राजस्थान के जल संसाधन: नदियाँ एवं झीलें ( Rajasthan ki nadiya ,River,Dam,Lakes)
विश्व की अधिकांश सभ्यताएं नदियों के किनारे ही पनपी है , जिसका मुख्य कारण वहां नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से भूमि का अधिक उपजाऊ होना था । राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है तथा भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.43 % भाग धारण करता हैं जबकि यहाँ 1% जल उपलब्ध है ।
Rajasthan Ki Nadiya Notes In Hindi
राजस्थान की अधिकांश नदियाँ बरसाती नदियाँ हैं । लूनी, बनास, चंबल ,माही ,बाणगंगा ,कोठारी ,बेड़च आदि प्रदेश की मुख्य नदियाँ हैं । अरावली पर्वत श्रृंखला प्रदेश की अपवाह प्रणाली (नदियों) को निम्न तीन भागों में विभाजित करती हैं –
(1) बंगाल की खाड़ी में जल ले जाने वाली नदियाँ :
चंबल ,बनास ,कालीसिंध ,पार्वती, बाणगंगा ,खारी, बेड़च, गंभीर आदि नदियाँ अरावली के पूर्वी भाग में विद्यमान है । इनमें से कुछ नदियों का उद्गम स्थल अरावली का पूर्वी ढाल तथा कुछ का मध्य प्रदेश का विन्ध्याचल पर्वत है ।
(2) अरब सागर में जल ले जाने वाली नदियां :
माही ,सोम ,जाखम, साबरमती ,पश्चिमी बनास, लूनी आदि । पश्चिमी बनास व लूनी नदी गुजरात में कच्छ के रन में विलुप्त हो जाती है ।
(3) अतः प्रवाहित नदियाँ :
इसके अलावा कुछ छोटी नदियाँ राज्य में अपने प्रवाह क्षेत्र में ही विलुप्त हो जाती है तथा इनका जल समुद्र तक नहीं जा पाता, इन्हें आंतरिक जल प्रवाह की नदियाँ कहा जाता है । ये नदियाँ है – काकनी, काँतली, साबी, घग्घर, बांडी, रुपनगढ़ , मेघा, आदि ।
राज्य की नदियों का क्षेत्रवार वर्गीकरण : –
(1) उत्तरी व पश्चिमी राजस्थान : लूनी, जवाई, खारी सुकड़ी, बाण्डी, सागी, जोजड़ी, घग्गर ,काँतली,काकनी,
(2) दक्षिणी पश्चिमी राजस्थान : पश्चिमी बनास, साबरमती ,वाकल ,सेई
(3) दक्षिणी राजस्थान : माही ,सोम ,जाखम ,अनास, मोंरेन
(4) दक्षिणी- पूर्वी राजस्थान : चंबल, कुन्नू ,पार्वती, कालीसिंध ,कुराल,आहू,नेवज,परवन,मेज,आलनिया,चाकण,छोटी काली सिंध ,बामनी,बनास,बेड़च, गंभीरी,कोठारी,खारी,माशी,मोरेल,कालीसिल,डाई,सोहादरा,ढील
(5) पूर्वी राजस्थान : साबी,मेन्था,रूपनगढ़,बाणगंगा,रूपारैल,गंभीर,पार्वती
????राजस्थान में आंतरिक प्रवाह की नदियां लगभग 60% है ।
????भू-जल बोर्ड का प्रधान कार्यालय जोधपुर में स्थापित है ।
????पश्चिमी राजस्थान की सबसे बड़ी अपवाह वाली नदी लूनी है ।
????चूरू व बीकानेर में कोई नदी नहीं है ।
राजस्थान की प्रमुख नदियाँ (rajasthan ki nadiya )
चंबल नदी | |
????चंबल नदी को राजस्थान की कामधेनु व चर्मण्वती के नाम से जानते हैं ।
