Uttar Kalin Mughal Samrat

उत्तर कालीन मुगल सम्राट (Uttar Kalin Mughal Samrat) | मुगल साम्राज्य का पतन

Uttar Kalin Mughal Samrat (मुगल साम्राज्य का पतन इन हिंदी)

 3 मार्च, 1707 को अहमदनगर में औरंगजेब की मृत्यु के बाद भारतीय इतिहास में एक नवीन युग का पदार्पण होता है , जिसे ‘उत्तरोत्तर मुगलकाल’ के नाम से जाना जाता है ।

मुगल साम्राज्य का पतन भारतीय इतिहास की एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है । यह घटना मध्यकालीन भारत का अंत कर आधुनिक भारत की नींव डालती है ।

यदुनाथ सरकार , एस आर शर्मा , लीवर पुल जैसे इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब अपनी नीतियों- धार्मिक, राजपूत ,दक्कन आदि के कारण मुगल साम्राज्य के पतन के लिए जिम्मेदार हैं ।

➡ मुगल साम्राज्य के पतन के बारे में यदुनाथ सरकार ने कहा कि ” जब स्वर्ण को ही जंग लग गया, तो लोहा क्या करेगा ।”

सतीशचंद्र , इरफान हबीब , अतहर अली , शीरीन मूसवी आदि इतिहासकार ने मुगल साम्राज्य के पतन को व्यापक संदर्भ में देखते हुए इसके बीज को बाबर के शासनकाल में ही ढूंढ लिया है । इतिहासकारों ने मुगल साम्राज्य के पतन को दीर्घावधिक प्रक्रिया का परिणाम माना है ।

औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात आने वाले 52 वर्षों में 8 सम्राटों ने दिल्ली के सिंहासन पर अधिकार जमाया ।

➡ औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके पुत्रों मुअज्जम , मुहम्मद आजम और मुहम्मद कामबख्श में उत्तराधिकार के लिए युद्ध हुआ ।

➡ औरंगजेब की मृत्यु के समय मुगल साम्राज्य में कुल 21 प्रांत थे , जिसमें मुअज्जम काबुल, मुहम्मद आजम गुजरात और मुहम्मद कामबख्श बीजापुर का सूबेदार था ।

जाजौ में जून 1707 ई. में लड़े गए युद्ध में मुअज्जम की सेनाओं ने मुहम्मद आजम को परास्त कर मुगल शासन पर अधिकार करने का मार्ग प्रशस्त कर लिया ।

➡ उत्तराधिकार युद्ध में गुरु गोविंद सिंह ने मुअज्जम का साथ दिया ।

उत्तर कालीन मुगल शासक :-

बहादुरशाह प्रथम ( 1707-1712 ई.)

  • 1707 में मुअज्जम बहादुरशाह प्रथम की उपाधि के साथ दिल्ली के तख्त पर बैठा । 65 वर्ष की अवस्था में सम्राट बना ।
  • बहादुरशाह प्रथम अपनी शांतिप्रिय नीति और मिलनसार स्वभाव के कारण शाही दरबार के अधिकांश गुटों का सहयोग प्राप्त किया ।
  • बहादुरशाह ने मराठों और राजपूतों के प्रति मैत्रीपूर्ण नीति अपनाई । 1683 में इसने शम्भाजी के पुत्र शाहू आजाद कर दिया ।
  • बहादुरशाह ने औरंगजेब द्वारा लगाए गये जजिया कर की वसूली बंद करवा दी ।
  • सिक्ख नेता बंदाबहादुर के विरुद्ध एक सैन्य अभियान के दौरान 27 फरवरी 1712 ईसवी को बहादुर शाह की मृत्यु हो गई ।
  • सर सिडनी ओवेन ने बहादुरशाह की मृत्यु पर कहा कि “यह अंतिम मुगल सम्राट था जिसके बारे में कुछ अच्छे शब्द कहे जा सकते हैं । इसके पश्चात मुगल साम्राज्य का तीव्रगामी और पूर्ण पतन मुगल सम्राटों की राजनीतिक तुच्छता और शक्तिहीनता का द्योतक था ।”
  • इतिहासकार खफी खां ने कहां की बहादुरशाह राजकीय कार्य में इतना अधिक लापरवाह था कि लोग उसे शाहे बेखबर कहने लगे ।
  • बहादुरशाह को औरंगजेब के मकबरे के आंगन में (औरंगाबाद) दफनाया गया ।
  • बहादुरशाह की मृत्यु के बाद जहांदरशाह अगला मुगल बादशाह बना ।

