Rajasthan ki pramukh Chatriya

राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ | Rajasthan ki pramukh Chatriya

आज हम राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों में राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ (Rajasthan ki pramukh Chatriya in Hindi) की बात करेंगे ।

Chatriya of Rajasthan List in Hindi

राजाओं, श्रेष्ठियाँ , संतों तथा वीर स्त्री पुरूषों के मरणोपरांत बने ये स्मृति स्थल छतरियाँ कहलाती हैं ।

1. जयपुर की छतरियाँ

  • गैटोर की छतरियाँ :- नाहरगढ़ में स्थित जयपुर के दिवंगत राजाओं की छतरियाँ । केवल सवाई ईश्वरी सिंह की छतरी यहाँ नहीं है ।
  • सवाई ईश्वरसिंह की छतरी :- जयपुर के सिटी पैलेस परिसर में जयनिवास उद्यान की एक कोने में यह छतरी स्थित है , जो महाराजा सवाई माधोसिंह ने बनवाई ।
  • राजा मानसिंह प्रथम की छतरी :- यह आमेर से लगभग दो किमी की दूरी पर स्थित है ।
  • महारानी की छतरी :- रामगढ़ रोड (जयपुर)
  • खंगारोत की छतरियाँ :- नरायणा (जयपुर)
  • भारमल की छतरियाँ
  • कछवाहा शासकों की छतरियाँ

2. जोधपुर की छतरियाँ

  • जसवंत थड़ा :- शाही स्मारक महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय की याद में उसके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह द्वारा 1899 में सफेद संगमरमर से निर्मित भव्य इमारत । इसे ‘राजस्थान का ताजमहल’ कहा जाता है । यहाँ जोधपुर के शासकों की छतरियाँ भी हैं ।
  • रानी सूर्य कंवर की छतरी (32 खम्भों की छतरी) :- जोधपुर
  • सिंघवियों की छतरी (20 खम्भों की छतरी) :- जोधपुर
  • मामा-भांजे की छतरी :- यह 10 खंभों की छतरी है । यह मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित है । यह छतरी धन्ना गहलोत तथा भीयां चौहान की है । यह आपस में मामा-भांजे थे ।
  • गोरा धाय की छतरी :- इसमें 6 खम्भे स्थित हैं ।
  • राठौड़ राजाओं की छतरियाँ :- मंडोर में स्थित पंचकुण्ड नामक स्थान पर स्थित है ।
  • कीरतसिंह की छतरी :- मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर)। इस छतरी को करोड़ों के कीर्ति धणी की छतरी भी कहा जाता है ।
  • ब्राह्मण देवताओं की छतरी :- मंडोर में पंचकुण्ड के निकट लाल बुलई पत्थर की छतरी, मेहरानगढ़ दुर्ग के तांत्रिक अनुष्ठान में जिस ब्राह्मण ने आत्म बलिदान दिया , यह छतरी उसे समर्पित है ।
  • कागा की छतरियाँ :- यहाँ लगभग 150 छतरियाँ बनी हुई है ।
  • सेनापति की छतरी :- यह छतरी जोधपुर नरेश मानसिंह के सेनापति इंद्रराज सिंघी की है ।
  • अहाड़ा हिंगोला एवं जैसलमेर रानी की छतरी
  • अजीत सिंह का देवल :- जोधपुर के मंडोर उद्यान में बना महाराजा अजीत सिंह का देवल स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है , जिसका निर्माण महाराजा अभयसिंह ने प्रारम्भ करवाया था ।

3. बीकानेर की छतरियाँ

  • देवीकुंड सागर :- यहाँ बीकानेर राजपरिवार की छतरियाँ है । यहाँ राव कल्याणसिंह से लेकर महाराजा डूँगरसिंह तक की छतरियां बनी हुई है । महाराजा राजसिंह की छतरी उल्लेखनीय है , क्योंकि उसमें उसके साथ जल मरने वाले संग्राम सिंह नामक एक व्यक्ति का उल्लेख है । यहाँ महाराजा सूरतसिंह की छतरी का निर्माण महाराजा रत्नसिंह ने करवाया ।
  • साधु गिरिधापति की छतरी :- कोलायत (बीकानेर)

4. जैसलमेर की छतरियाँ

  • बड़ा बाग की छतरियाँ :- यहाँ भाटी राजपरिवार की छतरियाँ स्थित है । यहाँ सर्वप्रथम जैसलमेर के शासक रावल जैतसिंह तृतीय की छतरी का निर्माण उनके पुत्र महारावल लूणकरणसिंह ने 1528 ईसवी में करवाया । यहाँ पर भव्य कलात्मक 104 स्मारकों का निर्माण हुआ है ।

5. उदयपुर की छतरियाँ

  • महाराणा प्रताप की छतरी (8 खम्भों की छतरी ) :- बांडोली (उदयपुर)
  • आहाड़ की छतरियाँ (महासतियाँ) :- आहाड़ गाँव में गंगोद्भव नामक तीर्थ के निकट मेवाड़ महाराणाओं का श्मशान स्थल है । महाराणा प्रताप के बाद के राणाओं की अंत्येष्टि इसी स्थान पर हुई । महाराणा अमरसिंह प्रथम की छतरी यहाँ स्थित छतरियों में सबसे पुरानी है ।
  • कपूरबाबा की छतरी :- यह उदयपुर के जगमंदिर महल में स्थित है , जो मुगल सम्राट शाहजहाँ ने बनवाई थी ।

