आज राजस्थान के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी ( Freedom fighter of Rajasthan in Hindi) की बात करेंगे ।
Rajasthan Freedom fighter in Hindi
(1) पंडित नरोत्तम लाल जोशी
झुँझुनूँ के श्री जोशी जयपुर राज्य प्रजामंडल आंदोलन के प्रवर्तकों में से एक थे । उन्होंने शेखावाटी जकात आंदोलन का नेतृत्व किया । प्रथम आम चुनाव में झुँझुनूँ से विधायक निर्वाचित होने के बाद वे प्रथम विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे ।
(2) अमरचंद बाँठिया
बीकानेर के निवासी , जिन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई व तांत्या टोपे को अपनी संचित धनराशि सहायतार्थ दी थी । ये प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें 1857 के समय में अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया था ।
(3) ठाकुर कुशालसिंह
जोधपुर रियासत में आउवा ठिकाने के ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जोधपुर राज्य में अंग्रेजों की सम्मिलित सेना को हराया था । पुन: एजीजी लॉरेंस व कैप्टन मैकमॉसन की सेना को भी युद्ध में हराया ।
(4) रिसालदार मेहराब खाँ पठान
करौली में जन्मे कोटा राज्य की सेना के एक सैनिक पदाधिकारी व प्रमुख क्रांतिकारी , जिन्होंने 1857 की स्वतंत्रता क्रांति में कोटा के क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया था ।
(5) कुँवर मदनसिंह
करौली में स्वतंत्रता आंदोलन का श्रीगणेश सन् 1912 में कुँवर मदनसिंह के शंखनाद से हुआ ।
(6) लाला हरदयाल भटनागर
भरतपुर जिले के कामा में 1817 में पैदा हुए लाला हरदयाल भटनागर ने 1857 के विद्रोह में कोटा में सक्रिय भूमिका अदा की । उन्होनें मार्च 1858 में कैथूनीपोल पर मेजर जनरल रॉबर्ट्स की सेना के विरुद्ध युद्ध में विद्रोही सेना का नेतृत्व किया और लड़ाई में मारे गए ।
(7) लाला जयदयाल भटनागर
उर्दू, फारसी और अंग्रेजी भाषा के ज्ञाता । कोटा महाराव के दरबार में वकील जयदयाल भटनागर का जन्म 4 अप्रैल 1812 में कामा (भरतपुर) में हुआ । इन्होंने कोटा राज्य में अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध विद्रोह का संगठन और नेतृत्व किया । 17 सितंबर 1880 को इस क्रांतिकारी नेता को कोटा की एजेंसी हाउस में फांसी दे दी गई ।
(8) रोशन बैग
1857 में कोटा में अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ नागरिक एवं सैनिक क्रांति की अग्रणी नेता । गदर के चार नेताओं में से एक नेता के रूप में इन्होंने क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया । कैथूनीपोल पर मेजर जनरल रॉबर्ट्स की सेना के विरुद्ध युद्ध करते-करते रोशन बैग 1858 में मारे गए ।
(9) गोविंद गिरी
राजस्थान में वागड़ प्रदेश के भीलों के प्रथम उद्धारक व डूँगरपुर के बांसिया ग्राम के निवासी । जिन्होनें ‘सम्प सभा’ की स्थापना करके आदिवासी भीलों में समाज व धर्मसुधार आंदोलन चलाया । 17 नवंबर 1913 को इनकी कार्यस्थली मानगढ़ पहाड़ी पर एक वार्षिक सभा के दौरान अंग्रेजी सेना ने फायरिंग कर भीषण नरसंहार किया ।
(10) मोतीलाल तेजावत
उदयपुर के कोल्हारी गांव के श्री तेजावत ने आदिवासी भीलों को संगठित करने हेतु ‘एकी आंदोलन’ चलाया था । आदिवासी इन्हें ‘बावजी’ कहते थे ।