जहांदरशाह ( 1712-1713 ई.)

  • उत्तराधिकार के युद्ध में बहादुर शाह के योग्य बेटे जहांदरशाह ने अपने भाई अजीम-उश-शान , रफी-उश्शान तथा जहान शाह की हत्या कर मुगल सिंहासन को प्राप्त किया ।
  • जहांदरशाह ने सिंहासन से प्राप्त करने में तत्कालीन शक्तिशाली अमीर जुल्फिकार खां की सहायता ली और इसे बाद में प्रधानमंत्री बनाया ।
  • जहांदरशाह के शासन काल के बारे में खफी खां ने लिखा कि ” नया शासन काल चरणों और गायकों , नर्तकों एवं नाट्य कर्मियों के समस्त वर्गों के लिए बहुत अनुकूल युग था ।”
  • जहांदरशाह अपने शासन में लाल कुमारी नाम की वेश्या को हस्तक्षेप करने का आदेश दे रखा था ।
  • मुगलकालीन इतिहास में सैयद बंधु हुसैन अली खाँ और अब्दुल्ला खाँ को शासक निर्माता के रूप में जाना जाता है ।
  • जहांदरशाह को लंपट मूर्ख भी कहा जाता था ।
  • मुगल साम्राज्य का प्रथम अयोग्य शासक जहांदरशाह था ।
  • जहांदरशाह ने आमेर के राजा सवाई जयसिंह को ‘मिर्जा’ की उपाधि के साथ मालवा का सूबेदार बनाया ।
  • जहांदरशाह ने मारवाड़ के राजा अजीतसिंह को ‘महाराजा’ की उपाधि के साथ गुजरात का सूबेदार बनाया ।
  • अजीमुश्शान के पुत्र फर्रूखसियर ने सैयद बंधुओं के सहयोग से जहांदरशाह को सिंहासन से हटा कर हत्या करवा दी ।

फर्रूखसियर ( 1713-1719 ई.)

  • फर्रूखसियर 1713 ई. में सैयद बंधुओं के सहयोग से सिंहासन पर बैठा ।
  • फर्रूखसियर को मुगल वंश का घृणित कायर कहा गया है ।
  • सिख नेता बंदाबहादुर की हत्या फर्रूखसियर ने की ।
  • अंग्रेजों को मुक्त व्यापार करने का सुनहरा फरमान फर्रूखसियर ने दिया ।
  • सैयद बंधुओं ने मारवाड़ के राजा अजीतसिंह के विरूद्ध सैन्य अभियान कर उसे पराजित किया । अजीत सिंह ने अपनी पुत्री का विवाह फर्रूखसियर से किया था ।
  • 1719 ई. में सैयद बंधुओं ने तत्कालीन मराठा पेशवा बालाजी विश्वनाथ से ‘दिल्ली की संधि’ की ।
  • सैयद बंधुओं ने मराठा पेशवा बालाजी विश्वनाथ , मारवाड़ के अजीत सिंह के सहयोग से 19 जून 1719 को फर्रूखसियर को सिंहासन से हटाकर हत्या करवा दी ।
  • सैयद बंधुओं ने फर्रूखसियर की हत्या कर रफीउद्ददौला को मुगल बादशाह बनाया ।
  • रफीउद्ददौला ‘शाहजहां द्वितीय’ की उपाधि के साथ मुगल राजसिंहासन पर बैठा ।
  • उसके बाद सैयद बंधुओं ने शाहजहां द्वितीय के पुत्र रोशन अख्तर को अगला मुगल बादशाह बनाया ।

मुहम्मदशाह ( 1719-1748 ई.)