????चंबल नदी का उदगम मध्य प्रदेश में महू के निकट जानापाव की पहाड़ियों से होता है जो कि विंध्य पर्वत श्रेणी का भाग है । ????यह नदी चौरासीगढ़ (चित्तौड़गढ़) के निकट राजस्थान में प्रवेश करती है । ????यह नदी चित्तौड़गढ़ ,कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर ,करौली, धौलपुर में बहती हुई उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के मुरादगंज के निकट यमुना में मिल जाती है । ????चंबल नदी की कुल लंबाई 1051 किलोमीटर है । ????राज्य को सर्वाधिक सतही जल चंबल नदी से ही प्राप्त होता है तथा बीहड़ भी सर्वाधिक इसी नदी क्षेत्र में है । ????चित्तौड़गढ़ जिले में भैंसरोडगढ़ के निकट चुलिया प्रपात का निर्माण करती है । ????राजस्थान में इसकी सहायक नदियाँ- कालीसिंध ,बनास, बामनी, मेंजा, पार्वती ,कुराल,परवन ????कोटा जिले में पाली नामक स्थान पर पार्वती तथा नोनेरा नामक स्थान पर कालीसिंध तथा रामेश्वर नामक स्थान पर बनास नदी मिलती है । ????चंबल नदी पर चार बाँध बनाए गए हैं – |
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बनास नदी | |
????इस नदी को वन की आशा भी कहा जाता है ।
????बनास नदी का उद्गम स्थान राजसमंद में कुंभलगढ़ के निकट खमनौर की पहाड़ियां है । ????बनास नदी की लंबाई लगभग 512 किलोमीटर है तथा यह पूर्णत: राज्य में बहने वाली सबसे लंबी नदी है । ????यह राजस्थान में राजसमंद, चित्तौड़गढ़ ,टोंक ,भीलवाड़ा व सवाई माधोपुर जिलों में बहने के पश्चात रामेश्वर नामक स्थान पर चंबल नदी में मिल जाती है । ????बनास नदी पर टोंक जिले में बीसलपुर बाँध बनाया गया है । ????सहायक नदियाँ:– (1) दायीं तरफ से – बेड़च व मेनाल |
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बेड़च नदी | |
????बेड़च नदी का प्राचीन नाम आयड़ नदी है । इस नदी का उद्गम उदयपुर के उत्तर में गोगुंदा की पहाड़ियों से होता है ।
????उदयपुर के निकट यह नदी आयड़ के नाम से जानी जाती है किंतु उदय सागर से निकलने के पश्चात इसका नाम बेड़च हो जाता है । ????यह नदी उदयपुर, चित्तौड़गढ़ में बहती हुई भीलवाड़ा में मांडलगढ़ तहसील में बींगोद के निकट बनास नदी में मिल जाती है । ????इसी नदी के किनारे प्राचीन सभ्यता ‘आहड़ सभ्यता’ मिली है । ????सहायक नदियाँ:– गंभीरी, गुजरी,ओराई,वागन |
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कालीसिंध नदी | |
????देवास (मध्य प्रदेश) के पास बांगली गांव की पहाड़ियों से निकलकर यह नदी झालावाड़ में रायपुर के निकट बिन्दा गांव में राजस्थान में प्रवेश करती है ।
????यह नदी झालावाड़ ,बाराँ तथा कोटा के नानेरा ग्राम के समीप चंबल में मिल जाती है । ????सहायक नदियाँ:- आहू ,परवन,निवाज, उजाड़ |
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बाणगंगा नदी | |
????इस नदी को अर्जुन गंगा भी कहा जाता है । इसकी कुल लंबाई 240 किलोमीटर है ।
????इस नदी का उद्गम जयपुर जिले की बैराठ की पहाड़ियों से होता है । ????जयपुर में पेयजल के लिए इस पर जमवा रामगढ़ बाँध बना हुआ है । ????यह जयपुर ,दौसा व भरतपुर में बहकर आगरा में यमुना में मिल जाती है । ????उसकी सहायक नदी गंभीरी नदी है । |