(11) राव गोपालसिंह खरवा
अजमेर रियासत के छोटे से गांव खरवा के राव गोपालसिंह की गणना आजादी के उन महानायकों में की जाती है जिनका सारा जीवन सतत संघर्षों, यातनाओं,त्याग और तपस्या का पर्याय कहा जा सकता है । इन्होंने रासबिहारी बोस और शचीन्द्र नाथ सान्याल के साथ मिलकर सशस्त्र क्रांति की योजना बनाई थी ।
(12) विजयसिंह पथिक
▶विजयसिंह पथिक का जन्म 24 मार्च 1882 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के गुढ़वाली गाँव में हुआ । इनका मूल नाम भूपसिंह था । इनके पिता हमीरसिंह व माता कमला कौर थी ।
▶पथिक को संपूर्ण भारत में किसान आंदोलन का जनक माना जाता है ।
▶विजयसिंह पथिक द्वारा राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की गई ।
▶इन्होंने 1916 ईस्वी में ‘किसान पंच बोर्ड’ की स्थापना कर साधु सीतारामदास को इसका अध्यक्ष बनाया ।
▶दिल्ली में जमनालाल बजाज, पथिक जी, चांदकरण शारदा, गणेश शंकर विद्यार्थी के प्रयत्नों से 1918 में ‘राजपूताना मध्य भारत सभा’ की स्थापना की गई । 1920 में इसे अजमेर में स्थानांतरित किया गया ।
▶वीर भारत सभा एक गुप्तचर सैनिक संगठन था जिसकी स्थापना 1910 में राव गोपालसिंह खरवा, केसरी सिंह बारहठ, अर्जुन लाल सेठी व विजय सिंह पथिक ने मिलकर की । इस संगठन के क्रांतिकारियों ने भारत के वायसराय लार्ड हार्डिग की हत्या करने का षड्यंत्र रचा ।
▶1916 से विजयसिंह पथिक ने बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व संभाला व उसे सफल बनाया ।
▶अर्जुनलाल सेठी ने पथिक जी को ‘राजस्थान का शेर’ कह कर सम्मानित किया ।
▶पथिकजी ने वर्धा से सन् 1920 में ‘राजस्थान केसरी’ नामक राजनीतिक समाचार पत्र प्रकाशित किया ।
▶पथिकजी ने 1921 में अजमेर से ‘नवीन राजस्थान’ पत्र का प्रकाशन आरंभ किया जिसका कुछ समय बाद नाम बदलकर ‘तरुण राजस्थान’ रखा गया ।
▶पथिक विनोद, पथिक निबंधावली, पथिक प्रमोद , प्रह्लाद विजय , कल्पना कपोल आदि इनके प्रमुख ग्रंथ है ।
▶पथिकजी को हमारे देश में सबसे पहला ‘झंडा गीत’ देने का श्रेय प्राप्त है ।
▶उन्होंने 1930 में एक विधवा अध्यापिका जानकी देवी से विवाह किया ।
▶28 मई 1954 को पथिक जी की अजमेर में मृत्यु हुई ।
(13) अर्जुन लाल सेठी
▶इनका जन्म 9 सितंबर 1880 को जौहरीलाल सेठी के यहाँ जयपुर में हुआ और लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए की उपाधि प्राप्त करने वाले वे जयपुर के जैन समाज के प्रथम स्नातक थे ।
▶जयपुर में जनचेतना का सूत्रपात किया , इन्हें ‘राजपूताने में राष्ट्रीयता का जन्मदाता’ माना जाता था ।
▶जैन शिक्षा सोसायटी (जैन वर्धमान विद्यालय ) – अर्जुन लाल सेठी द्वारा 1907 ईसवी में जयपुर में स्थापित भारत के प्रथम राष्ट्रीय विद्यापीठ, जहाँ क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था ।
▶भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिग पर बम फेंकने के आरोप में दोषी पाए गए तथा मद्रास की वैलूर जेल में रखा गया । जेल से मुक्त होने के बाद उन्होंने अपना कार्यस्थल अजमेर को बना लिया । मृत्यु के बाद इन्हें दफनाया गया ।