6. चित्तौड़गढ़ की छतरियाँ

  • रैदास की छतरी :- चित्तौड़गढ़ दुर्ग में मीरां के मंदिर के सामने संत रैदास की छतरी स्थित है । इसमें 8 खम्भे स्थित है ।

7. भीलवाड़ा की छतरियाँ

  • 32 खंभों वाली छतरी (मांडल) :- यह छतरी ‘आमेर के जगन्नाथ कछवाहा’ की स्मृति में शाहजहाँ द्वारा निर्मित है । जगन्नाथ कछवाहा का मांडल में मेवाड़ सेना के विरुद्ध युद्ध में निधन हो गया था ।
  • राणा सांगा की छतरी :- भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ में मेवाड़ महाराणा संग्रामसिंह (राणा सांगा) की समाधि है । यह 8 खम्भें की छतरी है ।
  • राजा जोधसिंह की छतरी :- बदनौर (भीलवाड़ा)
  • गंगाबाई की छतरी :- ग्वालियर के महाराजा महादजी सिंधिया की पत्नी महारानी गंगाबाई की छतरी गंगापुर (भीलवाड़ा) में स्थित है ।
  • अमरगढ़ की छतरियाँ

8. सवाई माधोपुर की छतरियाँ

  • रणथम्भौर / न्याय की छतरी :- इसमें 32 खंभे हैं ।

9. बूँदी की छतरियाँ

  • 84 खंभों की छतरी :-
  • क्षारबाग (केसर बाग) की छतरी
  • 66 खंभों की छतरी :- बूंदी में स्थित हाड़ा शासकों की छतरी ।
  • सूर्य छतरी :- इस छतरी का निर्माण बूँदी नरेश राव शत्रुशल्य की रानी श्याम कंवरी ने करवाया था ।

10. दौसा की छतरियाँ

  • लालसोट की छतरी :- 6 खंभों की बनजारों की छतरियाँ ।
  • राणा सांगा की छतरी :- धूप तलाई (बसवा)
  • गेटोलाव की छतरी :- दौसा नगर के पास स्थित इस स्थान पर संत दादू के शिष्य सुंदरदास जी की छतरी हैं ।

11. अलवर की छतरियाँ

  • 80 खंभों की छतरी (मूसी महारानी) :- अलवर राज प्रसाद के पिछवाड़े सागर तालाब के किनारे राजा बख्तावर सिंह मूसी महारानी की स्मृति में लाल पत्थर व सफेद संगमरमर से बनी इस दो मंजिली छतरी का निर्माण महाराजा विनय सिंह ने करवाया था । यह छतरी indo-islamic शैली में निर्मित है ।
  • मिश्र जी की छतरी
    राजा बख्तावर सिंह की छतरी
  • टहला की छतरियाँ :- अलवर जिले के टहला कस्बे की छतरियां मध्यकालीन छतरी निर्माण तथा भित्ति चित्रकला की जीती-जागती प्रतिमाएँ हैं ।
  • नैड़ा की छतरियाँ :- ये अलवर में सरिस्का वन क्षेत्र में है ।

12. करौली की छतरियाँ

  • बोहरा की छतरी
  • पंचवीर की छतरी
  • गोपाल सिंह की छतरी

13. राजसमंद की छतरियाँ

  • कुँवर पृथ्वीराज की छतरी (उड़णा राजकुमार)
  • तँवर नरेश की छतरियाँ , झाला मन्ना की छतरी ➡ हल्दीघाटी

14. अजमेर की छतरियाँ

  • रूठी रानी की छतरी
  • आँतेड़ की छतरियाँ :- अजमेर में स्थित दिगंबर जैन संप्रदाय की छतरियाँ ।
  • संतोष बावला की छतरी :- पुष्कर (अजमेर)

15. कोटा की छतरियाँ

  • क्षारबाग की छतरी (छत्र विलास )
  • पद्मापीर की छतरी

16. नागौर की छतरियाँ

  • अमरसिंह राठौड़ की छतरी (16 खंभों) :- नागौर में झड़ा तालाब में 16 कलात्मक खम्भों की वीरवर राव अमर सिंह राठौड़ की छतरी स्थित है ।
  • लाछा गुजरी की छतरी
  • सिंधिया जनरल अप्पाजी छतरी (ताऊसर)
  • बड़ली में नाथों की छतरी

17. हनुमानगढ़ की छतरियाँ

  • राव जैतसी की छतरी

18. झुँझुनूँ की छतरियाँ

  • राव शेखा की छतरी :- परशामपुरा (नवलगढ़)
  • ठाकुर शार्दूलसिंह की छतरी :- नवलगढ़

अन्य छतरियाँ :-

  • आनंद सागर झील की छतरियाँ :- तेजपुर (बाँसवाड़ा)
  • थानेदार नाथूसिंह की छतरी (शाहबाद, बाराँ ) :- थानेदार नाथूसिंह ने 20 सितंबर 1932 को डाकुओं से मुकाबला किया । उनकी स्मृति में कोटा महाराव उम्मेदसिंह ने इस छतरी का निर्माण करवाया ।
  • टकडै़तों की छतरियाँ :- चुरू
  • महाराव बैरिसाल की छतरी :- सिरोही में सारणेश्वर मंदिर के नजदीक स्थित दूधिया तालाब के किनारे महाराव बैरिसाल की छतरी स्थित है ।
  • कान्हा नरूका की छतरी (मायला कुंड , निवाई ,टोंक)
  • संग्रामसिंह झिलाय की छतरी (निवाई ,टोंक)
  • खंडेराव की छतरी (भरतपुर )
  • रसिया छतरी (टोंक)

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