Rajasthan ke khanij sansadhan

राजस्थान में खनिज संसाधन

Rajasthan ke khanij Sansadhan

Minerals of Rajasthan Notes in Hindi

  •  राजस्थान में 81 विभिन्न प्रकार के खनिजों के भंडार हैं । इनमें से 57 खनिजों का खनन किया जा रहा है । राजस्थान में लिग्नाइट एवं प्राकृतिक गैस सहित 57 खनिजों का दोहन किया जाता है । खनिज संपदा की विविधता की दृष्टि से यहां खनन योग्य 67 प्रकार के खनिज उपलब्ध हैं ।
  • खनन योग्य 67 प्रकार की उपलब्ध खनिजों में 44 प्रकार के प्रधान और 23 प्रकार के गौण खनिजों का खनन कार्य होता है । इस कारण राजस्थान को खनिजों का अजायबघर कहा जाता है ।
  • पचपदरा (बाड़मेर) रिफाइनरी सह पेट्रोकेमिकल कॉन्प्लेक्स परियोजना को अक्टूबर 2022 तक पूरा करने की घोषणा की गई है ।
  • मैन्यूफैक्चर्ड सेंड (बजरी) को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान एम-सेंड नीति, 2019 लाने की घोषणा ।
  • राजस्थान, बॉम्बे हाई के बाद दूसरा अग्रणी तेल उत्पादक क्षेत्र बन गया है । बाड़मेर क्षेत्र में 7 मिलियन टन से अधिक खनिज तेल का वार्षिक उत्पादन होता है जो देश के कुल उत्पादन का 24% है ।
  • जास्पर, जस्ता, जिप्सम, एस्बेटॉस, ऑकर, रॉकफास्फेट, कैल्साइट, सिल्वर, फेल्सपार, वोलस्टोनाइट, फ्लोराइट, मार्बल, सोपस्टोन, सीसा, बॉलक्ले, सैंडस्टोन, कोटास्टोन, सेलेनाइट आदि खनिजों में राजस्थान, भारत में प्रथम स्थान रखता है ।
  • राजस्थान का देश में लौह खनिज की दृष्टि से चौथा स्थान है ।
  • हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड का डेगाना स्थित टंगस्टन संयत्र वर्तमान में बंद पड़ा है । उदयपुर के देबारी नामक स्थान पर भारत सरकार का जस्ता शोधन संयंत्र अवस्थित है ।

बेरेलियम – राजस्थान में अच्छे किस्म का बेरेलियम पाया जाता है । इसका अणुशक्ति में प्रयोग होने के कारण इसका महत्व और भी अधिक है । इस धातु को खरीदने का एकाधिकार भारत सरकार को ही है ।

सोना – स्वर्ण निक्षेपों की प्राप्ति वितलीय आग्नेय शैलों से होती है । आनंदपुर – भूकिया (बांसवाड़ा ) सोना उत्पादक क्षेत्र है ।

यूरेनियम – राज्य में भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर से बूंदी होकर टोंक की पट्टी में यूनियन के भंडार मिले हैं । इस पट्टी में सबसे ज्यादा यूरेनियम जहाजपुर तहसील के कुराड़िया गांव की पहाड़ियों में पाया गया है ।

पन्ना – राजस्थान का देश में एकाधिकार है । काला गुमान क्षेत्र (राजसमंद) इसका मुख्य उत्पादक क्षेत्र है ।

रॉक फास्फेट – देश में प्रथम स्थान झामर कोटडा (उदयपुर) जिले में पाया जाता है ।

कायड़ गाँव – अजमेर के कायड़ गांव में हिंदुस्तान जिंक द्वारा जिंक का खनन शुरू किया गया है ।

गुणधर्म एवं उपयोग के आधार पर खनिजों के वर्गीकरण –

(अ) धात्विक खनिज – वे खनिज जो अयस्कों के परिष्करण से प्राप्त की जाती है । प्रमुख धात्विक खनिज निम्न है –
(१) बहुमूल्य खनिज – सोना, चांदी, प्लैटिनम आदि।
(२) लौह धातु खनिज – लोहा, टंगस्टन, क्रोमाइट आदि ।
(३) अलौह धातु खनिज – सीसा, जस्ता, तांबा, एलुमिनियम आदि ।
(४) रेडियोधर्मी खनिज – यूरेनियम,थोरियम, प्लूटोनियम आदि ।

(ब) अधात्विक खनिज – अधात्विक खनिजों का औद्योगिक उपयोग अत्यधिक है जो सीधे उपयोग में लिए जा सकते हैं और उनके औद्योगिक उपयोग के अनुसार ही वर्गीकृत किए गए हैं ।

(1) औद्योगिक खनिज

(१) उच्च ताप सह एवं ताप प्रतिरोधी खनिज – कायनाइट, सिलीमैनाइट, एण्डालूसाइट, ग्रेफाइट, डोलोमाइट, फायर क्ले, ऐस्बेस्टॉस, अभ्रक ।