▶महेंद्र कुमार , मदन पराजय , पार्श्व यज्ञ आदि उनकी मुख्य कृतियाँ हैं ।
▶बीसवीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में राजस्थान में क्रांतिकारी गतिविधियों के सृजन का श्रेय अर्जुनलाल सेठी को दिया जाता है ।
(14) केसरीसिंह बारहठ
▶इनका जन्म मेवाड़ राज्य की शाहपुरा रियासत के ग्राम देवपुरा खेड़ा में 21 नवंबर 1872 को हुआ ।
▶ये भीलवाड़ा के डिंगल कवि तथा राजस्थान के महान देशभक्त थे ।
▶इन्होंने अभिनव भारती की स्थापना की ।
▶क्रांतिकारी प्रतापसिंह बारहठ इन्हीं के पुत्र थे ।
▶1903 में मेवाड़ के महाराणा फतेहसिंह को दिल्ली जाते समय उन्हें ‘चेतावनी रा चूंगठिया’ नामक 13 सौरठें भेंट किये , जिन्हें पढ़कर महाराणा का स्वाभिमान जागृत हुआ और वे कर्जन द्वारा एडवर्ड-VII के सम्मान में आयोजित दिल्ली दरबार में सम्मिलित नहीं हुए ।
▶केसरीसिंह ने अपने साथियों के साथ 1912 ईस्वी में कोटा के महंत साधु प्यारेलाल की हत्या की । इस केस में 20 वर्ष की सजा दी गई और बिहार की हजारीबाग जेल में रखा गया ।
▶14 अगस्त 1941 को इनका निधन हो गया ।
(15) जोरावरसिंह बारहठ
▶राष्टानुरागी व उत्साही क्रांतिकारी , केसरीसिंह बारहठ के भाई ।
▶इनका जन्म 12 सितंबर 1893 को उदयपुर में हुआ ।
▶उन्होंने दिल्ली में चांदनी चौक में 23 दिसंबर 1912 को भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल एवं वायसराय लॉर्ड हार्डिग्ज पर बम फैंका था ।
▶17 अक्टूबर 1939 को इनका निधन हो गया ।
(16) सेठ दामोदर दास राठी
▶इनका जन्म 8 फरवरी 1884 को पोकरण (जैसलमेर) में हुआ ।
▶उन्होंने क्रांतिकारी रासबिहारी बोस को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई ।
▶कृष्णा मिल्स, ब्यावर के संस्थापक व संचालक दामोदरदास ही थे ।
(17) सेठ जमनालाल बजाज
▶सीकर के एक छोटे से गांव काशी का बास में 4 नवंबर 1889 को जन्मे प्रसिद्ध उद्योगपति , समाजसेवी व क्रांतिकारी ।
▶वे गांधीजी के पांचवें पुत्र कहे जाते हैं ।
▶राजस्थान में सर्वप्रथम उत्तरदायी शासन की मांग करने वाले नेता ।
▶जमनालाल बजाज अपने आप को गुलाम नंबर 4 (पहले तीन गुलाम- भारत, देशी राजा, सीकर ) कहते थे ।
▶उन्होनें राष्ट्र भाषा प्रचार समिति की स्थापना की ।
▶बजाज ने युवावस्था में ही 1921 में असहयोग आंदोलन के दौरान अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रदत रायबहादुर का खिताब वापस लौटा कर देश के प्रति अपनी निष्ठा का परिचय दिया ।
▶1921 में वर्धा में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की ।
▶श्री जमनालाल बजाज जयपुर प्रजामंडल के संस्थापक में से थे ।
▶हिंदी को बजाज ‘ईमान की भाषा’ कहते थे ।
▶1927 ईस्वी में चरखा संघ की स्थापना की ।
▶1934 में जमनालाल बजाज ने गांधी सेवा संघ की स्थापना की ।
▶11 फरवरी 1942 को 53 वर्ष की आयु में उनका स्वर्गवास हो गया ।
▶4 नवंबर 1970 को सेठ जमनालाल बजाज की स्मृति में डाक टिकट जारी किया गया ।
(18) जयनारायण व्यास
▶शेर-ए-राजस्थान , लोकनायक की उपाधि से विभूषित राजस्थान के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक व कुशल राजनीतिज्ञ श्री व्यास का जन्म जोधपुर में 18 फरवरी 1899 को हुआ ।