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खारी नदी |
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????यह राजसमंद में देवगढ़ तहसील के विजराल ग्राम की पहाड़ियों से निकलती है तथा राजसमंद ,भीलवाड़ा, अजमेर व टोंक में बहकर देवली के निकट बनास में मिल जाती है ।
????मानसीं इसकी सहायक नदी है । |
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पार्वती नदी |
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????पार्वती नदी मध्य प्रदेश में विंध्य पर्वत श्रेणी में सेहोर क्षेत्र से निकलकर राजस्थान में यह बाराँ के छतरपुरा गाँव में प्रवेश करती है ।
????यह नदी बाराँ व कोटा में बहती हुई सवाई माधोपुर व कोटा सीमा पर पाली गांव के निकट चंबल में मिल जाती है । |
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गंभीर नदी |
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????यह करौली जिले के सपोटरा तहसील की पहाड़ियों से निकलती है ।
????यह करौली, सवाई माधोपुर, व भरतपुर में बहकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है तथा पुन: यह नदी धौलपुर में बहकर उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में यमुना में मिल जाती है । ????सहायक नदियाँ – पाँचना,सेसा,खेर,पार्वती |
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कोठारी नदी |
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????राजसमंद जिले के दिवेर नामक स्थान से निकलती है तथा भीलवाड़ा जिले में बनास में मिल जाती है ।
????इस नदी पर मेजा बाँध बनाया गया है जो भीलवाड़ा जिले को पेयजल उपलब्ध करवाता है । |
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लूनी नदी |
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????अरावली श्रेणी के नाग पहाड़ (अजमेर) से निकलकर कच्छ के रण में गिरती है ।
????लूनी नदी का प्राचीन नाम लवणवती है । ????यह अजमेर से निकलकर दक्षिणी पश्चिमी राजस्थान नागौर, पाली, जोधपुर ,बाड़मेर, जालौर में बहकर कच्छ के रण में जाकर विलुप्त होती है । इस के उद्गम स्थल पर इसको सागरमती, फिर सरस्वती और बाद में लूनी कहते हैं । ????लूनी नदी का जल बालोतरा तक मीठा है लेकिन इसके बाद जल खारा हो जाता है । ????जोधपुर के जसवंत सागर बाँध में पानी की आपूर्ति लूनी नदी से होती है । ????सहायक नदियाँ – लीलड़ी, सुकड़ी, बांडी, मीठड़ी , जवाई आदि तथा दाई ओर से मिलने वाली एकमात्र सहायक नदी जोजड़़ी है । |
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माही नदी |
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????माही नदी मध्य प्रदेश के अममोरू जिले में विन्ध्याचल की पहाड़ी से निकलती है ।