(२) कांच एवं सिरेमिक खनिज – क्वार्ट्ज, फैल्सपार, वोलैस्टोनाइट, केओलिन क्ले ।

(३) उर्वरक एवं रासायनिक खनिज – रॉक, फॉस्फेट, पायराइट, बैराइट, फ्लूओराइट ।

(४) फिलर, अपघर्षी एवं अन्य उपयोगी खनिज – फिलर, सोपस्टोन, पायरोफाइलाइट, बेण्टोनाइट, फुलर्स अर्थ, सिलिसियस अर्थ, कैल्साइट, अपघर्षी-गारनेट, कोरण्डम, लाइमस्टोन , रेड ऑकर ।

(2) रत्न खनिज

गार्नेट, पन्ना, कोरण्डम, एक्वामेराइन,एमिथिस्ट एवं क्वार्ट्ज मणिभ ।

(3) सजावटी एवं इमारती शैल समूह

मार्बल, ग्रेनाइट, लाइमस्टोन, शैल, स्लेट, सेंड स्टोन, पट्टी, कातला आदि ।

(4) ईंधनोपयोगी खनिज

लिग्नाइट, प्राकृतिक तेल एवं गैस ।

राजस्थान में पाये जाने वाले प्रमुख खनिज

(1) स्वर्ण खनिज

  • राजस्थान में यह सह-उत्पाद के रूप में खेतड़ी ताम्र अयस्कों से परीक्षण के दौरान प्राप्त किया जाता है ।
  • सिरोही जिले के अजारी- धनवाव क्षेत्र में स्वर्ण खोज का कार्य किया गया है ।
  • बांसवाड़ा जिले के आनंदपुरी भूकिया क्षेत्र में अरावली महासंघ के शिष्ट शैल के साथ स्वर्ण के निक्षेपों का पता चला है ।
  • ऑस्ट्रेलियाई कंपनी इन्डो गोल्ड ने बांसवाड़ा जिले के जगतपुरा भूकिया, आनंदपुर भूकिया क्षेत्र में 105.81 मिलियन टन स्वर्ण भंडार की खोज की है।

(2) चांदी

राजस्थान में यह खनिज जावर (उदयपुर), राजपुरा- दरीबा (राजसमंद) एवं आगूचा (भीलवाड़ा ) सीसा- जस्ता क्षेत्रों में मिलता है ।

(3) टंगस्टन

  • राजस्थान में टंगस्टन के प्रमुख क्षेत्र नागौर जिले के डेगाना एवं सिरोही जिले के बाल्दा, आबू रेव दर क्षेत्र में पाये जाते हैं । इसके अतिरिक्त डूंगरपुर जिले के अमरतिया । उदयपुर जिले के कुण । पाली जिले के बराठियाँ, नानाकराब । अजमेर जिले के लादेरा- साकून क्षेत्र में टंगस्टन अयस्क होने के संकेत मिले हैं ।
  • नागौर के डेगाना में टंगस्टन का अयस्क वुल्फ्रेमाइट मिलता है ।

(4) लोहा

  • राजस्थान में लोहा – मोरीजा बानोला (जयपुर ), नीमला राइसेला, लालसोट (दौसा), टोण्डा, सिंघाना (झुंझुनू ), नाथरा की पाल , थूर हुण्डेर (उदयपुर ), नीमकाथाना , थोई, रामपुरा, डाबला (सीकर ) आदि क्षेत्रों में मिले हैं ।
  • नाथरा की पाल उदयपुर में 80 लाख टन लोहा अयस्क होने का अनुमान है ।

(5) ताम्र

  • राजस्थान में ताम्र अयस्क मुख्यत: देहली महासंध में पाये जाते हैं ,जो सिरोही से झुँझुनूँ तक फैले हुए हैं ।
  • खेतड़ी- सिंघाना क्षेत्र (झुंझुनू ), खो-दरीबा(अलवर ), सलूम्बर व अंजनी क्षेत्र (उदयपुर ) आदि क्षेत्रों में पाया गया है । हाल ही में भीलवाड़ा के जहाजपुर तहसील के बिलेठा नामक व देवतलाई स्थान पर भी तांबे के विपुल भंडार का पता चला है ।
  • सीकर जिले में बन्नो बालों की ढाणी, जो पाटन तथा मीरा का नांगल क्षेत्र में स्थित है ,उसमें भी तांबे के भंडार मिले हैं ।

(6) सीसा-जस्ता खनिज

  • राजस्थान में जावर, सीसा जस्ता पट्टी (उदयपुर) 20 किलोमीटर क्षेत्र में फैली है । मोचिया बलारिया, जावर माला बोरोई इस पट्टी के प्रमुख निक्षेप है ।
  • उदयपुर के अतिरिक्त राजपुरा दरीबा (राजसमंद ), रामपुरा-आगूचा (भीलवाड़ा ), चौथ का बरवाड़ा (सवाई माधोपुर ) आदि क्षेत्रों में सीसा-जस्ता निकाला जाता है ।
  • जस्ता गलाने हेतु हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के देबारी (उदयपुर) एवं चंदेरिया (चित्तौड़गढ़) के स्मेल्टर संयंत्र लगाए गए हैं ।
  • राजस्थान में भारत का 80% सीसा एवं 90% जस्ता का उत्पादन होता है ।

