आज हम राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों में राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ (Rajasthan ki pramukh Chatriya in Hindi) की बात करेंगे ।

Chatriya of Rajasthan List in Hindi
राजाओं, श्रेष्ठियाँ , संतों तथा वीर स्त्री पुरूषों के मरणोपरांत बने ये स्मृति स्थल छतरियाँ कहलाती हैं ।
1. जयपुर की छतरियाँ
🔸गैटोर की छतरियाँ :- नाहरगढ़ में स्थित जयपुर के दिवंगत राजाओं की छतरियाँ । केवल सवाई ईश्वरी सिंह की छतरी यहाँ नहीं है ।
🔸सवाई ईश्वरसिंह की छतरी :- जयपुर के सिटी पैलेस परिसर में जयनिवास उद्यान की एक कोने में यह छतरी स्थित है , जो महाराजा सवाई माधोसिंह ने बनवाई ।
🔸राजा मानसिंह प्रथम की छतरी :- यह आमेर से लगभग दो किमी की दूरी पर स्थित है ।
🔸महारानी की छतरी :- रामगढ़ रोड (जयपुर)
🔸खंगारोत की छतरियाँ :- नरायणा (जयपुर)
🔸भारमल की छतरियाँ
🔸कछवाहा शासकों की छतरियाँ
2. जोधपुर की छतरियाँ
🔸जसवंत थड़ा :- शाही स्मारक महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय की याद में उसके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह द्वारा 1899 में सफेद संगमरमर से निर्मित भव्य इमारत । इसे ‘राजस्थान का ताजमहल’ कहा जाता है । यहाँ जोधपुर के शासकों की छतरियाँ भी हैं ।
🔸रानी सूर्य कंवर की छतरी (32 खम्भों की छतरी) :- जोधपुर
🔸सिंघवियों की छतरी (20 खम्भों की छतरी) :- जोधपुर
🔸मामा-भांजे की छतरी :- यह 10 खंभों की छतरी है । यह मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित है । यह छतरी धन्ना गहलोत तथा भीयां चौहान की है । यह आपस में मामा-भांजे थे ।
🔸गोरा धाय की छतरी :- इसमें 6 खम्भे स्थित हैं ।
🔸राठौड़ राजाओं की छतरियाँ :- मंडोर में स्थित पंचकुण्ड नामक स्थान पर स्थित है ।
🔸कीरतसिंह की छतरी :- मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर)। इस छतरी को करोड़ों के कीर्ति धणी की छतरी भी कहा जाता है ।
🔸ब्राह्मण देवताओं की छतरी :- मंडोर में पंचकुण्ड के निकट लाल बुलई पत्थर की छतरी, मेहरानगढ़ दुर्ग के तांत्रिक अनुष्ठान में जिस ब्राह्मण ने आत्म बलिदान दिया , यह छतरी उसे समर्पित है ।
🔸कागा की छतरियाँ :- यहाँ लगभग 150 छतरियाँ बनी हुई है ।
🔸सेनापति की छतरी :- यह छतरी जोधपुर नरेश मानसिंह के सेनापति इंद्रराज सिंघी की है ।
🔸अहाड़ा हिंगोला एवं जैसलमेर रानी की छतरी
🔸अजीत सिंह का देवल :- जोधपुर के मंडोर उद्यान में बना महाराजा अजीत सिंह का देवल स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है , जिसका निर्माण महाराजा अभयसिंह ने प्रारम्भ करवाया था ।
3. बीकानेर की छतरियाँ
🔸देवीकुंड सागर :- यहाँ बीकानेर राजपरिवार की छतरियाँ है । यहाँ राव कल्याणसिंह से लेकर महाराजा डूँगरसिंह तक की छतरियां बनी हुई है । महाराजा राजसिंह की छतरी उल्लेखनीय है , क्योंकि उसमें उसके साथ जल मरने वाले संग्राम सिंह नामक एक व्यक्ति का उल्लेख है । यहाँ महाराजा सूरतसिंह की छतरी का निर्माण महाराजा रत्नसिंह ने करवाया ।
🔸साधु गिरिधापति की छतरी :- कोलायत (बीकानेर)
4. जैसलमेर की छतरियाँ
🔸बड़ा बाग की छतरियाँ :- यहाँ भाटी राजपरिवार की छतरियाँ स्थित है । यहाँ सर्वप्रथम जैसलमेर के शासक रावल जैतसिंह तृतीय की छतरी का निर्माण उनके पुत्र महारावल लूणकरणसिंह ने 1528 ईसवी में करवाया । यहाँ पर भव्य कलात्मक 104 स्मारकों का निर्माण हुआ है ।
5. उदयपुर की छतरियाँ
🔸महाराणा प्रताप की छतरी (8 खम्भों की छतरी ) :- बांडोली (उदयपुर)
🔸आहाड़ की छतरियाँ (महासतियाँ) :- आहाड़ गाँव में गंगोद्भव नामक तीर्थ के निकट मेवाड़ महाराणाओं का श्मशान स्थल है । महाराणा प्रताप के बाद के राणाओं की अंत्येष्टि इसी स्थान पर हुई । महाराणा अमरसिंह प्रथम की छतरी यहाँ स्थित छतरियों में सबसे पुरानी है ।