????इसे आदिवासियों की गंगा, वागड़ की गंगा ,कांठल की गंगा तथा दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा कहते हैं । ????यह नदी बांसवाड़ा जिले के खांटू ग्राम से राजस्थान में प्रवेश करती है । ????राजस्थान की दूसरी बारहमासी नदी है । इसकी कुल लंबाई 576 किलोमीटर है । ????यह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है । ????बाँसवाड़ा के बोरखेड़ा ग्राम के पास इस पर माही बजाज सागर बाँध बनाया गया है । ????सहायक नदियाँ- सोम, जाखम ,अनास आदि । |
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साबरमती नदी |
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????उदयपुर के दक्षिणी पश्चिमी से निकलकर उदयपुर एवं सिरोही जिलों में प्रवाहित होकर गुजरात में प्रवेश कर खंभात की खाड़ी में गिरती है ।
????यह गुजरात की मुख्य नदी है । ????राजस्थान में इस नदी का अपवाह क्षेत्र न्यूनतम है । ????गुजरात का अहमदाबाद शहर इसी नदी के किनारे स्थित है तथा महात्मा गांधी का साबरमती आश्रम भी इसी नदी पर है । ????सहायक नदियाँ – बाकल,हथमति,मेश्वा |
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घग्गर नदी |
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????इस नदी को मृत नदी भी कहते हैं ।
????इस नदी का उद्गम हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों से कालका नामक स्थान से होता है । ????राजस्थान में यह हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी तहसील के तलवाड़ा गांव के पास प्रवेश कर हनुमानगढ़ में बहती हुई भटनेर के पास विलुप्त हो जाती है । ????घग्गर नदी का प्राचीन नाम सरस्वती/ द्वषद्वती है । ????राजस्थान की प्राचीन सभ्यता कालीबंगा इसी नदी के किनारे विकसित हुई थी । ????घग्गर नदी के पाट को हनुमानगढ़ में नाली के नाम से जाना जाता है । ????बाढ़ आने पर इसका प्रवाह क्षेत्र पाकिस्तान तक चला जाता है । पाकिस्तान में इसके प्रवाह क्षेत्र को ‘हकरा’ के नाम से जाना जाता है । |
नदियों का संक्षिप्त विवरण :-
नदी | उद्गम स्थल | समाप्ति स्थल |
चंबल | महू (मध्य प्रदेश) | इटावा (उत्तर प्रदेश) में यमुना |
माही | अममोरू(मध्य प्रदेश ) | खंभात की खाड़ी |
लूनी | नाग पहाड़ (अजमेर) | कच्छ का रन |
घग्गर | शिवालिक पहाड़ी(शिमला) | भटनेर (हनुमानगढ़ ) |
बनास | खमनौर की पहाड़ी (राजसमंद) | पदरा गाँव (सवाई माधोपुर) चंबल नदी |
जवाई | गोरिया गाँव (पाली) | बाड़मेर में लूनी नदी |
कांतली | खंडेला की पहाड़ी (सीकर) | झुंझुनू में चूरू सीमा |
प.बनास | नया सानवारा (सिरोही) | कच्छ का रन |
साबरमती | अरावली पहाड़ी (उदयपुर) | खंभात की खाड़ी |
सोम | बिछामेड़ा पहाड़ी (उदयपुर) | माही नदी (बेणेश्वर, भीलवाड़ा ) |
आयड़ | गोगुंदा की पहाड़ी (उदयपुर) | बनास नदी |
कोठारी | दिवेर (राजसमंद) | भीलवाड़ा में बनास नदी |
मेजा | बिजौलिया (भीलवाड़ा) | चंबल नदी (कोटा, बूंदी सीमा ) |
आहू | सुसनेर (मध्य प्रदेश) | कालीसिंध (गागरोन ) |
