आज हम राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों में राजस्थान की प्रमुख बावड़ियाँ (Rajasthan ki pramukh Bavdiya) की बात करेंगे ।

Bavdiya of Rajasthan List in Hindi
1. चाँद बावड़ी (आभानेरी बावड़ी)
▶ बाँदीकुई रेलवे स्टेशन (दौसा) से 8 किलोमीटर दूर साबी नदी के निकट चाँदबावड़ी के नाम से विख्यात आभानेरी बावड़ी का निर्माण आठवीं शती में प्रतिहार निकुंभ राजा चाँद ने करवाया ।
▶ 13 मंजिला यह बावड़ी 100 फी़ट से भी ज्यादा गहरी है , जिसमें भूलभुलैया के रूप में 3500 सीढ़ियाँ है । इसके ठीक सामने प्रसिद्ध हर्षद माता का मंदिर है ।
▶ चाँद बावड़ी , अलूदा की बावड़ी और भांडारेज की बावड़ी को एक रात में बनाया गया । ये तीनों सुरंग से एक दूसरे से जुड़ी हुई है । इस बावड़ी को अंधेरे- उजाले की बावड़ी कहा जाता है ।
▶ अंग्रेजी फिल्म ‘द फॉल’ व हिंदी फिल्मी ‘पहेली’ व ‘भूलभुलैया’ सहित अन्य कई फिल्मों की शूटिंग यहां हो चुकी है ।
2. रानी जी की बावड़ी (बूँदी)
▶ यह बूँदी नगर में स्थित है जो बावड़ियों का सिरमौर है । इस बावड़ी का निर्माण राव राजा अनिरुद्ध सिंह की विधवा रानी नातावनजी ने 18वीं सदी के पूर्वार्द्ध में करवाया था ।
▶ इस बावड़ी की गणना एशिया की सर्वश्रेष्ठ बावड़ियों में की जाती है । इसमें लगे सर्पाकार तोरणों की कलात्मक पच्चीकारी अत्यंत आकर्षक है । बावड़ी की दीवारों में विष्णु के अवतार मत्स्य , कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, इंद्र, सूर्य, शिव, पार्वती और गजलक्ष्मी आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां लगी है ।
3. नीमराणा की बावड़ी (अलवर)
▶ नीमराणा (अलवर) में इस 9 मंजिली बावड़ी का निर्माण राजा टोडरमल ने करवाया था ।
4. हाड़ा रानी की बावड़ी (टोंक)
▶ टोड़ारायसिंह में निर्मित हाड़ा रानी की बावड़ी जल संरक्षण और स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है । इस बावड़ी पर बनी हुई सीढ़ियाँ आभानेरी की चाँद बावड़ी की तरह सुंदर व आकर्षक है ।
▶ बूँदी की राजकुमारी हाड़ी रानी ने लगभग 16 शताब्दी में इस बावड़ी का निर्माण करवाया था । इसके एक और बने अनूठे विश्राम कक्ष अपने आकार ऊँचाई व ठंडक के कारण जाने जाते हैं ।
5. पन्ना मीणा की बावड़ी (जयपुर)
आमेर में स्थित इस बावड़ी का निर्माण 17वीं शताब्दी में मिर्जा राजा जयसिंह के काल में करवाया गया । इसमें एक लघु देवालय भी बनाया गया है ।
6. बाटाडू का कुआँ (बाड़मेर)
‘रेगिस्तान के जलमहल’ के नाम से प्रसिद्ध संगमरमर का बना यह भव्य कुआँ बाड़मेर की बायतु पंचायत समिति क्षेत्र में स्थित है ।
7. भाण्डारेज की बावड़ियाँ (दौसा)
दौसा का भाण्डारेज गाँव प्राचीन कला व संस्कृति की मिसाल है । यहाँ भव्य बावड़ियाँ व कुण्ड स्थित है । इन बावड़ियों को ‘बड़ी बावड़ी’ भी कहते है ।
8. बड़गाँव की बावड़ी (बाराँ)
जयपुर-जबलपुर राजमार्ग पर बड़गाँव (अंता,बाराँ) में स्थित इस बावड़ी का निर्माण कोटा सियासत के तत्कालीन शासक शत्रुसाल की पटरानी जादौण ने करवाया था ।
9. चमना बावड़ी (भीलवाड़ा)
शाहपुर (भीलवाड़ा) में स्थिति और विशाल तीन मंजिली बावड़ी जिसका निर्माण वि.सं. 1800 में महाराजा उम्मेदसिंह प्रथम ने चमना नामक गणिका की इच्छा पर करवाया था ।
10. सीतारामजी की बावड़ी (भीलवाड़ा)
भीलवाड़ा में स्थित इस बावड़ी में एक गुफा बनी हुई है , जिसमें बैठकर रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्तक स्वामी रामचरणजी ने 36000 पदों की रचना की तथा रामस्नेही संप्रदाय की स्थापना की ।