(7) ऐस्बेस्टॉस

  • राजस्थान में ऐस्बेस्टॉस के निक्षेप ऋषभदेव, खेरवाड़ा, सलूम्बर ( उदयपुर ), राजसमंद, डूंगरपुर, भीलवाड़ा, पाली, अजमेर जिले में पाए जाते हैं ।
  • उदयपुर में इसका सर्वाधिक खनन होता है । इससे सीमेंट की चादरें, पाइप आदि बनाए जाते हैं । इसे रॉक वूल या मिनरल सिल्क भी कहते हैं ।

(8) अभ्रक ( MICA)

  • राजस्थान में भीलवाड़ा (सहाड़ा, गंगापुर, पोटला, महेंद्रगढ़, बागोर, रायपुर, मांडल, भादू, आमली, भूणास, जामोली, रूपा, पारोली ), अजमेर ( नसीराबाद, मांगलियावास, सरवाड़, केकड़ी, किशनगढ़, जवाजा ), टोंक (मालपुरा, देवली ), तथा राजसमंद ( कुंआथल, सरदारगढ़, देवगढ़ ) आदि जिलों में ये खनिज निकाला जाता है ।
  • सर्वाधिक अभ्रक भीलवाड़ा जिले में निकाला जाता है । अभ्रक ईट निर्माण उद्योग भी भीलवाड़ा में केंद्रित है ।

राजस्थान के प्रमुख अधात्विक खनिज एक दृष्टि में –

(1) रॉक फास्फेट

  • सर्वाधिक- झामरकोटडा (उदयपुर )
    लवणीय भूमि के उपचार हेतु एवं रासायनिक खाद ।

(2) जिप्सम
सर्वाधिक- भदवासी (नागौर )
प्लास्टर ऑफ पेरिस एवं क्षारीय भूमि के उपचार हेतु ।

(3) ऐस्बेस्टॉस
सर्वाधिक- ऋषभदेव, खेरवाड़ा, सलूंबर (उदयपुर)
सीमेंट चादर एवं भवन निर्माण हेतु ।

(4) फेल्सपार
????सर्वाधिक- दादलिया, सान्देर, लोहारवाड़ा तारागढ़ (अजमेर )

(5) बेराइट्स
सर्वाधिक- अलवर
तेल कुओ की ड्रिलिंग मड बनाने, पेन्ट व लिथोपेन उद्योग में प्रयुक्त ।

(6) सिलिका रेत
सर्वाधिक- बारोदिया, खिमज (बूँन्दी)
काँच गलाने व धातु गलाने के उद्योग में प्रयुक्त ।

(7) संगमरमर
सर्वाधिक – मोरवड़ व राजनगर (राजसमंद )
➡ सफेद मार्बल- मकराना (नागौर),
➡ हरा मार्बल – उदयपुर
➡ पीला छींटेदार मार्बल – जैसलमेर
➡ बादामी मार्बल- जोधपुर
➡ हरा काला मार्बल- डूंगरपुर, कोटा
➡ कला मार्बल – भैंसलाना (जयपुर )
➡ सात रंग का मार्बल – खान्दरा गाँव ( पाली)
➡ लाल मार्बल- धौलपुर
➡ लहरदार मार्बल – राजसमंद
➡ पिस्ता मार्बल – आँधी (जयपुर )
➡ गुलाबी मार्बल – रूपी (जालौर )
➡ लाल- पीला मार्बल – जैसलमेर
➡ बैंगनी मार्बल – त्रिपुरसुंदरी (बांसवाड़ा )
➡ नीला मार्बल – देसूरी (पाली )

(8) बालक्ले
सर्वाधिक- बीकानेर
इसे बीकानेरी क्ले भी कहते हैं ।

(9) ग्रेनाइट
सर्वाधिक- जालौर
➡ पीला ग्रेनाइट – पींथला (जैसलमेर )
➡ काला ग्रेनाइट- कालाडेरा (जयपुर )
➡ गुलाबी ग्रेनाइट – जालौर
➡ गुलाबी व मरकरी लाल ग्रेनाइट – सिवाना (बाड़मेर)

(10) मुल्तानी मिट्टी
सर्वाधिक- बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर
सौंदर्य प्रसाधन के लिए एवं ऊनी कपड़ों की धुलाई तथा तेल को फिल्टर करने में प्रयुक्त ।

(11) यूरेनियम
सर्वाधिक- उमरा (उदयपुर )

(12) अक्वामेरिन
सर्वाधिक- टोंक
हल्के नीले रंग का यह मूल्यवान पत्थर बहुत सुंदर दिखता है

(13) कोबाल्ट
सर्वाधिक- खेतड़ी
स्थानीय भाषा में इसे सेठा कहा जाता है ।

(14) तामड़ा
सर्वाधिक- राजमहल (टोंक)
रक्तमणि के नाम से प्रसिद्ध कीमती पत्थर ।

(15) पन्ना
सर्वाधिक- उदयपुर, कालीगुमान, गोगुंदा,टिखी क्षेत्र
हरी अग्नि के नाम से प्रसिद्ध कीमती पत्थर ।

