Viscosity in Hindi

श्यानता ( Viscosity in Hindi) एवं श्यानता गुणांक

आज हम सामान्य विज्ञान में श्यानता ( Viscosity in Hindi) तथा गुणांक,बरनौली प्रमेय,स्टोक्स का नियम आदि के बारे में जानेंगे, जो आपके आने वाले एग्जाम SSC, RRB, Patwari, आदि में प्रश्न पूछा जाता है ।

श्यान बल ( Viscous Force) किसे कहते है ?

द्रव की विभिन्न परतों के बीच कार्य करने वाले आंतरिक घर्षण बल को श्यान बल कहते हैं ।

श्यानता की परिभाषा :-

  •  द्रव का वह गुण जिसके कारण वह विभिन्न परतों में होने वाली आपेक्षिक गति का विरोध करता है, श्यानता का कहलाता है ।
  •  गैसों की श्यानता द्रवों की श्यानता की तुलना में बहुत कम (लगभग 1/100) होती है । श्यानता तभी कार्यशील होती है जब एक ही पदार्थ की विभिन्न परतों के सापेक्ष गति हो । यही कारण है कि ठोसों में श्यानता नहीं होती ।
  •  द्रवों में श्यानता का कारण द्रव के अणुओं के बीच कार्य करने वाला ससंजक बल है । गैसों में श्यानता का कारण अणुओं की एक परत से दूसरी परत में अणुओं का विसरण है । ताप बढ़ने पर द्रवों श्यानता घट जाती है , परंतु गैसों की श्यानता बढ़ जाती है ।
  •  द्रवों की श्यानता दाब बढ़ने पर बढ़ती है । गैसों की श्यानता पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । एक आदर्श तरल की श्यानता शून्य होती है । व्यवहार में ऐसा द्रव असंभव है,परंतु जल आदर्श द्रव के निकटतम है ।

वेग प्रवणता ( Velocity Gradient )

प्रति एकांक दूरी के लिए आपेक्षिक वेग = dv/dx

यहाँ dv/dx को प्रवाह की लंबवत दिशा में वेग-प्रवणता कहते हैं । वेग-प्रवणता एक सदिश राशि है । वेग-प्रवणता का SI मात्रक s⁻¹ है ।

श्यानता गुणांक ( Coefficient of Viscosity)

किसी तरल की श्यानता को श्यानता गुणांक द्वारा मापा जाता है । किसी द्रव कि 2 परतों के बीच लगने वाला श्यान बल

F = ηA dv/dx ,

जहाँ A= प्रत्येक परत का क्षेत्रफल

dv/dx = वेग-प्रवणता

यदि A=1 ,dv/dx=1 तो η = F

  • अत: किसी द्रव का श्यानता गुणांक उस द्रव के अंदर एकांक क्षेत्रफल वाली दो परतों के बीच कार्य करने वाले श्यान बल (F) के बराबर होती है , जब उन परतों के बीच एकांक वेग-प्रवणता हो ।
  •  श्यानता गुणांक का SI मात्रक डेकाप्वॉइज या प्वॉयजली (PI) कहलाता है । इसे पास्कल सेकण्ड (Pa.s) भी करते हैं । श्यानता गुणांक को प्राय: η (ईटा) द्वारा व्यक्त किया जाता है ।

रेनल्ड्स संख्या ( Reynolds Number)

ऑस्बर्न रेनल्ड्स के अनुसार किसी तरल के क्रांतिक वेग () का मान तरल के श्यानता गुणांक (η) ,तरल के घनत्व (p) तथा नली की त्रिज्या (r) पर निर्भर करता है ।

Vc= Kη/ pr

इस समीकरण में K एक विमाहीन नियंताक है, जिसे रेनल्ड्स संख्या कहा जाता है । संकीर्ण नली के लिए K का मान लगभग 1000 होता है । अत: संकीर्ण नली के लिए,
Vc= 1000η/pr

सीमांत वेग या चरम वेग ( Terminal Velocity)

 जब पिंड पर श्यान बल पिंड के शुद्ध भार के बराबर हो जाता है , तब पिंड पर परिणामी बल शून्य हो जाता है । इसके बाद पिंड श्यान माध्यम में नियत वेग से गिरता है । पिंड के इस नियत वेग को सीमांत वेग कहते हैं ।

उदाहरण :- पैराशूट की सहायता से नीचे उतरता सैनिक सीमांत वेग से पृथ्वी पर उतरता है ।

तरल किसे कहते हैं ?

जिन पदार्थों में बहने का गुण होता है, वे तरल कहलाते हैं । द्रव और गैस दोनों तरल पदार्थ हैं ।

आदर्श तरल किसे कहते हैं ?

 वैसे तरल जिनमें शून्य संपीड्यता एवं शून्य श्यानता का गुण हो, उसे आदर्श तरल कहते हैं ।

शून्य संपीड्यता किसे कहते हैं ?

