Rajasthan ki pramukh Havelis

राजस्थान की प्रमुख हवेलियां (Rajasthan ki pramukh Havelis)

आज हम राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों में राजस्थान की प्रमुख हवेलियां (Rajasthan ki pramukh Havelis) की बात करेंगे ।

Havelis of Rajasthan List in Hindi

  • राजस्थान के बड़े सेठ-साहूकारों ने अपने निवास के लिए हवेलियों का निर्माण करवाया । शेखावाटी क्षेत्र की हवेलियां अधिक भव्य एवं कलात्मक है । जैसलमेर जालियों व झरोखों का नगर है ।
  • पालीवाल नामक वाणिज्य करने वाली जाति ने खाभा, काठोड़ी, कुलधर, बासनीपीर, हडडा आदि कलात्मक ग्राम बसाए थे । हवेलियों की नगरी जैसलमेर को कहते हैं ।

1. जैसलमेर की हवेलियाँ

(क) पटवों की हवेली :-

  • जैसलमेर में स्थित इस हवेली में सिन्ध, भारत, मुगल एवं यहूदी स्थापत्य कला का अद्भुत संगम है । 66 झरोखों से युक्त यह हवेलियां निसंदेह कला का सर्वोत्तम उदाहरण है । यह 5 मंजिली हवेली अपनी नक्काशी व पत्थर में बारीक कटाई के लिए प्रसिद्ध है । यह एक हवेली नहीं बल्कि 5 छोटी हवेलियों का समूह है ।
  • इसकी पहली हवेली 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में पटवा गुमानचंद द्वारा बनवाई गई । यह सबसे बड़ी हवेली है । पटवों की हवेली जैसलमेर में सबसे बड़ी हवेली है । ये हवेलियाँ 8-10 फीट ऊँचे चबूतरों पर बनी हुई है । इसमें एक हवेली के ‘दीपघरों’ के शीशों पर ग्वालियर के मराठा शासक महादजी सिंधिया को अंकित किया गया है ।

(ख) सालीम सिंह की हवेली :-

  • जैसलमेर के प्रधानमंत्री सालिमसिंह द्वारा 18वीं सदी में निर्मित के पांच मंजिला हवेली अपनी पत्थर की नक्काशी व महीन जालियों के लिए प्रसिद्ध है । इसके चारों ओर 48 झरोखे व खिड़कियाँ है । इस हवेली के कंगूरों एवं झरोखों पर नाचते हुए मयूर एवं कमल बने हुए हैं । इस हवेली में जैन धर्म से संबंधित कथाएं, चिन्ह, तंत्र व तीर्थकरों की आकृतियों उत्कीर्ण हैं ।
  • इसकी पांचवी मंजिल को मोती महल या जहाज महल कहते हैं । इसका निर्माण सलीम सिंह ने स्वयं अपने लिए कराया था । मोती महल के ऊपर लकड़ी की दो मंजिलें और भी बनाई गई थी जो क्रमश: शीशमहल व रंगमहल कहलाती थी ।

(ग) दीवान नथमल की हवेली :-

19वीं शताब्दी में पीले रंग के पत्थरों से निर्मित पांच मंजिली हवेली का निर्माण महारावल बैरीसाल के समय हुआ । इस हवेली को अनुपम रूप प्रदान करने वाली शिल्पकार ‘हाथी’ व ‘लालू’ थे ।

2. बीकानेर की हवेलियाँ

(क) रामपुरिया परिवार की हवेलियाँ :-

ये हवेलियाँ रामपुरिया मोहल्लों की एक गली में क्रमबद्ध रूप से खड़ी है । इस गली को हवेलियों की गली कहा जाता है । प्रमुख हवेलियाँ –
(१) सेठ भंवरलाल जी रामपुरिया की हवेली
(२) हीरालाल रामपुरिया की हवेली
(३) माणकचंद रामपुरिया की हवेली

अन्य हवेलियाँ :- डागा परिवार की हवेलियाँ , मोहता परिवार की हवेलियां , सेठ चांदमल ढड्ढा की हवेली, रिखजी बागड़ी की हवेली, पूनमचंद जी कोठारी की हवेली, श्री भैरोंदान जी कोठारी की हवेली , चुन्नीलाल जी कोठारी की हवेली , बिन्नाणी चौक की हवेली , लखोटिया चौक की हवेलियाँ , आसणियों के चौक की हवेलियाँ ।

बीकानेर को हजार हवेलियों की नगरी कहा जाता है । बीकानेर की प्रसिद्ध हवेलियां लाल पत्थर से निर्मित है । बीकानेर की सबसे पुरानी हवेली बच्छावतों की हवेली है ।

3. जोधपुर की हवेलियाँ

  • बड़े मियां की हवेली
  • पोकरण की हवेली
  • पाल हवेली
  • राखी हवेली
  • पुष्य हवेली
  • नालचंद ढड्डा की हवेली (फलौदी)
  • 25 हवेली
  • आसोपा की हवेली

4. टोंक की हवेलियाँ

  •  सुनहरी कोठी :- टोंक की सुनहरी कोठी का निर्माण 1824 में नवाब अमीर खाँ पिंडारी द्वारा प्रारंभ किया गया , जो 1834 में उनके पुत्र तथा टोंत के नवाब वजीरूद्दौला खाँ के समय पूर्ण हुआ । यह शीश महल के नाम से जानी जाती थी । इस कोठी को ‘Golden Mansion of Tonk’ कहा जाता है । इस कोठी में स्वर्ण की नक्काशी व चित्रकारी का कार्य नवाब इब्राहिम खाँ ने करवाया , तभी से यह सुनहरी कोठी कहलाती है ।