(16) सोना
सर्वाधिक- बांसवाड़ा

(17) हीरा
सर्वाधिक- केसरपुरा (प्रतापगढ़- चित्तौड़गढ़ )

(18) वोलेस्टोनाइट
सर्वाधिक – सिरोही, उदयपुर
पेंट, कागज व सिरेमिक उद्योग में प्रयुक्त ।

(19) फ्लोर्सपार
सर्वाधिक- मांडो की पाल (डूंगरपुर )
सीमेंट, एसिड, लोहा व इस्पात तथा रासायनिक उद्योग में प्रयुक्त । इसके भंडार में प्रथम स्थान गुजरात तथा द्वितीय स्थान राजस्थान का है ।

(20) कैल्साइट
सर्वाधिक- उदयपुर, सिरोही, सीकर व पाली
कागज, वस्त्र, चीनी मिट्टी व पेंट निर्माण में प्रयुक्त ।

(21) पाइराइट्स
सर्वाधिक- सलेदीपुरा (सीकर )
गंधक का तेजाब व उर्वरक बनाने में प्रयुक्त ।

(22) गार्नेट
सर्वाधिक – टोंक, अजमेर, भीलवाड़ा, उदयपुर

(23) चूना पत्थर
➡केमिकल ग्रेड – जोधपुर, नागौर
➡सीमेंट ग्रेड- चित्तौड़गढ़, नागौर, बूंदी, बांसवाड़ा, जैसलमेर, कोटा, झालावाड़
➡स्टील ग्रेड – सानू (जैसलमेर), उदयपुर
सीमेंट निर्माण, इस्पात उद्योग, चीनी परिशोधन में प्रयुक्त ।
नागौर के गोटन तथा खारिया खंगार (जोधपुर) में सफेद सीमेंट के कारखाने हैं ।
देश में चुना पत्थर का सर्वाधिक उत्पादन आंध्र प्रदेश में होता है तथा राजस्थान का दूसरा स्थान है ।

(24) क्वार्ट्ज
सर्वाधिक – अजमेर, सीकर,टोंक, भीलवाड़ा, दौसा
चीनी मिट्टी एवं इलेक्ट्रॉनिक के निर्माण में प्रयुक्त ।

(25) फायरक्ले
सर्वाधिक- बीकानेर
फायर ब्रिक्स, ब्लॉक्स आदि के निर्माण में प्रयुक्त ।

(26) चीनी मिट्टी
सर्वाधिक – बीकानेर तथा सवाई माधोपुर
नीमकाथाना में चीनी मिट्टी की धुलाई का कारखाना है ।

(27) नमक
सर्वाधिक – सांभर (जयपुर), डीडवाना (नागौर), पचपदरा (बाड़मेर), लूणकरणसर (बीकानेर), फलोदी (जोधपुर )
सांभर झील में देश का 8.7% नमक होता है । हिंदुस्तान साल्ट्स लिमिटेड ने सांभर के मैगल में एक नमक रिफाइनरी स्थापित की है ।

(28) थोरियम
सर्वाधिक- पाली, भीलवाड़ा

(29) ग्रेफाइट
सर्वाधिक- अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, जोधपुर
अणुशक्ति गृह में मंदक के व भारी मशीनों में स्नेहक के रूप में प्रयुक्त ।

(30) जास्पर
सर्वाधिक- जोधपुर ( मथानिया, ओसिया, रूण्डिया,सोपरा,मोगरा,लावारा,टमटिया )

(31) लिग्नाइट
➡ बाड़मेर (कपुरड़ी, जालीपा, गिराल क्षेत्र ),
➡ बीकानेर (पलाना,बरसिंगसर ,रानेरी, गुड्डा, बिठनोक, हाड़ला ,पंजीरी )
➡ नागौर ( मातासुख-कसनाऊ )

(32) खनिज तेल
➡ जैसलमेर : बागेवाला, तुवरीवाला, कालरेवाल ।
➡ बाड़मेर : गुढामालानी, मंगला, कोसलू, सिणधरी, नगाणा, कवास, बायतू, बोथिया,जोगसरिया ।
गुढामालानी में हालैंड की शैल कंपनी को तथा बाड़मेर के कोसलू में केयर्न एनर्जी इंडिया को तेल भंडार मिले हैं ।

(33) प्राकृतिक गैस
➡ जैसलमेर : घोटारू, रामगढ़, गमनेवाला, डांडेवाला, तनोट, सादेवाला, मनहर टिब्बा व शाहगढ़ ।
➡ राजस्थान के जोधपुर व जैसलमेर बेसिन में प्राकृतिक गैस पाई जाती है । जैसलमेर जिले में ऑयल इंडिया ओएनजीसी व फिनिक्स ओवरसीज गैस दोहन का कार्य कर रही है । देश में प्राकृतिक गैस के उत्पादन में राजस्थान का छठा स्थान है ।

