Raja Mansingh History in Hindi

राजा मानसिंह (Raja Mansingh History in Hindi) का इतिहास

आज हम राजा मानसिंह (Raja Mansingh History in Hindi) का इतिहास की बात करेंगे ।

आमेर के राजा मानसिंह का इतिहास (History of Raja Mansingh in Hindi)

राजा मानसिंह ( 1589-1614 ई.)

  • भगवंतदास की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र मानसिंह 1589 से 1614 ई. तक आमेर का शासक रहा ।
  • मानसिंह का जन्म 2 दिसंबर 1550 ई. को ग्राम मौजमाबाद में हुआ था ।
  • राजा मानसिंह ने 1562 ई. से 1614 ई. तक मुगल साम्राज्य की सेनानायक, सूबेदार व मनसबदार के रूप में सेवा की थी ।
  • बादशाह अकबर ने मानसिंह को ‘फर्जन्द’‘मिर्जा राजा’ की उपाधियां प्रदान की ।
  • मानसिंह अकबर के नवरत्नों में से एक था तथा उन्हें 7000 की मनसब दी गई ।
  • मानसिंह ने डूँगरपुर के शासक आसकरण व बाँसवाड़ा के शासक रावल प्रताप सिंह को अकबर की अधीनता में लिया ।
  • महाराणा प्रताप और मानसिंह की मुलाकात 1573 ई. पिछोला झील के किनारे हुई , लेकिन मानसिंह प्रताप को अधीनता स्वीकार करवाने में असफल रहा ।
  • अकबर ने महाराणा प्रताप के विरुद्ध राजा मानसिंह के नेतृत्व में विशाल शाही सेना को 3 अप्रैल 1576 को अजमेर से मेवाड़ के लिए रवाना किया । 21 जून 1576 को प्रसिद्ध हल्दीघाटी का युद्ध हुआ ।
  • रणथम्भौर 1569 ई. के आक्रमण के समय मानसिंह और उसका पिता अकबर के साथ थे ।
  • दिसंबर 1587 में बादशाह अकबर द्वारा मानसिंह को बिहार की सूबेदारी दी गई । इन्होंने गिधोर के राजा पूरनमल को हराया । उसके बाद खड़कपुर के संग्राम सिंह को हराकर मुगल अधिपत्य स्थापित किया ।
  • 1594 ईसवी में सम्राट अकबर ने मानसिंह को बंगाल की सूबेदारी दी । बंगाल की सूबेदारी में मानसिंह के दो पुत्र दुर्जन सिंह और हिम्मतसिंह मर चुके थे ।
  • 1596 ई. में कूचबिहार के शासक राजा लक्ष्मीनारायण को पराजित कर उसके राज्य को मुगल सत्ता के अधीन किया तथा उसकी बहन अबलादेवी से विवाह किया ।
  • राजा मानसिंह ने पुर्व बंगाल के राजा केदार को पराजित कर मुगल शासन के अधीन किया । राजा केदार से वे 1604 ईसवी में शिलामाता की मूर्ति लाये तथा उसे आमेर के महलों में प्रतिष्ठित किया ।
  • बिहार की सूबेदारी के समय मानसिंह ने रोहतासगढ़ में भव्य महल बनवाए ।
  • बिहार में मानपुर नगर तथा बंगाल में अकबर नगर (राजमहल) की स्थापना की ।
  • सम्राट जहाँगीर ने राजा मानसिंह को अहमदनगर अभियान में भेजा । दक्षिण में रहते हुए एलिचपुर (महाराष्ट्र) में 6 जुलाई 1614 ई. को मृत्यु हो गई ।
  • इनके समय रायमुरारी दास ने ‘मान चरित्र ‘‘मान प्रकाश’ तथा जगन्नाथ ने ‘मानसिंह कीर्ति मुक्तावली’ नामक ग्रंथ की रचना की थी ।
  • पुंडरीक विट्ठल ने रागचन्द्रोदय, रागमंजरी, नर्तन निर्णय, दूनी प्रकास आदि प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना की ।
  • मानसिंह की संस्कृत भाषा के रूचि थी । आमेर का स्तंभ लेख , रोहतासगढ़ का शिलालेख और वृंदावन का अभिलेख संस्कृत भाषा के प्रति प्रेम के घोतक हैं ।
  • राजा मानसिंह के समय रचित अन्य ग्रंथों में ‘महाराज कोश’ एवं दलपत राय द्वारा रचित ‘पत्र प्रशस्ति’ तथा ‘पवन पश्चिम’ आदि ग्रंथ प्रमुख है । इनके शासनकाल में ही संत दादू जी ने ‘दादू वाणी’ की रचना की थी ।
  • राजा मानसिंह के दरबारी कवि हरनाथ, हापा बारहठ , राय मुरारीदास, पुण्डरीक आदि प्रमुख थे ।
  • मानसिंह के समय रानी कंकावतीजी ने अपने प्रिय पुत्र जगतसिंह की स्मृति में जगत शिरोमणि का मंदिर बनवाया , जो तक्षणकला का अद्भुत नमूना है ।
  • 1592 ई. में राजा मानसिंह ने आमेर के भव्य महलों का निर्माण करवाया । मानसिंह ने बैकटपुर (पटना) में भवानी शंकर मंदिर बनवाया । गया में महादेव मंदिर व आमेर में शिलादेवी का मंदिर बनवाया ।
  • उसने वैष्णव धर्म से प्रभावित होकर वृंदावन में गोविंद देवजी का मंदिर बनवाया ।
  • मानसिंह ने मानसरोवर झील का निर्माण करवाया । काशी में ‘मान मंदिर’ व ‘सरोवर घाट’ का निर्माण करवाया । अटक के पास ‘कटक बनारस’ नामक किला बनवाया ।
  • राजा मानसिंह ने अकबर की मृत्यु के बाद जहाँगीर की जगह खुसरो को बादशाह बनाने का समर्थन किया था ।
  • महाराजा मानसिंह के बाद उसके बड़े पुत्र स्वर्गीय जगत सिंह के पुत्र महासिंह आमेर की गद्दी के उत्तराधिकारी थे , परंतु बादशाह जहाँगीर ने राजगद्दी का उत्तराधिकारी इसे न मान मानसिंह के पुत्र भावसिंह 1614 ई. को आमेर का शासक बना दिया ।
  • भावसिंह की दिसंबर 1621 में मृत्यु हो गई । इसकी कोई पुत्र नहीं था । अत : महासिंह का पुत्र (स्वर्गीय जगत सिंह का पौत्र ) जयसिंह को 11 वर्ष की आयु में आमेर का शासक बना दिया ।

आमेर (Aamer History in Hindi) के कछवाहा वंश के इतिहास में अगली पोस्ट में आमेर के शासक मिर्जा राजा जयसिंह के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।

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