▶ 1928 में आयोजित मारवाड़ लोक राज्य परिषद के प्रथम अधिवेशन पर प्रतिबंध लगाने पर व्यासजी ने इसके विरोध आंदोलन किया । उन पर नागौर जिले में एक विशेष मुकदमा चलाया गया जिसमें उनको 7 साल की सजा हुई ।
▶1932 में उन्होंने पुष्कर में मारवाड़ प्रजा परिषद का राजनैतिक सम्मेलन आयोजित किया ।
▶1934 में उन्होंने ब्यावर में राजपूताना प्रांतीय देशी राज्य प्रजा परिषद की स्थापना करके राजनैतिक सम्मेलन आयोजित किया ।
▶उन्होनें ‘अखंड भारत’ हिंदी दैनिक समाचार पत्र का प्रकाशन भी शुरू किया ।
▶1941 में जोधपुर नगरपालिका के चुनाव में विजय हासिल कर अध्यक्ष बने ।
▶मारवाड़ हितकारिणी समाज संगठन की स्थापना की ।
▶जालौर में प्रचलित ढोल नृत्य को सर्वप्रथम जयनारायण व्यास गुमनामी से प्रकाश में लाए ।
▶राजस्थानी को प्रांतीय भाषा का दर्जा दिलवाने के लिए ‘राजस्थानी आंदोलन क्या, क्यों और क्यों नहीं’ एक पुस्तिका का प्रकाशन किया ।
▶उन्होनें ब्यावर से राजस्थानी भाषा के प्रथम दैनिक ‘आगीबाण’ का प्रकाशन प्रारंभ किया ।
▶1948 में जोधपुर रियासत की उत्तरदायी लोकप्रिय सरकार के प्रधानमंत्री बने तथा दो बार 1951-52 व 1952-54 में राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे ।
▶जयनारायण व्यास ने 1956 में साँकड़ा गाँव को अपना कार्यस्थल बनाकर डाकुओं को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ा ।
▶14 मार्च 1963 को निधन हो गया ।
(19) माणिक्यलाल वर्मा
▶बिजोलिया में 4 दिसंबर 1887 को जन्मे लोकनेता
▶वर्माजी का ‘पंछीड़ा’ नामक गीत बहुत लोकप्रिय हुआ ।
▶उन्होंने 1934 में सागवाड़ा के पास खांडलाई आश्रम स्थापित किया ।
▶उन्होंने 1938 में मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना की ।
▶इनके द्वारा लिखित पुस्तक मेवाड़ का वर्तमान शासन में सांमति शासन के अत्याचारों और जनता की दारुण दशा का वर्णन किया गया ।
▶वर्माजी उदयपुर में गठित हुए संयुक्त राजस्थान के प्रधानमंत्री बने ।
(20) गोकुलभाई भट्ट
▶सन् 1897 को महाशिवरात्रि के दिन सिरोही जिले के हाथल गांव में जन्म ।
▶आबू का राजस्थान में विलय गोकुलभाई भट्ट के प्रयत्नों से हुआ ।
▶ये सिरोही रियासत के प्रधानमंत्री तथा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष रहे ।
▶राजस्थान के गांधी के नाम से प्रसिद्ध ।
(21) पंडित हीरालाल शास्त्री
▶राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री का जन्म जोबनेर (जयपुर) में 24 नवंबर 1899 को हुआ ।
▶हीरालाल शास्त्री व जमनालाल बजाज ने 1938 में जयपुर प्रजामंडल का पुनर्गठन किया ।
▶उन्होंने वनस्थली में 12 मई 1929 को ‘जीवन कुटीर’ के नाम से एक रचनात्मक संस्था की स्थापना की जो आज वनस्थली विद्यापीठ (महिला शिक्षण संस्थान, निवाई, टोंक) के रूप में जानी जाती है ।
▶उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र’ व 1930 में एक गीत ‘प्रलय- प्रतिक्षा नमो नमो’ लिखा जो बहुत लोकप्रिय हुआ ।
▶28 दिसंबर 1974 को शास्त्री जी का निधन हो गया ।
(22) रामनारायण चौधरी
▶इनका जन्म नीमकाथाना (सीकर) में हुआ ।
▶इन्होनें बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व किया ।