11. अनारकली की बावड़ी (बूँदी)
राव राजा अनिरुद्ध की रानी नाथावती की दासी अनारकली द्वारा वर्तमान छत्रपुरा क्षेत्र (बूँदी) में निर्मित कराई गयी ।
12. वीनौता की बावड़ी (चित्तौड़गढ़ )
चित्तौड़गढ़ की बड़ी सादड़ी तहसील में स्थित इस बावड़ी का निर्माण स्थानीय जागीरदार सूरजसिंह शक्तावत ने करवाया था ।
13. मांगरेज की बड़ी बावड़ी (दौसा)
यह पाँच मंजिली विशाल बावड़ी है । इसका निर्माण यहाँ के शासक दीपसिंह कुम्भाणी और दौलतसिंह कुम्भाणी ने करवाया । यह बावड़ी एक गुप्त सुरंग द्वारा भांडारेज के गढ़ से जुड़ी है ।
14. नौलखा बावड़ी (डूँगरपुर)
महारावल आसकरण की चौहान वंश की रानी प्रेमल देवी ने डूँगरपुर में भव्य नौलखा बावड़ी बनवाई ।
15. केला बावड़ी (डूँगरपुर)
महारावल जसवंतसिंह की राठौड़ रानी गुमान कुँवरी ने यह बावड़ी बनवाई ।
16. डेसा गाँव की बावड़ी (डूँगरपुर)
यह बावड़ी डूंगरसिंह के पुत्र रावल कर्मसिंह की रानी माणक दे ने 23 अक्टूबर 1396 को बनवाई ।
17. झिर की बावड़ी (जयपुर)
जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर झिर गाँव में 3 मंजिली इस बावड़ी का निर्माण बाँसखो के यशस्वी सामंत बुधसिंह कुम्भाणी ने करवाया
18. चाँद बावड़ी (जोधपुर)
राव जोधा की रानी सोनगरी चाँद कुंवरी ने चाँद बावड़ी (जोधपुर) बनवाई , जो चौहान बावड़ी के नाम से प्रसिद्ध है ।
19. दूध बावड़ी (माउंट आबू, सिरोही )
माउंट आबू में अर्बुदा देवी के मंदिर की तलहटी में दूध बावड़ी नामक ऐतिहासिक स्थल है । इस बावड़ी के पानी का रंग दूध के जैसा है ।
अन्य बावड़ियाँ :-
🔸औस्तीजी की बावड़ी ➡ बाराँ
🔸तपसी की बावड़ी ➡ बाराँ
🔸बनेड़ा की चौखी बावड़ी ➡ भीलवाड़ा
🔸बाईराज की बावड़ी ➡ भीलवाड़ा
🔸कालाजी बावड़ी ➡ बूँदी
🔸नारूजी की बावड़ी ➡ बूँदी
🔸गुल्ला की बावड़ी ➡ बूँदी
🔸चंपा बाग की बावड़ी ➡ बूँदी
🔸पठान की बावड़ी ➡ बूँदी
🔸आलूदा की बुबानिया बावड़ी ➡ दौसा
🔸लम्बी बावड़ी (पाताल तोड़) ➡ धौलपुर
🔸चौपड़ा बावड़ी ➡ धौलपुर
🔸बिरदी का कुआँ ➡ झुंझुनूँ
🔸मेड़तणी बावड़ी ➡ झुंझुनूँ
🔸खेतानों की बावड़ी ➡ झुंझुनूँ
🔸जीतमल का जोहड़ा ➡ झुंझुनूँ
🔸तुलस्यानों की बावड़ी ➡ झुंझुनूँ
🔸चेतनदास की बावड़ी ➡ लोहार्गल, झुंझुनूँ
🔸भूत बावड़ी ➡ झुंझुनूँ
🔸तापी बावड़ी ➡ जोधपुर
🔸नैणसी बावड़ी ➡ जोधपुर
🔸हाथी बावड़ी ➡ जोधपुर
🔸एंजन बावड़ी ➡ जोधपुर
🔸पाँचवाँ माँजी की बावड़ी ➡ जोधपुर
🔸सुगन्धा की बावड़ी ➡ जोधपुर
🔸हरबोलाँ की बावड़ी ➡ जोधपुर
🔸गांगा की बावड़ी ➡ जोधपुर
🔸राजलानी बावड़ी ➡ जोधपुर
🔸प्रतापबाव बावड़ी ➡ प्रतापगढ़
🔸धारावती बावड़ी (धारबाई) ➡ सिरोही
🔸मृगा बावड़ी ➡ सिरोही
🔸मंदाकिनी कुंड ➡ अचलगढ़ (सिरोही)
🔸सरडा रानी की बावड़ी ➡ टोडारायसिंह (टोंक)
🔸खारी बावड़ी व फूटी बावड़ी ➡ निवाई (टोंक)
🔸सतबीसदेवरी की बावड़ी ➡ चित्तौड़गढ़
🔸गंगरार बावड़ी ➡ चित्तौड़गढ़
🔸देवरा बावड़ी ➡ बेंगू (चित्तौड़गढ़)
🔸नाथजी/पुरीजी की बावड़ी ➡ बेंगू (चित्तौड़गढ़)
🔸सुनार की बावड़ी ➡ बेंगू ( चित्तौड़गढ़ )
🔸माता जी की बावड़ी ➡ बेंगू (चित्तौड़गढ़)
🔸झालर बावड़ी ➡ बेंगू (चित्तौड़गढ़)
🔸हरामखोर बावड़ी ➡ चित्तौड़गढ दुर्ग
🔸खुरा की बावड़ी ➡ बड़ी सादड़ी (चित्तौड़गढ़)
🔸भारतियों की बावड़ी ➡ गाँधीनगर (चित्तौड़गढ़)
🔸मामादेव कुंड ➡ कुंभलगढ़ (राजसमंद)
🔸हर्षनाथ की बावड़ी ➡ हर्षगिरी (सीकर)
🔸चोर बावड़ी ➡ उदयपुर
🔸रंगमहल की बावड़ी ➡ सूरतगढ़
🔸भीकाजी की बावड़ी ➡ अजमेर
🔸महंत जी की बावड़ी ➡ राजगढ़ (अलवर)
🔸 ब्रह्मबाद बावड़ी ➡ भरतपुर
🔸कच्छवाई कुंड ➡ शाहपुरा (भीलवाड़ा)
🔸फुल बावड़ी ➡ छोटी खाटू (नागौर)