Simple Harmonic Motion in Hindi

सरल आवर्त गति की परिभाषा , विशेषताएँ उदाहरण सहित

आज हम सामान्य विज्ञान में सरल आवर्त गति ( Simple Harmonic Motion in Hindi) तथा सरल लोलक आदि के बारे में जानेंगे, जो आपके आने वाले एग्जाम SSC, RRB, Patwari, आदि में प्रश्न पूछा जाता है ।

Simple Harmonic Motion in Hindi

आवर्त गति किसे कहते हैं ?

  • जब कोई पिंड एक निश्चित समयान्तराल में एक ही निश्चित पथ पर बार-बार अपनी गति को दोहराता है, तो उसकी गति को आवर्त गति ( Periodic Motion) कहते हैं तथा यह निश्चित समयान्तराल आवर्त काल ( Time Period) कहलाता है ।
  • एक सेकंड में वह अपनी गति को जितनी बार दोहराती है, वह उसकी आवर्ती (Frequency) कहलाती है । इसका SI मात्रक हर्ट्ज ( Hz) होता है । यदि आवृत्ति n एवं आवर्तकाल T हो,तो n = 1/T होता है ।

सरल आवर्त गति किसे कहते हैं ?

यदि कोई वस्तु एक सरल रेखा पर मध्यमान स्थिति के इधर-उधर इस प्रकार की गति करें, कि वस्तु का त्वरण मध्यमान स्थिति से वस्तु के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती हो तथा त्वरण की दिशा मध्यमान स्थिति की ओर हो ,तो उसकी गति सरल आवर्त गति कहलाती है ।

सरल आवर्त गति की विशेषताएँ :-

(क) सरल आवर्त गति करने वाला कण अपनी मध्यमान स्थिति से गुजरता है तो –
उस पर कोई बल कार्य नहीं करता है ।

  • उसका त्वरण शून्य होता है ।
  • वेग अधिकतम होता है ।
  • गतिज ऊर्जा अधिकतम होती हैं ।
  • स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है ।

(ख) सरल आवर्त गति करने वाला कण जब अपनी गति के अन्त बिंदुओं से गुजरता है, तो –

  • उसका त्वरण अधिकतम होता है ।
  • उस पर कार्य करने वाला प्रत्यानन बल अधिकतम होता है ।
  • गतिज ऊर्जा शून्य होती हैं ।
  • स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है ।
  • वेग शून्य होता है ।

सरल आवर्त गति का समीकरण :-

यदि किसी क्षण कण की साम्य स्थिति से विस्थापन y हो,तो-

विस्थापन (y) = A sin ωt ( जहाँ A= आयाम,ω = कोणीय वेग)

वेग (v) = du/dt = ω√A²-y²

त्वरण (a) = dv/dt = – ω²y² जहाँ ऋण चिन्ह बताता है, कि त्वरण विस्थापन के विपरीत दिशा में है ।

प्रत्यानन बल ( Restoring Force) किसे कहते हैं ?

  • जब कण अपनी साम्य स्थिति में रहता है, तो उस पर लगने वाला बल शून्य होता है । किंतु जब कण को साम्य स्थिति से विस्थापित कर दिया जाता है , तो उस पर एक ऐसा बल कार्य करने लगता है जो सदैव साम्य स्थिति की ओर दिष्ट होती है । इस बल को प्रत्यानन बल कहते हैं ।
  • इस बल का प्रयास सदैव यही होता है कि कण साम्य स्थिति में आ जाए । इस बल के कारण ही कण में त्वरण उत्पन्न होता है और यह दोलन करती है ।

सरल लोलक ( Simple Pendulum) से कहते हैं ?

  • यदि एक भारहीन व लंबाई में न बढ़ने वाली डोरी के निचले सिर से पदार्थ के किसी गोल परंतु भारी कण को लटकाकर डोरी को किसी दृढ़ आधार से लटका दें, तो इस समायोजन को सरल लोलक कहते हैं ।
  • यदि लोलक को साम्य स्थिति से थोड़ा विस्थापित करके छोड़ दे ,तो इसकी गति सरल आवर्त गति होती है । यदि डोरी की प्रभावी लंबाई l व गुरुत्वीय त्वरण g हो,तो सरल लोलक का आवर्तकाल T = 2π√l/g होता है ।

सरल लोलक के उदाहरण :-

(१) T √l अर्थात् लंबाई बढ़ने पर T भी बढ़ जाता है और यदि लंबाई घट जाए तो T भी घट जाएगा । यही कारण है कि यदि कोई लड़की झूला झूलते- झूलते खड़ी हो जाए तो उसका गुरुत्व केंद्र ऊपर उठ जाएगा और प्रभावी लंबाई घट जाएगी , जिससे झूले का आवर्तकाल घट जाएगा । अर्थात् झूला जल्दी-जल्दी दोलन करेगा ।

(२) आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है ,अत: झूलने वाली लड़की की बगल में कोई दूसरी लड़की आकर बैठ जाए ,तो आवर्तकाल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

(३) T∝ √l/g यानी किसी लोलक घड़ी को पृथ्वी तल से ऊपर या नीचे ले जाया जाए ,तो घड़ी का आवर्तकाल बढ़ जाता है अर्थात् घड़ी सुस्त हो जाती है ,क्योंकि पृथ्वी तल से ऊपर या नीचे जाने पर g का मान कम होता है ।

(४) यदि लोलक घड़ी को उपग्रह को ले जाया जाए तो वहाँ भारहीनता के कारण g=0 ,अत: घड़ी का आवर्तकाल अनन्त हो जाएगा । अत: उपग्रह में लोलक घड़ी काम नहीं करेगी ।

(५) गर्मियों में लोलक की लंबाई बढ़ जाती है , इसलिए उसका आवर्तकाल भी बढ़ जाता है । घड़ी सुस्त हो जाती है । सर्दियों में लंबाई कम हो जाने से आवर्तकाल भी कम हो जाता है और लोलक घड़ी तेज चलने लगती है ।

(६) चंद्रमा पर लोलक घड़ी को ले जाने पर उसका आवर्तकाल बढ़ जाएगा, क्योंकि चंद्रमा पर g का मान पृथ्वी के g के मान का 1/6 गुना है ।

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