5. कोटा की हवेलियाँ

  • झाला की हवेली
  • बड़े देवता की हवेली

6. भीलवाड़ा की हवेलियाँ

  • केसरीसिंह बारहठ की हवेली (शाहपुरा)

7. उदयपुर की हवेलियाँ

  • बागोर की हवेली :- उदयपुर में इसका निर्माण मेवाड़ के प्रधानमंत्री श्री अमरचंद बड़वा द्वारा 1751-78 के बीच करवाया गया । इसके निकट पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र स्थित है ।
  • मोहनसिंह जी की हवेली
  • बाफना की हवेली
  • पीपलियाँ की हवेली

8. चित्तौड़गढ़ की हवेलियाँ

  • इस जिले में स्थित सभी हवेलियाँ चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है – भामाशाह की हवेली , सलूंबर ठिकाने की हवेली , रामपुरा ठिकाने की हवेली , जयमल व पत्ता की हवेलियाँ ।

9. जयपुर की हवेलियाँ

  • मथुरा वालों की हवेली (नक्कालों की हवेली)
  • पुरोहित जी की हवेली
  • रत्नाकर भट्ट पूंडरीक की हवेली
  • चूरसिंह की हवेली

10. सीकर की हवेलियाँ

  • बाला-बक्श बियानी की हवेली
  • गोपाल जी सोमाणी की हवेली (इसमें धार्मिक विषयों के छोटे-छोटे चित्र आलागीला पद्धति में अंकित है )

11. लक्ष्मणगढ़ की हवेलियाँ

  • गनेड़िया जी की हवेली
  • सनवतराम चौखाणी की हवेली
  • शिवनारायण मिर्जामल कायला की हवेली
  • बालमुकुंद बंशीधर राठी की हवेली
  • जवाहरमल पंसारी की हवेली
  • रमाविलास सांगरिया हवेली
  • केसरदेव सर्राफ की हवेली
  • मुल्तान चंद केडिया की हवेली
  • शिकारिया भवन
  • जिजोड़ियां हवेली
  • तोलाराम परशुराम पुरिया की हवेली

12. चिड़ावा की हवेलियाँ

  • सैकसरिया जी की हवेली
  • पोद्दारों की हवेली
  • डालमिया जी की हवेली
  • दुलीचंद जी की हवेली (यहाँ आलागीला (टैम्परा) पद्धति के सुंदर चित्ति-चित्र उदाहरण हैं ।)

13. झुंझुनूँ की हवेलियाँ

  • टीबड़ेवाला (तिबरवाला) की हवेली
  • खीचन की हवेली

मोदी की हवेली :- इसे ईश्वरदास मोदी की हवेली व झरोकास की हवेली भी कहते हैं , जो झुंझुनूँ की सबसे प्रसिद्ध हवेलियों में से एक है । यह शताधिक खिड़कियों हेतु प्रसिद्ध है । यह हवेली भित्ति चित्रों और फ्रेस्को के लिए प्रसिद्ध है । मॉडस व्यापारीयों ने इस हवेली का निर्माण किया ।

ईसरदास मोदी की हवेली

14. नवलगढ़ की हवेलियाँ (शेखावाटी की स्वर्ण नगरी)

  • जीवराव जी की हवेली
  • रूप निवास की हवेली
  • जालान की हवेली
  • पौद्दार की हवेली
  • भगेरिया की हवेली
  • भगतों की हवेली
  • आठ हवेली कॉन्प्लेक्स
  • बघेरियों की हवेली
  • चौखानी परिवार की हवेली

15. बिसाऊ की हवेलियाँ

  • नाथूराम पोदार की हवेली
  • सेठ हीराराम-बनारसीलाल की हवेली
  • सीताराम सिगतिया की हवेली

16. मंडावा की हवेलियाँ

  • हनुमान प्रसाद गोयनका की हवेलियाँ
  • सागरमल लाडिया की हवेली
  • रामदेव चौखाणी की हवेली
  • रामनाथ गोयनका की हवेलियाँ

17. चुरू की हवेलियाँ

  • सुराणों की हवामहल (छ: मंजिली सुराणा हवेली जिसमें 1100 दरवाजें एवं खिड़कियां है )
  • रामविलास गोयनका की हवेली
  • मालजी का कमरा
  • मंत्रियों की मोटी हवामहल
  • कोठारी हवेली
  • खेमका व पारखों की हवेलियाँ
  • दानचंद चौपड़ा की हवेली
  • कन्हैयालाल बागला की हवेली

18. फतेहपुर के हवेलियाँ

  • किशोरीलाल जालान की हवेली
  • महावीर प्रसाद गोयनका की हवेली

19. पिलानी की हवेलियाँ

  • डाढाओं की पुरानी हवेली
  • सरावगियों की मंडेलिया जी की हवेली
  • लोयलका की हवेली

20. अलवर की हवेलियाँ

  • ईटाराणा की कोठी :- उत्कृष्ट जाली झरोखों व तोरणनुमा टोडे से युक्त मनोहरी व मेहराबदार छतरियों वाले भवन का निर्माण अलवर महाराजा जयसिंह ने करवाया था ।

21. लाडनूं (नागौर) की हवेलियाँ

  • बैंगानी हवेली
  • इनाणिया हवेली
  • गणपतराय सेठी की हवेली

अन्य हवेलियाँ :-

  • बैजनाथ रूइया की हवेली, पौद्दारों की हवेली ➡ रामगढ़
  • पंसारी की हवेली ➡ श्रीमाधोपुर
  • सूरजमल खेतान की हवेली ➡ सूरतगढ़
  • सोने-चांदी की हवेली महनसर (झुंझुनूँ)

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