 यदि तरल को दबाने पर उसके आयतन अथवा घनत्व में कोई परिवर्तन नहीं हो , तो उसे शून्य संपीड्यता या असंपीड्य कहा जाता है । गैसों की अपेक्षा द्रव अधिक असंपीड्य होते हैं ।

आदर्श तरल का प्रवाह :- यह दो प्रकार का होता है । (१) धारा रेखीय प्रवाह (२) विक्षुब्ध प्रवाह

(1) धारा रेखीय प्रवाह ( Streamline Flow)

 जब द्रव का प्रत्येक कण प्रवाह के दौरान उसी बिंदु से गुजरता है, जिस बिंदु से उसके पहले वाला कण गुजरा था तो द्रव के ऐसे प्रवाह को धारारेखीय प्रवाह कहते हैं ।

नोट :- किसी द्रव का प्रवाह धारारेखी तभी तक रहता है जब तक कि उसका वेग एक निश्चित वेग से कम होता है । इस निश्चित वेग को क्रांतिक वेग कहते हैं ।

(2) विक्षुब्ध प्रवाह ( Turbulent Flow)

 जब कोई द्रव इस प्रकार गति करता है कि मार्ग के किसी बिंदु से होकर गुजरने वाली विभिन्न कोणों के वेग भिन्न भिन्न होते हैं ,तो वह विक्षुब्ध प्रवाह कहलाता है ।

नोट :- धारारेखीय प्रवाह तरल के श्यानता गुणांक से निर्धारित होता है और विक्षुब्ध प्रवाह तरल के घनत्व से निर्धारित होता है ।

बरनौली प्रमेय ( Bernoulli’s Theorem)

 बरनौली का प्रमेय तरल गति का मौलिक नियम है और यह तरल गतिज ऊर्जा के संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित है । इस नियम को सर्वप्रथम डेनिएल बरनौल्ली ने 1738ई. में प्रतिपादित किया था ।

 इसके अनुसार किसी असंपीड्य एवं अश्यान तरल के धारारेखी प्रवाह में प्रवाह नली की प्रत्येक काट पर तरल के प्रति एकांक द्रव्यमान अथवा प्रति एकांक आयतन की स्थितिज ऊर्जा , गतिज ऊर्जा एवं दाब का कुल योग अचर रहता है । अर्थात्

p + pgh + 1/2 pv² = नियतांक

h + v²/2g + P/pg = नियतांक (pg से भाग देने पर )

इस समीकरण में h को गुरूत्वीय शीर्ष , v²/2g को वेग शीर्ष तथा P/pg को दाब शीर्ष कहते हैं । इन तीनों के योग को संपूर्ण शीर्ष कहा जाता है ।

अत: बरनौली की प्रमेय को निम्न प्रकार भी कहा जाता है – धारारेखी प्रवाह में किसी आदर्श द्रव के किसी बिंदु पर गुरूत्वीय शीर्ष,दाब शीर्ष तथा वेग शीर्ष का योग नियत रहता है ।

बरनौली प्रमेय के अनुप्रयोग :-

(१) वेन्टुरीमीटर :- यह बरनौली प्रमेय पर आधारित एक ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता से किसी नली में द्रव के प्रवाह की दर ज्ञात की जाती है ।

(२) पिटोट नली :- बरनौली के प्रमेय पर आधारित एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा किसी तरल के प्रवाह का वेग ज्ञात किया जाता है ।

(३) समुंद्र में एक दिशा में एक दूसरे के समांतर गतिमान 2 जलयानों के अधिक निकट आ जाने पर उनके बीच का स्थान संकरा हो जाता है , जिससे वहाँ के जल की जलयानों के सापेक्ष विपरीत दिशा में चाल बहुत अधिक हो जाती हैं ।

(४) तेज आंधी आने पर टीन की छत उड़ जाती है , क्योंकि छत के ऊपर की वायु आंधी के कारण तीव्र गति से बहती है , जिससे छत के ऊपर का दाब कम हो जाता है ।

(५) जब कोई गाड़ी प्लेटफार्म पर तेजी से आती है, तो वहां पर वायु का दाब कम हो जाता है । अत: प्लेटफार्म पर उपस्थित प्रत्येक वस्तु पर दाबान्तर के कारण गाड़ी की और एक धक्का लगता है , जिससे सारा कूड़ा करकट, पत्ते आदि गाड़ी की ओर तेजी से भागने लगते हैं ।

(६) यदि भौतिक तुला के एक पलड़े के नीचे तेजी से हवा बहाते हैं ,तो पलड़े के नीचे दाब कम हो जाने से पलड़ा नीचे झुक जाता है ।

 वेन्टुरीमीटर, बुनसन बर्नर, कार्बन फिल्टर पंप ,मैगनस प्रभाव तथा वायुयान की गति बरनौली प्रमेय पर आधारित है ।

  •  कणिज :- किसी द्रव से छोटी-छोटी बूंदों के रूप में परिवर्तित करता है ।
  •  विसरण :- गुरूत्व के विरुद्ध गैसों के परस्पर एक दूसरे से मिलने की क्रिया को विसरण कहते हैं ।
  •  परासरण :- अर्द्ध पारगम्य झिल्ली द्वारा अलग-अलग दो घोलकों में निम्न सान्द्रता से उच्च सान्द्रता की ओर विसरण को परासरण कहते हैं ।

स्टोक्स का नियम ( Stokes’ Law)

 द्रव की श्यानता मापने में स्टोक्स के नियम का उपयोग किया जाता है । यदि द्रव में गिरने वाले गोले की त्रिज्या r, द्रव का श्यानता गुणांक η तथा गोले का वेग v हो ,तो स्टोक्स के नियम से गोले पर लगने वाला श्यान बल , F = 6πηrv (इसे स्टोक्स बल कहते हैं )

स्टोक्स के नियम के लिए प्रतिबंध :-

(१) तरल का विस्तार अनन्त होना चाहिए ।
(२) तरल माध्यम समांगी एवं श्यान होना चाहिए ।
(३) गोलीय पिंड दृढ़ तथा चिकना होना चाहिए ।
(४) गोलीय पिंड का आकार सूक्ष्म होना चाहिए ।
(५) तरल माध्यम में पिंड का सीमांत वेग तरल के क्रांतिक वेग से कम होना चाहिए ।

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