▶1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भाग लिया तथा ‘MAN’ नामक हस्तलिखित अंग्रेजी सप्ताहिक निकालते थे ।
(23) प्रो. गोकुललाल असावा
▶राजस्थान में देवली में 2 अक्टूबर 1901 में जन्मे गोकुललाल असावा 1945 में शाहपुरा राज्य प्रजामंडल के अध्यक्ष बने ।
▶ये राजस्थान संघ के प्रधानमंत्री भी बनाए गए ।
▶1981 में इनका निधन हुआ ।
(24) पंडित नयनूराम शर्मा
▶हाड़ौती क्षेत्र के प्रमुख क्रांतिकारी ।
▶राजस्थान सेवा संघ की कोटा शाखा के अध्यक्ष रहे ।
▶कोटा-बूंदी प्रजामंडल की स्थापना की और वर्ष 1939 में कोटा राज्य प्रजामंडल के वार्षिक अधिवेशन की अध्यक्षता की ।
▶14 अक्टूबर 1941 को इनकी हत्या कर दी गई ।
▶निमाणा गाँव में बनी इस अमर शहीद की समाधि पर प्रतिवर्ष 14 अक्टूबर को मेला भरता है ।
(25) बाबा नृसिंहदास
▶ये राजस्थान में स्वाधीनता संग्राम के तीन भामाशाहों (सेठ दामोदर दास राठी , सेठ घीसूलाल जाजोडिया और सेठ नृसिंहदास अग्रवाल (नागौर) में से एक थे ।
▶1921 में उन्होंने अपना सारा धन गांधीजी को अर्पित किया और आजादी की लड़ाई में कूद पड़े ।
(26) प्रतापसिंह बारहठ
▶प्रतापसिंह के पिता केसरीसिंह एवं चाचा जोरावर सिंह प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे ।
▶23 दिसंबर 1912 को लॉर्ड हार्डिग्ज पर बम फेंकने के प्रकरण में अपने चाचा जोरावर सिंह के साथ थे ।
▶बनारस षड्यंत्र अभियोग में वे गिरफ्तार कर लिए गए ।
▶प्रतापसिंह को बरेली जेल में घोर यातनाएं दी गई , कथन -“मेरी मां रोती है तो उसे रोने दो जिससे सैकड़ों माताओं को न रोना पड़े । यदि मैंने दिल का भेद खोल दिया तो कि मेरी वास्तविक मृत्यु होगी और मेरी माता पर अमिट कलंक ” । इनकी 27 मई 1918 को बरेली जेल में पुलिस यातनाओं से मृत्यु हो गई ।
(27) पं. अभिन्न हरि
▶हाड़ौती में स्वतंत्रता आंदोलन के सूत्रधार ।
▶कोटा से इन्होंने ‘लोक सेवक’ साप्ताहिक समाचार पत्र आरंभ किया ।
▶सन् 1942 की अगस्त क्रांति में महात्मा गांधी के आह्नान पर मुंबई के गवालिया टैंक मैदान में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में कोटा से सम्मिलित होने वाले एकमात्र प्रतिनिधि थे ।
▶1941 में ये कोटा राज्य प्रजामंडल के अध्यक्ष बने ।
▶पंडित जी का मूल नाम बद्रीलाल शर्मा था ।
(28) हरीभाऊ उपाध्याय
▶नमक सत्याग्रह के संबंध में राजस्थान के प्रथम डिक्टेक्टर बने ।
▶1925 में गाँधी आरण्य (अजमेर) की स्थापना की ।
▶इन्होनें सस्ता साहित्य मंडल व महिला शिक्षा सदन की स्थापना की ।
▶हरीभाऊ उपाध्याय व महावीर प्रसाद द्विवेदी ने सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन किया ।
▶इनका वास्तविक नाम बद्रीनाथ था ।
▶उन्होंने काशी से ‘औदुम्बर’ नामक मासिक पत्र आरंभ किया व 1924 में ‘मालव मयूर’ पत्र निकाला ।
▶इनका निधन अजमेर में 25 अगस्त 1972 को हुआ ।
(29) टीकाराम पालीवाल
▶दौसा जिले में 1907 में जन्मे श्री पालीवाल राजस्थान के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री थे ।
▶ये प्रदेश में भूमि सुधारों के जनक थे ।
(30) भोगीलाल पंड्या
▶‘वागड़ के गाँधी’ के नाम से लोकप्रिय भोगीलाल पंड्या का जन्म आदिवासी जिला डूँगरपुर के ग्राम सीमलवाडा में 13 नवंबर 1904 को हुआ था ।
