Jodhpur history in Hindi

जोधपुर राज्य (Jodhpur History in Hindi) के राठौड़ वंश का इतिहास

आज हम जोधपुर (मारवाड़) राज्य के राठौड़ वंश के इतिहास (Jodhpur History in Hindi) की बात करेंगे ।

जोधपुर (मारवाड़) राज्य का इतिहास (History of Jodhpur in Hindi)

  • जोधपुर रियासत क्षेत्रफल की दृष्टि से राजपूताना एजेंसी की सबसे बड़ी रियासत थी । यहाँ राठौड़ों का राज्य था ।
  • ‘राठौड़’ शब्द की उत्पत्ति के संस्कृत के ‘राष्ट्रकूट’ से हुई है । दयालदास ने अपनी ख्यात में राठौड़ों को सूर्यवंशी बताया है । नैणसी मारवाड़ के राठौड़ो को कन्नौज से आने वाली शाखा मानते हैं , जबकि कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार ये सूर्यवंशी है ।

रावसीहा (1240-1273)

  • मारवाड़ राठौड़ों का संस्थापक रावसीहा था । रावसीहा के समय का बीठू गाँव में उसकी मृत्यु स्मारक (देवली) लेख मिला है । सीहा की मृत्यु पाली के बीठू गाँव में मुसलमानों के विरुद्ध मारवाड़ की रक्षा करते हुए 9 अक्टूबर 1273 को हुई थी ।
  • रावसीहा राठौड़ कुंवर सेतराम का पुत्र था ।
  • रावसीहा की पत्नी सोलंकिनी पार्वती थी, जिसने उसका स्मारक बनवाया था ।
  • रावसीहा के बाद उसके पुत्र आस्थान ने राठौड़ों को नेतृत्व प्रदान किया । आस्थान जलालुद्दीन खिलजी की सेनाओं से पाली प्रदेश की रक्षा करते हुए साथियों सहित मारा गया ।
  • आस्थान के उत्तराधिकारी क्रमश: धूहड़ , रायपाल, कर्णपाल , जालणसी,छाड़ा,तीड़ा, भाल्लिनाथ और वीरम देव था ।
  • रावसीहा का वंशज राव वीरम था । राव वीरम की मृत्यु जोहियों से लड़ते हुए 17 अक्टूबर 1383 को हुई । उसकी मृत्यु की यही तिथी बीकानेर के गजनेर गांव के एक चबूतरे पर लगी हुई देवली के लेख में भी दर्ज है ।

राव चूंड़ा :

  • राव वीरम का उत्तराधिकारी उसका पुत्र राव चूंडा हुआ ।
  • राव चूंडा का मंडोवर (मंडोर) पर अधिकार हो गया था और उसने इसे अपनी राजधानी बनाया ।
  • ‘वीर विनोद’ व ‘जोधपुर की ख्यात’ के अनुसार ईंदों ने स्वयं मंडोर विजय कर बाद में उसकी समुचित रूप से रक्षा करने में असमर्थ होने के कारण यह प्रदेश दहेज में राव चूंडा को दे दिया ।
  • राव चूंडा का विवाह ईंदा रायधवल की पुत्री से हुआ था ।
  • राव चूंडा ने नागौर के सूबेदार को हराकर तुर्की थाने को जीता तथा अपने भाई जयसिंह से फलौदी छीन लिया । कुछ समय पश्चात राव चूंडा की शक्ति क्षीण हो गई । भाटियों ने इससे नागौर छीन लिया तथा राव चूड़ा युद्ध में मारा गया ।
  • राव चूंडा ने अपनी मोहिलाणी रानी के पुत्र कान्हा को उत्तराधिकारी बनाया , जबकि उसका असली उत्तराधिकारी जेष्ठ पुत्र रणमल था ।
  • कान्हा का उत्तराधिकारी उसका भाई सत्ता हुआ ।

राव रणमल ( 1427-1438)

  • राव चूंडा उत्तराधिकारी कान्हा को बनाए जाने के कारण उसका बड़ा पुत्र रणमल नाराज होकर मेवाड़ नरेश महाराणा लाखा के पास चित्तौड़गढ़ चला गया ।
  • राव रणमल ने अपनी बहन हंसाबाई का विवाह महाराणा लाखा से करवाया ।
  • रणमल मेवाड़ ही रहने लगा लेकिन मेवाड़ में उसका प्रभुत्व बढ़ता देखकर महाराणा कुंभा ने 1438 में उसकी हत्या करवा दी ।

राव जोधा ( 1438-1489)