कालीसिंध | देवास (मध्य प्रदेश) | चंबल नदी (कोटा ) |
काकनी | कोठ्यारी (जैसलमेर) | बुझझील (जैसलमेर ) |
नदियों के उपनाम
माही नदी | बाँगड़ प्रदेश की गंगा ,कांठल की गंगा, दक्षिण राजस्थान की जीवन रेखा |
घग्गर नदी | मृत नदी , नट नदी ,हकरा |
बनास नदी | वन की आशा, वशिष्ट नदी, वर्णनाशा |
काकनेय नदी | काकनी,मसूरड़ी,मसूरदी |
चंबल नदी | कामधेनु ,नित्यवाही नदी ,चर्मण्वती |
बाणगंगा नदी | अर्जुन की गंगा |
लूनी नदी | लवणती |
नदियों के किनारे बसे नगर
चंबल- कोटा,रावतभाटा व केशोरायपाटन
घग्घर–सूरतगढ़ व हनुमानगढ़ बांडी—पाली कालीसिंध—-झालावाड़ जवाई—-सुमेरपुर (पाली) शिवगंज (सिरोही ) बेड़च—-चित्तौड़गढ़ खारी—-आसींद, गुलाबपुरा ,विजयनगर (भीलवाड़ा) लूनी—-बालोतरा (बाड़मेर) चंद्रभागा—-झालरापाटन बनास—-नाथद्वारा ,टोंक सुकड़ी—-जालौर |
राज्य के त्रिवेणी संगम
संगम- स्थल | नदियों के नाम | जिला |
बेणेश्वर | माही- सोम- जाखम | डूँगरपुर |
बींगोद(माण्डलगढ) | बनास-बेड़च-मेनाल | भीलवाड़ा |
रामेश्वर | चंबल-बनास-सीप | सवाई माधोपुर |
नदियों के किनारे पर बने दुर्ग
गागरोन का किला——– आहू व कालीसिंध नदी के संगम पर
भैंसरोडगढ़ दुर्ग ———–चंबल व बामनी नदियों के संगम पर शेरगढ़ दुर्ग——- परवन नदी चित्तौड़गढ़ दुर्ग —–गंभीरी और बेड़च नदियों के संगम पर सुवर्णगिरी दुर्ग —–सुकड़ी नदी |
नदियों के किनारे स्थित अभयारण्य
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य —-चंबल
ज्वार सागर अभ्यारण्य—– चंबल शेरगढ़ अभ्यारण ———परवन नदी बस्सी अभ्यारण —–ओरई व बामनी नदि भैंसरोडगढ़ ———-चंबल व बामनी फुलवारी की नाल —-मानसी, वाकल, सोम |
राजस्थान की झीलें ( rajasthan ki Jhile notes in Hindi)
राजस्थान में दो प्रकार की झीले पाई जाती हैं :
(1) खारे पानी की झीले
(2) मीठे पानी की झीले
खारे पानी की झीले उत्तरी पश्चिमी मरुस्थलीय भाग में पाई जाती है । इस क्षेत्र का टेथिस सागर का अवशेष होना यहां की झीलों के खारेपन का मुख्य कारण है । अरावली के पूर्वी भाग में पाई जाने वाली झीलें मीठे पानी की झीले हैं ।
(A) खारे पानी की झीले –
(1) सांभर : जयपुर जिले में सांभर में स्थित यह झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है । भारत के कुल नमक उत्पादन का 8.7% यहीं से उत्पादित होता है । इस का अपवाह क्षेत्र 500 वर्ग किमी है । यहां उत्तम किस्म का नमक होता है ।
(2) डीडवाना : यह झील डीडवाना (नागौर) में स्थित है ।
(3) पचपदरा : बालोतरा (बाड़मेर) में स्थित इस झील में उत्तम श्रेणी का नमक उत्पादित होता है । इस झील में खारवाल जाति के लोग मोरली झाड़ी के उपयोग द्वारा नमक के स्फटिक बनाते हैं ।
(4) फलौदी : जोधपुर जिले के फलौदी कस्बे में स्थित
(5) अन्य झीलें : लूणकरणसर (बीकानेर), कावोद (जैसलमेर), डेगाना (नागौर), कुचामन (नागौर), ताल छापर (चूरू), कछोर एवं खोसा
(B) मीठे पानी की झीले –