(34) कोयला
सर्वाधिक- पश्चिमी राजस्थान
राजस्थान का कोयला तृतीय महाकल्प का लिग्नाइट कोयला है ।

खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस

1932 में ज्योलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ए.एम. हेरन को नागौर जिले में तेल की खोज की , लेकिन उनकी रिपोर्ट पर कार्यवाही नहीं हुई । पश्चिमी राजस्थान में तेल एवं गैस खोज कार्य ONGC द्वारा 1954 में तथा ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा 1983 में शुरू किया गया । राजस्थान में तेल खोज का कार्य सर्वप्रथम बाड़मेर के गुढामलानी से शुरू किया गया ।

वर्तमान में राज्य में ONGC एवं ऑल इंडिया के अतिरिक्त केयर्न एनर्जी, फोकस एनर्जी , ENI, बिर्क बेक, HOEC, गेल, रिलायंस इंडस्ट्रीज आदि द्वारा 21 ब्लॉक्स में तेल, गैस एवं सीबीएम अन्वेषण कार्य किया जा रहा है ।

राजस्थान में पेट्रोलियम के 4 बेसिन है, जो निम्न है-
(1) राजस्थान शेल्फ बेसिन : जैसलमेर एवं अंशत बीकानेर
(2) बाड़मेर सांचौर बेसिन : बाड़मेर और जालौर
(3) बीकानेर नागौर बेसिन : बीकानेर ,नागौर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू
(4) विन्धयन बेसिन – कोटा, झालावाड़, बाराँ एवं अशत: बूंदी, सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़ एवं भीलवाड़ा ।

राजस्थान में तेल क्षेत्र कार्यरत बहुराष्ट्रीय कंपनियां

(1) केयर्न एनर्जी – स्कॉटलैण्ड (इंग्लैंड)
(2) BPPLC – इंग्लैंड
(3) E.N.I – इटली
(4) PDVSA – वेनेजुएला
(5) बिर्कबेक – मॉरीशस
(6) रिलायंस एनर्जी – अंबानी ग्रुप भारत
(7) एस्पार ऑयल – महाराष्ट्र
(8) फोकस एनर्जी – भारत
(9) जियो ग्लोबल एवं जियो पेट्रोल – बारबाडोस
(10) IOC,ONGC – भारत सरकार

  • केयर्न इंडिया ने मंगला, भाग्यम तथा एश्वर्या तीन बड़े महत्वपूर्ण तेल कुओं की खोज की । केयर्न एनर्जी ने जनवरी 2004 में PLG की खोज मंगला ऑयल फील्ड से की । यह 1985 के बाद भारत का सबसे बड़ा खोजा गया ऑयल फील्ड था ।
  • मंगला भारत तथा दुनिया के नए तेल क्षेत्रों में सबसे बड़ा तेल उत्पादन क्षेत्र है ।
  • भाग्यम, राजस्थान ब्लॉक में मंगला के बाद 40,000 bopd के आधार पर दूसरा सबसे बड़ा फिल्ड है ।
  • बाड़मेर जिले के ऐश्वर्या ऑयल फील्ड से तेल के व्यवसायिक उत्पादन की औपचारिक शुरुआत 23 मार्च 2013 को हुई । केयर्न इंडिया ने 23 मार्च 2013 को ऐश्वर्या से तेल उत्पादन शुरू किया ।

गुढा तेल क्षेत्र : बाड़मेर के गुढामालानी में इस तेल खोज शैल इंडिया ने की व इस क्षेत्र में राज्य में प्रथम बार लाइट क्रूड ऑयल की खोज की गई । इसका “गुढ़ा तेल क्षेत्र” नामकरण किया गया ।

सरस्वती तेल क्षेत्र : इस क्षेत्र में सन् 2000-01 में ‘कोसलू’ में केयर्न एनर्जी ने उच्च किस्म के बैरल तेल भंडारों की खोज की गई । इसका “सरस्वती तेल क्षेत्र” नामकरण किया गया ।

रागेश्वरी तेल क्षेत्र : बाड़मेर के निकट ग्राम नगर में केयर्न एनर्जी ने अच्छे किस्म के 155 मिलियन बैरल तेल भंडारों की खोज की ।

कामेश्वरी तेल क्षेत्र : बाड़मेर सांचौर बेसिन में अडेल में तेल की खोज की गई ।

पूनम तेल क्षेत्र : ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा बीकानेर-नागौर बेसिन में एक नया तेल क्षेत्र “पूनम” की खोज की गई , जहां से 94 मेट्रिक टन भारी तेल के उत्पादन पश्चात् मूल्यांकन किया जा रहा है ।

तेल व गैस की खोज हेतु राज्य में किए जा रहे प्रयास ( परियोजना )

(1) HPCL राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड पचपदरा (बाड़मेर )

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 16 जनवरी 2018 को राजस्थान रिफायनरी लिमिटेड की 9 मिलीयन मेट्रिक टन वार्षिक क्षमता की राजस्थान रिफाइनरी की परियोजना का शुभारंभ किया गया । यह देश की प्रथम ऐसी परियोजना है जिसमें रिफाइनरी पेट्रोकेमिकल कॉन्प्लेक्स का सम्मिश्रण है । इस परियोजना की लागत 43,129 करोड़ रूपये है ।