  • रणमल के पुत्र राव जोधा का जन्म 1 अप्रैल 1416 को हुआ था । उनके पिता राव रणमल उस समय मेवाड़ में थे । मेवाड़ के शासन में इनका प्रभाव बहुत बढ़ जाने पर महाराणा कुंभा ने रणमल को मेवाड़ में मरवा दिया था । इसकी सूचना जोधा को एक डोम से मिली ।
  • जोधा यह सुनकर भागकर अपने भाइयों सहित मारवाड़ पहुँच गया । तब चूंडा ( महाराणा लाखा का जेष्ठ पुत्र ) ने जोधा का पीछा करते हुए मारवाड़ में प्रवेश कर मंडोर को अधिकार कर लिया ।
  • राव जोधा निराश होकर वर्तमान बीकानेर के निकट काहूनी गाँव में रहने लगा । कुछ समय बाद महाराणा कुंभा ने अपनी दादी हंसाबाई के आग्रह पर मेवाड़ और मारवाड़ में मैत्री संधि की , इस संधि को आँवल-बाँवल की संधि के नाम से जाना जाता है । राव जोधा ने अपनी पुत्री श्रृंगार देवी का विवाह महाराणा कुंभा के पुत्र रायमल के साथ करके इस मैत्री संबंध को घनिष्ठ रिश्तेदारी में परिवर्तित कर दिया ।
  • 1453 में उसने मंडोर को अपनी राजधानी बनाया । मंडोर के किले में राव जोधा जी का 1458 में राज्याभिषेक किया गया । इसी समय मंडोर के पास अपने नाम पर इन्होंने जोधेलाव तालाब बनवाया था ।
  • 12 मई 1459 को जोधा ने चिड़ियाटूंक पहाड़ी पर नए गढ़ मयूरध्वज गढ़ (मेहरानगढ) की नींव रखी । गढ़ के नीचे अपने नाम पर जोधा ने नया नगर जोधपुर बसाया तथा मंडोर के स्थान पर उसे अपनी राजधानी बनाया ।
  • राव जोधा के पुत्र बीका ने अपने चाचा कांधल और सांखला नापा आदि को साथ लेकर जांगलू की तरफ प्रस्थान किया और बीकानेर के स्वतंत्र राज्य की नींव डाली ।
  • 6 अप्रैल 1489 को जोधपुर में राव जोधा का स्वर्गवास हो गया ।
  • राव जोधा को मारवाड़ रियासत में सामंत प्रथा का वास्तविक संस्थापक माना जाता है तथा राव जोधा को जोधपुर का पहला प्रतापी शासक भी कहा जा सकता है ।
  • राव जोधा की एक रानी हाडी जसमादेवी ने किले के पास रानीसागर नामक तालाब बनवाया और दूसरी रानी सोनगरी चाँद कुँवरी ने ‘चाँद बावड़ी’ बनवाई , जो चौहान बावड़ी के नाम से प्रसिद्ध है ।
  • राव जोधा ने 1459 में अपनी माता द्वारा बनाए गए कोड़मदेसर तालाब की प्रतिष्ठा कर एक कीर्ति स्तंभ स्थापित किया ।
  • राव जोधा ने 1460 ई. में मंडोर में चामुंडा की मूर्ति को मँगवाकर जोधपुर के किले में स्थापित किया ।
  • राव जोधा के पुत्र वरसिंह और दूदा ने मेड़ता नगर बसाया था ।

राव सातल :

  • राव जोधा के जेष्ठ पुत्र नींबा का देहांत अपने पिता की दशा में ही हो चुका था और बीका ने अपने लिए जांगल देश में स्वतंत्र बड़ा राज्य बीकानेर कायम करके जोधपुर राज्य से स्वत्व त्याग दिया था । अतएव राव जोधा की मृत्यु पर 1489 में राव सातल उनका उत्तराधिकारी बना ।
  • राव सातल ने कुछ ही दिनों बाद पोकरण के निकट एक गढ़ का निर्माण कराया और अपने नाम पर उसका नाम सातलमेर रखा ।
  • राव सातल का कोसाणा में मुसलमानों के साथ हुए युद्ध में 1 मार्च 1492 को देहान्त हो गया । कोसाणा के तालाब के निकट उसकी स्मारक छतरी बनी हुई है ।

राव सूजा :

  • राव सूजा का जन्म 2 अगस्त 1439 को हुआ था । राव सातल के नि:संतान मारे जाने पर वह जोधपुर की गद्दी पर बैठा ।
  • राव सूजा के जेष्ठ पुत्र बाघा का देहांत 3 सितंबर 1514 को हो गया । राव सूजा भी इसके बाद ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहा । 2 अक्टूबर 1515 को उसका भी स्वर्गवास हो गया ।

राव गांगा ( 1515- 1532 ई.)

  • राव गांगा का जन्म 6 मई 1484 को हुआ था । वह राव सूजा के स्वर्गीय जेष्ठ पुत्र बाघा का दूसरा पुत्र था ।
  • राव सूजा की मृत्यु के बाद 8 नवंबर 1515 को सरदारों ने उसे सिंहासन पर बिठाया । राव गांगा का स्वभाव बड़ा नम्र और सुशील था । उसकी सरलता से लाभ उठाकर उसके राज्य काल में ही सरदारों ने अपना बल बढ़ा लिया था और उनमें से अधिकांश स्वतंत्र हो गए थे ।
  • राव गांगा की मृत्यु के समय उसके अधिकार में केवल जोधपुर और सोजत के दो परगने ही रह गए थे ।
  • उसका पुत्र मालदेव वीर एवं महत्वकांक्षी था । मालदेव के नेतृत्व में मारवाड़ की सेनाओं ने खानवा के युद्ध में महाराणा साँगा की मदद की ।
  • सेवकी गाँव का युद्ध ( 1529) :- नागौर के शासक दौलत खाँ ने राव गांगा के चाचा शेखा के सहयोग से 1529 में जोधपुर पर आक्रमण कर दिया । राव गांगा ने बीकानेर नरेश राव जैतसी की सहायता से दोनों को पराजित किया ।
  • राव गांगा की सीसोदणी रानी उत्तमदे (राणा सांगा की पुत्री ) थी । जोधपुर का पद्मसर तालाब इन्होंने ही बनवाया था ।
  • जोधपुर शहर का ‘गांगेलाव तालाब’ और ‘गांगा की बावड़ी’ राव गांगा ने ही बनवाई थी ।
  • राव गांगा की रानी नानकदेवी ने जोधपुर में अचलेश्वर महादेव का मंदिर बनवाया ।
  • राव मालदेव ने 9 मई 1532 को अपने पिता राव गांगा की झरोखे से धक्का देकर हत्या कर दी ।

जोधपुर राज्य (Jodhpur History in Hindi) के राठौड़ वंश का इतिहास में अगली पोस्ट में जोधपुर के राठौर शासक राव मालदेव के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।

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