखों में लिखी हुई मिलती है ।
महारावल उदयसिंह –
- महारावल गंगदास का उत्तराधिकारी महारावल उदयसिंह वागड़ के स्वामी हुए ।
- महारावल उदयसिंह 17 मार्च 1527 को महाराणा साँगा की ओर से लड़ते हुए खानवा के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए ।
- महारावल उदयसिंह के 2 पुत्र थे- पृथ्वीराज व जगमाल । महारावल उदयसिंह की रानी सोनगिरी पन्ना कंवर से पृथ्वीराज उत्पन्न हुए और दूसरी रानी राजकुँवरी से राजकुमार जगमाल हुए ।
- महारावल उदयसिंह ने अपने जीवनकाल में ही वागड़ का बंटवारा डूँगरपुर व बाँसवाड़ा के रूप में कर दिया था ताकि उनके बाद दोनों पुत्रों में वैमनस्य उत्पन्न न हो । अत: उनकी मृत्यु के बाद वागड़ के पश्चिमी भाग ‘डूँगरपुर’ का शासक पृथ्वीराज व वागड़ के पूर्वी भाग ‘बाँसवाड़ा’ का शासक महारावल जगमाल हुआ ।