इस परियोजना में HPCL का शेयर 74 प्रतिशत और राज्य सरकार का शेयर 26% है ।

(2) भूमिगत गैसीकरण परियोजना ( UCG)

इस परियोजना के अंतर्गत बाड़मेर सांचौर बेसिन में कोसलू व होडू क्षेत्र में 200 से 500 मीटर की गहराई में उपलब्ध लिग्नाइट के भूमिगत गैसीकरण प्रक्रिया ( UCG) से दोहन हेतु प्रयास किए जा रहे हैं । देश में यूसीजी पद्धति से लिग्नाइट दोहन का यह प्रथम प्रयास होगा ।

(3) कोलबैड मिथेन परियोजना ( CBM)

बाड़मेर- सांचौर में 500 से 1600 मीटर की गहराई में उपलब्ध लिग्नाइट में मिथुन की संभावना के मध्यनजर यह परियोजना दिसंबर, 2000 से प्रारंभ की गई । बीकानेर क्षेत्र में विभागीय स्तर पर कोलबैंड मिथेन परियोजना का द्वितीय चरण आरंभ किया गया है ।

राजस्थान की पैट्रोलियम पाइपलाइन्स

(1) हजीरा-बीजापुर- जगदीशपुर पाइपलाइन (1800 km)

यह पाइपलाइन गुजरात के हजीरा से बीजापुर (मध्य प्रदेश) एवं जगदीशपुर (उत्तर प्रदेश) तक प्राकृतिक गैस का परिवहन करती है । इसका संचालन गैस अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ( GAIL) द्वारा किया जाता है । इस पाइप लाइन से अन्ता (बाराँ) के गैस विद्युत गृह , गढ़ेपन (कोटा) के चंबल फर्टिलाइजर खाद संयंत्र , सिमकोर ग्लास फैक्ट्री कोटा को गैस आपूर्ति होती है ।

इस पाइप लाइन से कोटा में घरेलू गैस व गुड़गांव टर्मिनल से नीमराणा- भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र को भी गैस सप्लाई की जाने की योजना है ।

(2) जामनगर- लोनी गैस पाइपलाइन (1339 km)

इस से राजस्थान में अजमेर व जयपुर में गैस प्राप्त की जाएगी ।

(3) मूँदड़ा- भण्टिडा क्रूड पाइपलाइन ( 1006 km)

यह राज्य के जोधपुर, बाड़मेर, नागौर, बीकानेर, हनुमानगढ़ जिलों में से गुजरेगी ।

राजस्थान की खनिज नीतियाँ

(1) खनिज नीति ( Mineral Policy), 1994

राज्य की प्रथम खनिज नीति 1978 में श्री शेखावत के मुख्यमंत्रीत्व काल में घोषित हुई थी । राज्य में उपलब्ध विभिन्न खनिजों के अधिकाधिक दोहन, खनिज की खोज को आधुनिकतम करने एवं उन्हें गति प्रदान करने हेतु मशीनकीकृत एवं वैज्ञानिक खनन को बढ़ावा व अधिकाधिक सहूलियत देने के उद्देश्य से राज्य की खनन नीति 16 अगस्त 1994 को जारी की गई ।

(2) ग्रेनाइट व मार्बल नीति, 2002

राज्य में मार्बल ग्रेनाइट उद्योग के समुचित विकास हेतु प्रथम ग्रेनाइट नीति वर्ष 1991 में तथा द्वितीय जनवरी, 1995 में घोषित की गई । 8 जनवरी 2002 को राज्य सरकार ने नवीनतम मार्बल व गृह नीति घोषित की है ।

नई मार्बल आयात नीति 4 अगस्त, 2011 को घोषणा की गई ।

(3) विजन- 2020 (Vision-2020)

राजस्थान में खनन उद्योग को पोषणीय आधार प्रदान करने हेतु खनिज विभाग द्वारा खनन क्षेत्र की दीघ्रकालीन योजना “विजन 2020” 15 अगस्त 1999 को जारी की गई ।

इसका उद्देश्य राजस्थान की खनिज संपदा का पूर्ण हुआ वैज्ञानिक दोहन करना, खनिज प्रधान क्षेत्रों में आधारभूत सेवाएं उपलब्ध करवाना एवं खनिज संपदा से प्राप्त राजस्व में वृद्धि करना ।

(4) राजस्थान खनिज नीति, 2015

4 जून 2015 को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नई दिल्ली में आयोजित एम्बेसड्स राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में राजस्थान की नई खनिज नीति 2015 जारी की । राजस्थान के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के लोगों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना नई नीति का मुख्य उद्देश्य हैं ।

खनन के विकास हेतु प्रयासरत संस्थाएँ

राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम (RSMDC)

स्थापना – 27 सितंबर, 1979
मुख्यालय- जयपुर
उद्देश्य – राज्य में उपलब्ध खनिज संपदा का वैज्ञानिक पद्धति एवं तीव्र दोहन करना एवं खनिज विकास को प्रोत्साहित देना ।

राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड (RSMML)

स्थापना- 1974
मुख्यालय – उदयपुर
सर्वप्रथम 1947 में बीकानेर जिप्सम लिमिटेड स्थापित किया गया । तत्पश्चात 1974 में इसके स्थान पर राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड की स्थापना कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत की गई । यह कंपनी जैसलमेर में पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन का कार्य कर रही है । इसका पंजीकृत कार्यालय जयपुर में तथा मुख्यालय उदयपुर में है ।

राजस्थान राज्य टंगस्टन विकास निगम लिमिटेड

स्थापना- नवंबर, 1983
ये जयपुर में नवंबर, 1983 में RSMDC की सहायक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था । इस निगम को बंद कर दिया गया है ।

भारतीय खान ब्यूरो

स्थापना- 1948
मुख्यालय – नागपुर
उसका प्रमुख कार्य खनिजों के सरंक्षण एवं खनिज संसाधनों का वैज्ञानिक रूप से विकास करना है ।

खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड

स्थापना- 1972
मुख्यालय – नागपुर
सरकार द्वारा खनिजों की सुव्यवस्थित खोज करने हेतु की गई ।

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड

स्थापना- 9 नवंबर 1967
यह देश में तांबे का उत्पादन करने वाली एकमात्र कंपनी है । खेतड़ी कॉपर प्रोजेक्ट इसकी एक इकाई है । इसका तांबा गलाने का एक संयंत्र खेतड़ी (राजस्थान) व दूसरा घाटशिला (झारखंड) में है ।

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड

स्थापना- 10 जनवरी 1966
मुख्यालय – उदयपुर
इसका उद्देश्य देश में जस्ते और सीसे की खनन तथा संगलन क्षमता बढ़ाकर इन धातुओं की बढी़ हुई माँग को पूरा करना था ।

परमाणु खनिज अन्वेषण व अनुसंधान

स्थापना – 27 जुलाई 2004
प्रताप नगर (जयपुर) में इस प्रयोगशाला का उद्घाटन तत्कालीन परमाणु निदेशालय एवं प्रयोगशाला ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ अनिल काकोडकर ने किया ।