(1) जयसमंद(उदयपुर) : सन 1687- 91 की अवधि में महाराणा जयसिंह द्वारा इसका निर्माण गोमती नदी पर बांध बनाकर किया गया । यह मीठे पानी की विश्व की दूसरी सबसे बड़ी तथा एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है । इस झील में 7 बड़े टापू हैं ।
‘बाबा का भांगड़ा ‘ झील में स्थित सबसे बड़ा टापू है । इसमें एक टापू का नाम ‘प्यारी’ है । इसे ढेबर झील भी कहते हैं ।
(2) राजसमंद झील : 1662 ई. में महाराणा राजसिंह द्वारा कांकरौली (राजसमंद) के निकट निर्मित ।
नौचौकी की पाल : इस झील की उत्तरी पाल, जहां 25 शिलालेखों पर राजसिंह प्रशस्ति उत्कीर्ण है ,इसे मेवाड़ का इतिहास संस्कृत भाषा में लिखा है ।
(3) पिछोला झील : 14वीं शताब्दी के अंत में राणा लाखा के काल में एक बंजारे द्वारा उदयपुर के पश्चिम में पिछोला गांव के निकट निर्मित कराई गई । इसमें दो टापू है , जिन पर जगमंदिर व जगनिवास महल है ।
(4) फतेहसागर झील : राणा फतेहसिंह द्वारा 1888 में उदयपुर में पुन: निर्मित । यह नहर द्वारा पिछोला झील से जुड़ी हुई है ।
(5) उदयसागर झील : महाराणा उदय सिंह द्वारा निर्मित झील । आयड़ नदी इसमें गिरती है तो इसके बाद उसका नाम बेड़च हो जाता है ।
(6) नक्की झील : माउंट आबू (सिरोही) में रघुनाथ जी के मंदिर के पास स्थित झील । यह राजस्थान की सबसे ऊंची झील है । टॉड रॉक व नन रॉक यहां स्थित विशाल चट्टानें है ।
(7) आनासागर झील : अजमेर में स्थित इस झील का निर्माण पृथ्वीराज चौहान के दादा अरणोराज ने सन् 1137 में कराया था । इस झील के किनारे सम्राट जहांगीर ने दौलत बाग तथा शाहजहां ने बारहदरी का निर्माण करवाया ।
(8) फॉयसागर झील : अजमेर में स्थित झील का निर्माण अंग्रेज इंजीनियर फॉय के निर्देशन में अकाल राहत परियोजना के तहत बांडी नदी के पानी को रोककर हुआ।
(9) पुष्कर झील : अजमेर के पुष्कर में स्थित पवित्र झील जहां हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है । यहां एकमात्र ब्रह्मा जी का मंदिर है ।
(10) सिलीसेढ़ झील :यह अलवर में स्थित है । यहाँ 1845 ई. में अलवर के महाराजा विनय सिंह ने अपनी रानी हेतु एक शाही महल व लॉज बनावाया, जो आजकल ‘लेक पैलेस होटल’ के रूप में चल रहा है ।
(11) कोलायत : बीकानेर में स्थित झील जहां कपिल मुनि का आश्रम स्थित है ।
(12) बालसमंद : जोधपुर में स्थित इस झील का निर्माण सन् 1159 में परिहार शासक बालक राव ने करवाया था ।
(13 ) अन्य झीलें – गजनेर (बीकानेर) ,दुगारी (बूंदी ), तलवाड़ा झील (हनुमानगढ़ ) , बुड्ढा जोहड़ (गंगानगर ), पीथमपुर (सीकर), मानसरोवर( झालावाड़), घड़सीसर (जैसलमेर )
जिलेवार बाँध ,झीले व तालाब | |
अजमेर | आनासागर ,नारायणसागर ,लसाड़िया , फॉयसागर, फुलसागर, शिव सागर ,रामसर , बुड्ढा पुष्कर,गुंदोलाव तलाब, अजगरा , लोरड़ी सागर |
अलवर | जयसमंद ,मंगलसर, सिलीसेढ़ ,जयसागर, देवती ,हरसौरा ,विजयसागर ,बावरिया |
भरतपुर | बंध बरेठा, अजान, लालपुर, मोतीझील, सेवर, सीकरी ,अवारसागर |