▶15 मार्च 1938 को डूंगरपुर में ‘वनवासी सेवा संघ’ की स्थापना की ।
▶1 अगस्त 1944 को स्वर्गीय बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पर डूंगरपुर में प्रजामंडल की स्थापना की ।
▶इनका निधन 31 मार्च 1981 को हुआ ।
(31) मोहनलाल सुखाड़िया
▶राजस्थान के शताब्दी पुरुष , नवनिर्माण के पुरोधा व आधुनिक राजस्थान के निर्माता श्री मोहनलाल सुखाड़िया निरंतर 17 वर्षों (1954-71) तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे ।
▶ये 38 वर्ष की अल्पायु में ही किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले प्रथम नेता थे ।
▶1960 में सुखाड़िया ने राजस्थान काश्तकारी अधिनियम में संशोधन कर जोत की अधिकतम सीमा का निर्धारण किया ।
▶2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज का श्रीगणेश किया ।
(32) स्वामी केशवानंद
▶इनका मूल नाम बीरमा था ।
▶बीकानेर राज्य में ‘ग्रामोत्थान विद्यापीठ संगरिया (हनुमानगढ़) का निर्माण किया ।
(33) सागरमल गोपा
▶जैसलमेर के स्वतंत्रता सेनानी सागरमल गोपा का जन्म 3 नवंबर 1900 को पिता अखेराज के घर में हुआ था ।
▶1915 में इन्होंने सर्वहितकारी वाचनालय की स्थापना की ।
▶जैसलमेर में गुंडाराज, रघुनाथ सिंह का मुकदमा, आजादी के दीवाने – सागरमल गोपा द्वारा लिखित पुस्तकें ।
▶1932 में रघुनाथ सिंह मेहता के साथ मिलकर जैसलमेर में ‘माहेश्वरी नवयुवक मंडल’ की स्थापना की ।
▶4 अप्रैल 1946 को सागरमल गोपा द्वारा जैसलमेर के महारावल जवाहरसिंह के अत्याचारों के विरोध करने पर जेल में मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी गई ।
(34) स्वामी गोपालदास
▶1907 में सर्वहितकारिणी सभा (चुरू) की स्थापना की ।
▶पुत्री पाठशाला की स्थापना की ।
▶बीकानेर प्रशासन पुस्तक में गोपालदास ने बीकानेर के शासक गंगासिंह की आलोचना की ।
▶इन्होंने चुरू के धर्मस्तूप (लाल घंटाघर ) पर तिरंगा झंडा फहराया ।
(35) गणेशलाल व्यास ‘उस्ताद’
▶इन्होनें मारवाड़ में जनजागृति का कार्य किया ।
▶स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान प्रकाशित उनकी गीत पुस्तिका ‘गरीबों की आवाज ‘ , ‘बेकसों की आवाज’ और ‘इन्किलाबे तराने’ प्रशासन द्वारा जब्त की गई ।
(36) मघाराम वैद्य
▶मघाराम वैद्य को बीकानेर रियासत में ‘आजादी के आंदोलन का जनक’ कहा जा सकता है ।
▶1936 में उन्होंने बीकानेर प्रजामंडल की स्थापना की ।
▶दिसंबर 1942 में उन्होंने झंडा सत्याग्रह आरंभ किया ।
▶1945 में दूधवाखारा किसान आंदोलन का नेतृत्व किया ।
(37) ऋषिदत्त मेहता
इन्होंने बूँदी राज्य लोक परिषद की स्थापना की ।
(38) सुमनेश जोशी
इन्होंने 1945 में जोधपुर से दैनिक ‘रियासती’ नामक समाचार पत्र आरंभ किया । 26 मई 1948 को इसी समाचार पत्र के माध्यम से जोधपुर के राजा के पाकिस्तान से मिलने की इरादों का भंडाफोड़ किया गया ।
(39) श्यामजी कृष्ण वर्मा
राजस्थान के सभी क्रांतिकारियों के प्रेरणा स्रोत एवं मार्गदर्शक । इन्होनें इंग्लैंड में इंडिया हाउस की स्थापना की ।
(40) बलवंत सांवलाराम देशपांडे
इन्होनें अमरसर में 1926 में चरखा संघ की स्थापना की थी ।
(41) बालमुकुंद बिस्सा