महत्वपूर्ण बिंदु –

  • राजस्थान का खनिजों की दृष्टि से झारखंड के पश्चात् दूसरा स्थान हैं ।
  • देश के कुल खनिज उत्पादन में राजस्थान का लगभग 22% योगदान है , जिसमें से राज्य का 15% धात्विक, 25% अधात्विक एवं 26% लघु श्रेणी के खनिजों का योगदान है ।
  • कुल खनिज उत्पादन मूल्य की दृष्टि से राजस्थान का झारखंड, मध्यप्रदेश, गुजरात एवं आसाम के बाद पांचवा स्थान है ।
  • अप्रधान खनिजों के उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान हैं ।
  • जैस्पार, तामड़ा, वुलेस्टोनाइट और पन्ना का राजस्थान देश का एकमात्र उत्पादक राज्य है ।
  • जिप्सम को सेलखड़ी, हरसौठ, खड़िया के नाम से भी जाना जाता है ।
  • तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 29 अगस्त, 2009 को बाड़मेर में नागाणा स्थित मंगला तेल क्षेत्र राष्ट्र को समर्पित किया ।
  • राजस्थान में खान एवं भूविज्ञान विभाग की स्थापना वर्ष 1949 में हुई ।
  • 11 सितंबर, 2011 को भीलवाड़ा की पुर की तिरंगा पहाड़ियों पर जिंदल सॉ.लि. के लौह अयस्क परिष्करण एवं पेलेट संयत्र का शिलान्यास किया गया । राजस्थान का यह पहला लौह अयस्क परिष्करण संयंत्र है ।
  • राज्य में 23 सिमेंट प्लांट स्थापित है जिससे सीमेंट उत्पादन के क्षेत्र में भी राज्य देश में प्रथम स्थान पर है ।
  • चंद्रावती (सिरोही) में लाजवर्त पत्थर मिला है ।
  • जैतून रिफाइनरी लूणकरणसर (बीकानेर) में लगाई गई है ।
  • केयर्न एनर्जी को सांचौर के गुडामालानी क्षेत्र में एक खरब घन फीट गैस भंडार मिला है । यह देश का सबसे बड़ा गैस भंडार है ।
  • राजस्थान का प्रथम खनिज तेल कुआं तनोट (जैसलमेर, 1988) है जो ऑयल इंडिया द्वारा खोजा गया ।
  • सिरोही जिले की धूल में प्रति टन खनिज में स्वर्ण की मात्रा 0.18 से 2.5 ग्राम मिलने के संकेत हैं ।
  • घाटू पत्थर जोधपुर जिले में पाया जाता है ।
  • एशिया की सबसे बड़ी खुली खान बाड़मेर जिले के जालीपा एवं सोनड़ी ब्लॉक में है । यहां लिग्नाइट की सबसे बड़ी खान हैं ।
  • राजस्थान में जस्ता सीसे के साथ मिश्रित रूप में मिलता है उसे गेलेना कहते हैं ।
  • राज्य में उर्वरक बनाने के सर्वाधिक कारखाने के उदयपुर जिले में हैं ।
  • राज्य में यूरिया बनाने का कारखाना गडेपान (कोटा जिला) है ।
  • देश का पहला जैम बुर्स जयपुर बनेगा । जैम बुर्स ऐसा भवन है जिसमें जैम एंड ज्वैलरी से संबंधित उद्योगपति और व्यापारी अपने कार्यालय खोलते हैं ताकि देश विदेश के व्यापारी सुगमता से संपर्क कर सकें ।
  • राज्य में सिरेमिक उद्योग उदयपुर, अलवर एवं बीकानेर जिले में विकसित है । सिरेमिक परीक्षण प्रयोगशाला बीकानेर में खोली गई है ।
  • कच्चे जस्ते को गलाकर शुद्ध करने की प्रक्रिया देबारी संयंत्र में की जाती है ।
  • फिल्म उद्योग तथा चिकित्सा क्षेत्र में काम आने वाला प्लास्टर ऑफ पेरिस जिप्सम से बनाया जाता है ।
  • नागौर, चित्तौड़गढ़, सिरोही, जैसलमेर, झुंझुनू, सीकर आदि जिलों में चूना पत्थर के जमाव विपुल मात्रा में उपलब्ध हैं । इस कारण अधिकांश सीमेंट कारखाने भी इन्हीं जिलों में स्थित है ।
  • फॉस्फेट बेनिफिसिएशन संयंत्र “झामर कोटडा” (उदयपुर) में स्थित है ।
  • रत्न विद्या का प्रशिक्षण देने के लिए झालाना डूंगरी (जयपुर) के पास एक प्रशिक्षण केंद्र खोला है ।
  • बगोली-सराय-पंचलंगी खनन क्षेत्र लौह अयस्क के लिए प्रसिद्ध है ।
  • मंगला तेल क्षेत्र बाड़मेर जिले में स्थित है ।
  • जालौर सिवाना की पहाड़ियां जालौर ग्रेनाइट तथा रायोलाइट से बनी है ।
  • पेट्रोलियम के उत्पादन में देश में राजस्थान का दूसरा स्थान है ।
  • रॉक फास्फेट की खान झामर कोटडा में स्थित है ।
  • राजस्थान के बाड़मेर, बीकानेर, सवाई माधोपुर जिलों में बेंटोनाइट के महत्वपूर्ण भंडार मिले हैं ।
  • राजस्थान के पश्चिमी भाग में गिरल लिग्नाइट खाने हैं ।
  • राजस्थान के नागौर जिले में मातासुख-कास्नाउ लिग्नाइट की खाने हैं ।
  • मांडवा की पाल फ्लोराइड उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है ।
  • राजस्थान में स्टील ग्रेड चुना जेसलमेर, नागौर जिले में पाया जाता है ।
  • राजस्थान से चुना एवं चुना पत्थर का आयात करने वाले राज्य महाराष्ट्र एवं गुजरात हैं ।
  • जयपुर इंडियन ऑयल कंपनी डिपो में अग्निकांड 29 अक्टूबर 2009 को हुआ ।
  • राजस्थान में सीसे की सबसे बड़ी खान जावर (उदयपुर) में है ।
  • राजस्थान में विस्तृत रूप से प्राप्य अज्वलित ईधन खनिज अभ्रक है ।
  • गोटन (नागौर) में हाइड्रोकार्बन के भंडार में गए हैं।
  • अलवर के मुड़ियावास क्षेत्र में सोने, चांदी और तांबे के भंडार मिले हैं ।
  • अजमेर में तिलोनिया से नसीराबाद के बीच जिंक व लैंड के भंडार मिले हैं ।
  • ऊर्जा क्षेत्र में दुनिया की सबसे लंबी हीटेड पाइप लाइन का खिताब फरवरी, 2009 को थार को मिला । इस पाइपलाइन का नाम आतंककारी कसाब को जिंदा पकड़ने वाले शहीद तुकाराम आमले के नाम पर किया गया है ।
  • ओएनजीसी एक हजार करोड़ रुपये लागत की एक महत्वकांक्षी परियोजना प्रोजेक्ट सरस्वती के तहत जैसलमेर जिले में मीठे भूमिगत जल स्रोत खोजने के लिए कुएँ खोदेगी ।
  • वर्ष 2005-06 में गठित “बायो फ्यूल मिशन” के उद्देश्यों के क्रियान्वयन हेतु राज्य सरकार द्वारा राज्य में बायोफ्यूल पॉलिसी घोषित कर अलग से बायोफ्यूल प्राधिकरण (BFA) का गठन किया गया है ।
  • ऑयल इंडिया बागेवाला क्षेत्र (बीकानेर- जैसलमेर) में वर्ष 1991 में भारी तेल के विपुल भंडार की खोज की गई ।
  • बाड़मेर जिले में उपनिदेशक (पेट्रोलियम) कार्यालय खोला जाएगा ।

इन्हें भी देखें-

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