बूंदी | नवलखा झील, नवल सागर ,जैन सागर, लाखेरी, बूंदी का गोठड़ा , गुढ़ा,भीमलत,पाईवालापूरा ,अभयपूरा, चाकण |
बाराँ | गोपालपुरा, विलास, रताई ,कालीसोत, इकलेरा, छत्तरपुरा , परवन,ल्हासी,खिरिया,सेमलीफाटक |
भीलवाड़ा | अडवान,नाहर सागर, मेजा ,सरेरी, अरवंर, खारी, जैतपुरा ,पार्वती सागर |
बाँसवाड़ा | माही बजाज सागर , बोरावनगढ़ी |
बाड़मेर | पचपदरा |
बीकानेर | अनूपसागर, सूरसागर, कोलायत, लूणकरणसर |
चित्तौड़गढ़ | गंभीरी,वागन,ओराई,बस्सी, भूपालसागर ,बड़गांव ,पिण्ड,सिंहपुर |
डूँगरपुर | गेब सागर, लाडीसर ,सोम कमला अंबा |
दौसा | माधोसागर बांध , कालखसागर,सैथलसागर,झिलमिली,मोरेल,देवांचली |
धौलपुर | रामसागर ,उर्मिलासागर ,पार्वती |
जयपुर | मानसागर, देवयानी, छपरावाड़ा, घितौली ,बुचारा, सांभर झील, पंच पहाड़ी ,गलता |
झुंझुनूँ | पन्नालाल शाह तालाब , समय तालाब ,फतेह सागर तालाब, पिलानी का बिड़ला तालाब , अजीत सागर बाँध |
झालावाड़ | भीमसागर डोबरा ,छापी ,चोली,पृथ्वीपुरा, चेलिया, रेवा, भीमणि ,गुलंडी, कालीखांड ,कनवाड़ा, पिपलाद ,गागरिन |
जोधपुर | कायलाना , उम्मेद सागर, प्रताप सागर, जसवंत सागर ,बालसमंद |
जालौर | बाँकली |
जैसलमेर | गढीसर ,अमर सागर ,बुझ झील |
कोटा | कोटा बैराज, जवाहर सागर बांध ,किशोरसागर तालाब , सावनभादों,हरीश चंद्र सागर बांध ,किशनपुरा ,लाडपुरा,तकली,नारायण खेड़ा |
करौली | पाँचना बांध , कालीसील, खिरखिरी, नींदर ,मामचारी, जगर,बिशनसमंद |
नागौर | कुचामन झील ,डीडवाना झील |
पाली | हेमावास, सरदारसमंद ,सेई,जवाई, खारदा, रायपुर, लूनी ,मीठड़ी ,बानियावास ,राज सागर |
राजसमंद | राजसमंद, |
सिरोही | पश्चिमी बनास ,ओरा टैंक ,अंगोर, नेवारा |
सवाई माधोपुर | मोरेल, सूरवाल,ढील,पांचोलास,गलाईसागर,बिनोरीसागर,भगवतगढ़, |
टोंक | गलवा ,माशी,टोरडीसागर,चांद सेन,मोतीसागर,गलवानिया,बीसलपुर बांध |
उदयपुर | उदयसागर, स्वरूप सागर, दूध तलाई ,जयसमंद झील ,सोम, कागदर, फतेहसागर झील, डाया, बड़ी टैंक, पिछोला झील ,माम्र, रोहिणी |
प्रतापगढ़ | जाखम बांध, जल सागर ,भँवर सेमला |
चूरू | ताल छापर |
महत्वपूर्ण तथ्य :-
(1) कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र के मैदान को ‘लिटिल रन’ कहते हैं ।
(2) मावठा नामक झील आमेर में स्थित है ।
(3) राजस्थान में भूगर्भ में बहने वाली पानी के मार्ग को सीर कहते हैं ।
(4) चौपड़ा झील पाली जिले में स्थित है ।
(5) उदयपुर की पिछोला झील को भरने वाली नदी सीसारमा व बुझड़ा नदी है ।
(6) 1870 में सेठ पन्नालाल शाह ने पन्नालाल शाह का तालाब खेतड़ी (झुंझुनू )में बनवाया ।
(7) सर्वाधिक नदियां कोटा संभाग में है ।
(8) सर्वाधिक नदियाँ चित्तौड़गढ़ जिले में है ।
(9) पाँचना मिट्टी से बना बांध है , जो करौली में स्थित है ।
(10) पार्वती नदी दो बार राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीमा बनाती है ।
इन्हें भी देखें :-