  • रोशन अख्तर सैयद बंधुओं के सहयोग से सितंबर 1719 को ‘मुहम्मद शाह’ की उपाधि के साथ मुगल राजसिंहासन पर बैठा ।
  • 1722 ई. में निजामुल मुल्क ने सैयद बंधुओं की हत्या तुरानी सैनिक हैदर बेग से करवा दी ।
  • 1722 ई. में मुहम्मदशाह ने चिनकिलिच खाँ (निजामुल मुल्क) को वजीर के पद पर नियुक्त किया ।
  • 1724 में चिनकिलिच खाँ वजीर का पद छोड़कर दक्कन वापस चला गया और स्वतंत्र हैदराबाद राज्य की स्थापना की । मुहम्मदशाह ने उसे ‘आसफजाह’ की उपाधि प्रदान की ।
  • मुहम्मदशाह के शासनकाल में बंगाल ( मुर्शीद कुली खां) , अवध ( सआदत खां), हैदराबाद (चिनकिलिच खाँ), भरतपुर तथा मथुरा ( बदनसिंह) तथा गंगा-यमुना के दोआब में कटेहर रूहेलों के नेतृत्व में और फर्रूखाबाद के बंगश नवाबों ने अपनी स्वतंत्र सत्ता की स्थापना कर ली ।
  • 1737 में बाजीराव प्रथम के नेतृत्व में मराठा सेनायें शक्ति प्रदर्शन हेतु दिल्ली तक पहुंच गई ।
  • मुहम्मदशाह ने जजिया कर को अंतिम रूप से प्रतिबंधित कर दिया ।
  • सुंदर युवतियों के प्रति अत्यधिक रूझान के कारण मुहम्मदशाह को रंगीला बादशाह कहा जाता था ।
  • मुहम्मदशाह ने संगीतकार के रूप में अनेक ख्यालों की रचना की ।
  • ईरान (फा़रस) के सम्राट नादिरशाह ने 1739 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया । उस समय दिल्ली का शासक मुहम्मद शाह था । नादिरशाह को ईरान का नेपोलियन कहा जाता है ।
  • नादिरशाह लगभग ₹70 करोड़ की राशि और शाहजहां का बनवाया हुआ तख्ते हाउस और कोहिनूर हीरा लेकर फा़रस वापस लौटा ।
  • तख्ते हाउस (मयूर सिंहासन) पर बैठने वाला अंतिम मुगल शासक मुहम्मद शाह था ।
  • मुहम्मदशाह के ही शासनकाल में नादिरशाह के उत्तराधिकारी अहमदशाह अब्दाली ने 1748 ई. में भारत पर आक्रमण किया ।
  • अहमदशाह अब्दाली का वास्तविक नाम अहमद खाँ था । इसने भारत पर 8 बार आक्रमण किया । इसे ‘दुर्रे-दुर्रानी’ (युग का मोती ) कहा गया ।
  • मच्छीवाड़ा के समीप मनूपुर में अब्दाली की सेना को मार्च 1748 में अहमदशाह (मुहम्मदशाह का पुत्र) ने पराजित किया ।
  • 26 अप्रैल 1748 को मुहम्मदशाह की मृत्यु के बाद अगला मुगल बादशाह अहमदशाह हुआ ।

अहमदशाह ( 1748-1754 ई.)