🔸कपूरबाबा की छतरी :- यह उदयपुर के जगमंदिर महल में स्थित है , जो मुगल सम्राट शाहजहाँ ने बनवाई थी ।
6. चित्तौड़गढ़ की छतरियाँ
🔸रैदास की छतरी :- चित्तौड़गढ़ दुर्ग में मीरां के मंदिर के सामने संत रैदास की छतरी स्थित है । इसमें 8 खम्भे स्थित है ।
7. भीलवाड़ा की छतरियाँ
🔸32 खंभों वाली छतरी (मांडल) :- यह छतरी ‘आमेर के जगन्नाथ कछवाहा’ की स्मृति में शाहजहाँ द्वारा निर्मित है । जगन्नाथ कछवाहा का मांडल में मेवाड़ सेना के विरुद्ध युद्ध में निधन हो गया था ।
🔸राणा सांगा की छतरी :- भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ में मेवाड़ महाराणा संग्रामसिंह (राणा सांगा) की समाधि है । यह 8 खम्भें की छतरी है ।
🔸राजा जोधसिंह की छतरी :- बदनौर (भीलवाड़ा)
🔸गंगाबाई की छतरी :- ग्वालियर के महाराजा महादजी सिंधिया की पत्नी महारानी गंगाबाई की छतरी गंगापुर (भीलवाड़ा) में स्थित है ।
🔸अमरगढ़ की छतरियाँ
8. सवाई माधोपुर की छतरियाँ
🔸रणथम्भौर / न्याय की छतरी :- इसमें 32 खंभे हैं ।
9. बूँदी की छतरियाँ
🔸84 खंभों की छतरी :-
🔸क्षारबाग (केसर बाग) की छतरी
🔸66 खंभों की छतरी :- बूंदी में स्थित हाड़ा शासकों की छतरी ।
🔸सूर्य छतरी :- इस छतरी का निर्माण बूँदी नरेश राव शत्रुशल्य की रानी श्याम कंवरी ने करवाया था ।
10. दौसा की छतरियाँ
🔸लालसोट की छतरी :- 6 खंभों की बनजारों की छतरियाँ ।
🔸राणा सांगा की छतरी :- धूप तलाई (बसवा)
🔸गेटोलाव की छतरी :- दौसा नगर के पास स्थित इस स्थान पर संत दादू के शिष्य सुंदरदास जी की छतरी हैं ।
11. अलवर की छतरियाँ
🔸80 खंभों की छतरी (मूसी महारानी) :- अलवर राज प्रसाद के पिछवाड़े सागर तालाब के किनारे राजा बख्तावर सिंह मूसी महारानी की स्मृति में लाल पत्थर व सफेद संगमरमर से बनी इस दो मंजिली छतरी का निर्माण महाराजा विनय सिंह ने करवाया था । यह छतरी indo-islamic शैली में निर्मित है ।
🔸मिश्र जी की छतरी
🔸राजा बख्तावर सिंह की छतरी
🔸टहला की छतरियाँ :- अलवर जिले के टहला कस्बे की छतरियां मध्यकालीन छतरी निर्माण तथा भित्ति चित्रकला की जीती-जागती प्रतिमाएँ हैं ।
🔸नैड़ा की छतरियाँ :- ये अलवर में सरिस्का वन क्षेत्र में है ।
12. करौली की छतरियाँ
🔸बोहरा की छतरी
🔸पंचवीर की छतरी
🔸गोपाल सिंह की छतरी
13. राजसमंद की छतरियाँ
🔸कुँवर पृथ्वीराज की छतरी (उड़णा राजकुमार)
🔸तँवर नरेश की छतरियाँ , झाला मन्ना की छतरी ➡ हल्दीघाटी
14. अजमेर की छतरियाँ
🔸रूठी रानी की छतरी
🔸आँतेड़ की छतरियाँ :- अजमेर में स्थित दिगंबर जैन संप्रदाय की छतरियाँ ।
🔸संतोष बावला की छतरी :- पुष्कर (अजमेर)
15. कोटा की छतरियाँ
🔸क्षारबाग की छतरी (छत्र विलास )
🔸पद्मापीर की छतरी
16. नागौर की छतरियाँ
🔸अमरसिंह राठौड़ की छतरी (16 खंभों) :- नागौर में झड़ा तालाब में 16 कलात्मक खम्भों की वीरवर राव अमर सिंह राठौड़ की छतरी स्थित है ।
🔸लाछा गुजरी की छतरी
🔸सिंधिया जनरल अप्पाजी छतरी (ताऊसर)
🔸बड़ली में नाथों की छतरी
17. हनुमानगढ़ की छतरियाँ
🔸राव जैतसी की छतरी
18. झुँझुनूँ की छतरियाँ
🔸राव शेखा की छतरी :- परशामपुरा (नवलगढ़)
🔸ठाकुर शार्दूलसिंह की छतरी :- नवलगढ़
अन्य छतरियाँ :-
🔸आनंद सागर झील की छतरियाँ :- तेजपुर (बाँसवाड़ा)
🔸थानेदार नाथूसिंह की छतरी (शाहबाद, बाराँ ) :- थानेदार नाथूसिंह ने 20 सितंबर 1932 को डाकुओं से मुकाबला किया । उनकी स्मृति में कोटा महाराव उम्मेदसिंह ने इस छतरी का निर्माण करवाया ।
🔸टकडै़तों की छतरियाँ :- चुरू
🔸महाराव बैरिसाल की छतरी :- सिरोही में सारणेश्वर मंदिर के नजदीक स्थित दूधिया तालाब के किनारे महाराव बैरिसाल की छतरी स्थित है ।
🔸कान्हा नरूका की छतरी (मायला कुंड , निवाई ,टोंक)
🔸संग्रामसिंह झिलाय की छतरी (निवाई ,टोंक)
🔸खंडेराव की छतरी (भरतपुर )
🔸रसिया छतरी (टोंक)