▶इनका जन्म जोधपुर राज्य की डीडवाना तहसील के पीलवा गांव में हुआ था ।
▶1934 में उन्होंने जोधपुर आकर चरखा और कताई-बुनाई के रचनात्मक कार्यों का श्रीगणेश किया ।
▶इन्होंने जोधपुर में जवाहर खादी भंडार की स्थापना की ।
▶इनकी 19 जून 1942 को जोधपुर केंद्रीय कारागृह में भूख हड़ताल के दौरान मृत्यु हो गई ।
(42) बाबू मुक्ताप्रसाद
इन्होंने मित्र मंडल की स्थापना की ।
(43) अब्दुल हमीद कैसर
संपूर्ण भारत में वे ऐसे पहले वकील थे, जिन्होंने गरीबों के मुकदमे नि:शुल्क लड़े थे ।
(44) बलवंतसिंह मेहता
▶इन्होंने 1915 में प्रताप सभा की स्थापना की ।
▶बलवंत सिंह मेहता भारतीय संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य और संविधान बनने पर उस पर हस्ताक्षर करने वाले प्रथम सदस्य थे ।
(45) सीताराम लालस
एनसाइक्लोपीड़िया ऑफ ब्रिटेनिका ने इन्हें ‘राजस्थानी जुबान की मशाल’ कहा ।
(46) मास्टर आदित्येंद्र
राजस्थान के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी व भरतपुर जिले के निवासी ।
(47) हरिदेव जोशी
राजस्थान में बांसवाड़ा के खाँटू गांव के निवासी व स्वतंत्रता आंदोलन के महान सेनानी । ये तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने ।
(48) बाबू राजबहादुर
▶भरतपुर के स्वतंत्रता सेनानी ।
▶ये केंद्रीय मंत्रिमंडल में नेहरू सरकार के उपमंत्री रहे ।
(49) पंडित जुगलकिशोर चतुर्वेदी
▶भरतपुर के स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा जिनका जन्म मथुरा में हुआ ।
▶जनता प्यार से इन्हें ‘दूसरा जवाहरलाल नेहरू’ कहती थी ।
▶वे मत्स्य संघ के उप प्रधानमंत्री रहे ।
(50) शोभाराम कुमावत
▶अलवर जिले के निवासी श्री शोभाराम अलवर प्रजामंडल के साथ सक्रिय रूप से जुड़े रहे ।
▶18 मार्च 1948 को यह मत्स्य संघ के प्रधानमंत्री बने ।
▶राजस्थान सरकार द्वारा सहकारिता आंदोलन के अध्ययन के लिए इनकी अध्यक्षता में ‘शोभाराम कमेटी’ का गठन किया गया ।
(51) कर्पूरचंद पाटनी
जयपुर के स्वतंत्र सेनानी ने अपना सार्वजनिक जीवन 1920 में खादी बेचने से शुरू किया । इन्होने जयपुर राज्य प्रजामंडल की स्थापना की ।
(52) भूपेंद्रनाथ त्रिवेदी
बांसवाड़ा के स्वतंत्रता सेनानी 1939 में इन्होंने मुंबई से पत्र ‘संग्राम’ का प्रकाशन शुरू किया । उत्तरदायी लोकप्रिय सरकार में 18 अप्रैल 1948 को मुख्यमंत्री बनाए गए ।
(53) दुर्गाप्रसाद चौधरी
इनका जन्म सीकर जिले के नीमकाथाना कस्बे में 1906 हुआ था । 1921 में ये सहयोग आंदोलन में कूद पड़े । वे दैनिक नवज्योति के फाउंडर एडिटर थे ।
(54) बेणीमाधव शर्मा
1942 के स्वतंत्रता आंदोलन के सूत्रधार व कोटा राज्य प्रजामंडल के अग्रणी नेता ।
(55) चंदनमल बहड़
चूरू के स्वतंत्रता सेनानी चंदनमल बहड़ चुरू की सर्वहितकारिणी सभा के सदस्य थे , जिन्होंने शहर के मध्य स्थित धर्मस्तूप पर तिरंगा झंडा फहराया ।
(56) बृजमोहन लाल शर्मा
ब्यावर के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी बृजमोहन लाल शर्मा मजदूर व दलितों के मसीहा माने जाते थे । 1955 में इन्होंने अजमेर में मध्यस्थ उन्मूलन अधिनियम लागू किया । इन्होंने ब्यावर में राष्ट्रीय मिल मजदूर संघ की स्थापना की ।