  • अहमदशाह ने अवध के सूबेदार सफदरजंग को अपना वजीर या प्रधानमंत्री नियुक्त किया ।
  • इसने हिजड़ों के सरदार जाबेद खां को ‘नवाब बहादुर’ की उपाधि प्रदान की ।
  • अहमदशाह के समय में अब्दाली ने भारत पर 5 बार आक्रमण (1748 -1759) किया ।
  • अहमदशाह के समय राजमाता उधमबाई के नाम से प्रसिद्ध महिला का प्रशासनिक कार्यों में अत्यधिक हस्तक्षेप था । उसे ‘बिला-ए-आलम’ की उपाधि प्राप्त थी ।
  • मराठा सरदार मल्हारराव के सहयोग से इमादउल मुल्क सफदरजंग को अपदस्थ कर मुगल साम्राज्य का वजीर बन गया ।
  • 2 जून 1754 को वजीर इमादउल मुल्क ने मराठों के सहयोग से अहमदशाह को हटाकर अजीजुद्दीन को आलमगीर द्वितीय की उपाधि के साथ मुगल बादशाह बनाया ।

आलमगीर द्वितीय ( 1754-1759 ई.)

  • आलमगीर द्वितीय अपनी वजीर इमादउल मुल्क का कठपुतली शासक था ।
  • इमादउल मुल्क ने 29 नवंबर 1759 ई. को बादशाह की हत्या कर दी ।

शाहआलम द्वितीय ( 1759-1806 ई.)

  • आलमगीर द्वितीय के बाद अलीगौहर शाहआलम द्वितीय की उपाधि के साथ मुगल बादशाह बना ।
  • अब्दाली ने 1761 में मराठों के साथ पानीपत का तृतीय युद्ध किया ।
  • अब्दाली ने 1767 ई. में भारत पर अंतिम आक्रमण किया ।
  • भारत से वापस आने से पूर्व अब्दाली ने अपने द्वारा जीते गए भारतीय प्रदेशों की सूबेदारी रूहेला सरदार नजीबुद्दौला को सौंप दिया जो मुगल साम्राज्य का मीरबख्शी था ।
  • 1761-1770 ई. के बीच नजीबुद्दौला दिल्ली का सर्वोच्च तानाशाह था ।
  • शाहआलम द्वितीय 1764 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े गये निर्णायक ‘बक्सर के युद्ध’ में बंगाल के नवाब मीर कासिम , अवध के नवाब शुजाउद्दौला का साथ दिया ।
  • बक्सर के युद्ध में अंग्रेजो से पराजित होने के बाद शाहआलम द्वितीय को 1765 ई. को ईस्ट इंडिया कंपनी से इलाहाबाद की सन्धि करनी पड़ी ।
  • 1772 ई. में मराठा सरदार महादेव जी सिंधिया ने पेंशनभोगी शाहआलम द्वितीय को एक बार फिर राजधानी दिल्ली के मुगल सिंहासन पर बैठाया ।
  • शाहआलम द्वितीय के समय में दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार ( 1803 ई.) हो गया ।
  • 1780 ई. में रूहेला सरदार गुलाम कादिर ने सम्राट को अंधा कर दिया तथा 1806 ई. में शाहआलम द्वितीय की हत्या कर दी गई ।

अकबर द्वितीय ( 1806-1837 ई.)

  • शाहआलम द्वितीय की मृत्यु के बाद उसका पुत्र अकबर द्वितीय अगला मुगल बादशाह बना ।
  • अकबर द्वितीय अंग्रेजों के संरक्षण में बनने वाला प्रथम मुगल बादशाह था ।
  • 1837 ई. को अकबर द्वितीय की मृत्यु हो गई ।

बहादुरशाह द्वितीय ( 1837-1862 ई.)

  • अकबर द्वितीय की मृत्यु के बाद बहादुरशाह द्वितीय अंतिम मुगल सम्राट बना ।
  • बहादुरशाह द्वितीय ‘जफर’ के उपनाम से शायरी लिखा करते थे ।
  • 1857 ई. के विद्रोह में भाग लेने के कारण अंग्रेजों द्वारा बहादुरशाह द्वितीय को बंदी बनाकर रंगून भेज दिया , जहां 1862 ई. को बहादुरशाह द्वितीय की मृत्यु हो गई ।
  • लाल किला स्थित हीरा महल बहादुरशाह द्वितीय (जफर) ने बनवाया था ।
  • हयात बक्श बाग लाल किला दिल्ली में स्थित है ।

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