(57) पंडित हरिनारायण शर्मा
अलवर राज्य में जनजागृति का श्रेय वहाँ के पुजारी पंडित हरिनारायण को दिया जाता है । उन्होंने पिछड़ी जातियों, हरिजनों तथा अन्य जातियों के उत्थान के लिए कार्य किया तथा वाल्मीकि संघ, आदिवासी संघ और अस्पृश्यता निवारण संघ की स्थापना की ।
(58) गोकुल जी वर्मा
भरतपुर की जनजागृति में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया । भरतपुर की जनता इन्हें ‘शेर-ए- भरतपुर’ कहकर संबोधित करती थी ।
(59) जीतमल पुरोहित ‘जंगाणी’
जैसलमेर के स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा श्री पुरोहित पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1935 में जैसलमेर में तिरंगा झंडा फहराया था । इन्हें प्रेमवश ‘जीता भा’ नाम से पुकारा जाता था ।
(60) शहीद बीरबल सिंह
रायसिंहनगर के श्री बीरबल सिंह बीकानेर प्रजा परिषद के सदस्य थे । बीकानेर संयंत्र केस के बाद 1946 को बीकानेर प्रजा परिषद के दो दिवसीय राजनीतिक सम्मेलन के जुलूस में पुलिस के आक्रमण से शहीद हुए । 17 जुलाई 1946 को बीकानेर रियासत में ‘बीरबल दिवस’ मनाया गया ।
(61) अमर शहीद पंडित रमेश स्वामी
पंडित रमेश स्वामी को बेगार प्रथा के विरोध में चले जन आंदोलन के दौरान बस से कुचलकर अपना बलिदान देना पड़ा । इनका जन्म 1961 में भरतपुर जिले के भुसावर कस्बे में पंडित जुगलकिशोर के घर हुआ ।
(62) कवि तेज
रियासतकालीन जन जागरण के सूत्रधारों में जैसलमेर के कवि तेज का प्रमुख स्थान था । इनके द्वारा रचित पुस्तक ‘नैना खसम’ तत्कालीन सामंती युग में कवि के साहस एवं ह्रदय में व्याप्त सुधार की भावना का घोतक है । इन्होंने जन जागरण हेतु 52 पदों की रचना की जो ‘स्वराज्य बावनी’ के रूप में विख्यात है ।
(63) रामनारायण शर्मा
रामनारायण शर्मा स्व. मघाराम के पुत्र थे । 1942 की 9 दिसंबर को रामनारायण बीकानेर में सबसे पहले राज्य के सभी प्रतिबंधों को तोड़कर तिरंगा झंडा फहराया । इन्होंने ‘क्रांति संदेश’ नाम का एक पाक्षिक पत्र का प्रकाशन और संपादन भी शुरू किया था ।
(64) रघुवर दयाल गोयल
गोयल की अध्यक्षता में सर्वसम्मति से बीकानेर राज्य प्रजा परिषद नामक एक राजनीतिक संस्था स्थापित की गई ।
(65) बाबा हरिश्चंद्र शास्त्री
जयपुर के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं जयपुर प्रजामंडल के उपाध्यक्ष जिन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में प्रजा मंडल की निष्क्रियता को छोड़कर अलग आजाद मोर्चे का गठन किया । 1945 में आजाद मोर्चा का पुन: प्रजामंडल में विलय हो गया ।
(66) श्री दौलतराम भंडारी
जयपुर के वरिष्ठ राजनेता एवं स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने 1930 में जयपुर में वकीलों को संगठित कर पहली बार ‘बार एसोसिएशन’ की स्थापना की ।
(67) ताड़केश्वर शर्मा
शेखावाटी किसान आंदोलन के वैचारिक सूत्रधार । 1929 ईस्वी में इन्होंने हस्तलिखित समाचार पत्र ‘ग्राम’ के प्रकाशन द्वारा अत्याचारी सामन्ती शासन के विरुद्ध विचार क्रांति का श्रीगणेश किया । 1934 में उन्होंने आगरा से ‘गणेश’ नामक समाचार पत्र प्रकाशित किए ।
(68) श्री घनश्यामदास बिड़ला
▶ मरूभूमि के मेघ व कांग्रेस के भामाशाह ।