आज राजस्थान के प्रमुख महिला स्वतंत्रता सेनानी (Woman Freedom fighter of Rajasthan in Hindi) की बात करेंगे ।

राजस्थान की आजादी में महिलाओं का योगदान
(1) कालीबाई
डूँगरपुर की 13 वर्षीय भील बालिका जिन्हें डूँगरपुर के रास्तापाल ग्राम की पाठशाला में अपने अध्यापक सेंगाभाई को मुक्त कराने के प्रयास में रियासती सैनिकों ने गोलियों से छलनी कर दिया । 21 जून 1947 को उसकी मृत्यु हो गई । गैब सागर के निकट पार्क में शहीद कालीबाई की मूर्ति प्रतिष्ठित हैं ।
(2) विजया बहन भावसार
एक विधवा ब्राह्मण नवयुवती जिनसे बाँसवाड़ा के प्रसिद्ध स्वतंत्र सेनानी श्री धूलजी भाई भावसार ने 1936 में विवाह कर अन्तर्जातीय व विधवा विवाह का आदर्श प्रस्तुत किया । श्रीमती विजया बहन के नेतृत्व में प्रजामंडल का सहयोगी संगठन ‘महिला मंडल’ गठित किया गया । बाँसवाड़ा शहर में हुए अनाज आंदोलन में इनके नेतृत्व में महिलाओं ने भी धारा 144 का उल्लंघन कर जुलूस निकाला ।
(3) अंजना देवी चौधरी
➡ राजस्थान की प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्री राम नारायण चौधरी की पत्नी जिन्होंने अपने पति के साथ अपनी सारी संपत्ति राष्ट्रीय सेवा के लिए गांधीजी के सामने अर्पित कर राष्ट्र सेवा का संकल्प लिया ।
➡ वह प्रथम कांग्रेसी महिला थी, जिसने सामन्ती अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोह किया ।
➡ उन्होनें बिजौलिया में 500 महिलाओं के जुलूस का नेतृत्व करते हुए गिरफ्तारी दी ।
➡ कांग्रेस के नमक सत्याग्रह (1930) के दौरान इन्हें 6 महीने का कारावास भुगतना पड़ा ।
➡ ये राजस्थान के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गिरफ्तार होने वाली राजस्थान की पहली महिला थी ।
➡ उन्होंने 1939 में सीकर में हुए सत्याग्रह का नेतृत्व किया ।
(4) श्रीमती सुमित्रा खेतान
राजस्थान चरखा संघ के मंत्री श्री मदनलाल खेतान की पत्नी जो 1939 के सत्याग्रह में केसरिया साड़ी पहने व कंधे पर हरा थैला तथा हाथों में तिरंगा झंडा लिए 2 वर्ष के बच्चे के साथ गिरफ्तार हुई और जेल गई ।
(5) दुर्गावती देवी शर्मा
शेखावाटी की महिला सत्याग्रहियों का प्रथम जत्था दुर्गावती देवी शर्मा के नेतृत्व में 18 मार्च 1939 को सत्याग्रह के लिए जयपुर पहुंचा । दुर्गावती देवी शर्मा झुंझुनू जिले के पचेरी बड़ी गाँव के स्वतंत्रता सेनानी पंडित ताड़केश्वर शर्मा की पत्नी थी ।
(6) नगेंद्र बाला
कोटा की स्वतंत्रता सेनानी व समाज सेविका जो 1941 से 1947 तक किसान आंदोलन में सक्रिय रही । ये राजस्थान की प्रथम जिला प्रमुख बनीं ।
(7) श्रीमती इंदुमती गोयनका
राजस्थानी मुल की कलकात्ता प्रवासी महिला श्रीमती इंदुमती गोयनका 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में बंगाल से गिरफ्तार होने वाली प्रथम राजस्थानी महिला थी ।
(8) श्रीमती जानकी देवी बजाज
➡ सेठ जमनालाल बजाज की धर्मपत्नी व राजस्थान के लक्ष्मणगढ़ कस्बे के मूल निवासी सेठ गिरधारी लालजी जाजोदिया की पुत्री जिनका जन्म 7 जनवरी 1893 को जावरा (मध्य प्रदेश) में हुआ था ।
➡ उन्होंने विनोबा भावे के सानिध्य में गौ सेवा का कार्य किया ।
➡ भूदान यज्ञ व कूपदान कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय भागीदारी के कारण भारत सरकार ने 1956 में जानकी देवी बजाज को ‘पद्म विभूषण’ से अलंकृत किया । पद्म विभूषण प्राप्त करने वाली ये राजस्थान की प्रथम महिला व प्रथम व्यक्तित्व थी ।
➡ 21 मार्च 1979 को वर्धा में उनका निधन हुआ ।
(9) श्रीमती किशोरी देवी
सरदार हरलालसिंह की धर्मपत्नी जिनके नेतृत्व में सीहोट के ठाकुर द्वारा जाट महिलाओं के साथ किए गए दुर्व्यवहार का विरोध करने के लिए 25 अप्रैल 1934 को कटराथल में हुए एक विशाल महिला सम्मेलन में 10,000 जाट महिलाओं ने भाग लिया । इस सम्मेलन की अध्यक्षा श्रीमती किशोरी देवी थी ।
(10) श्रीमती फूला देवी
झुंझुनू जिले के माण्डासी गांव के चौधरी आशाराम की पत्नी श्रीमती फूला देवी ने भी प्रजामंडल सत्याग्रह में महिलाओं के जत्थे का नेतृत्व किया था । 1932 में फूला देवी झुंझुनू में हुए जाट महाधिवेशन में अपनी पुत्रवधूओं के साथ आई और उन्होंने चंदे के रूप में अपने पैरों से चांदी के कड़े उतार कर दे दिए ।
(11) खेतूबाई
बीकानेर के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी मगाराम वेद्य की बहन , जो दूधवाखारा किसान आंदोलन में महिलाओं का नेतृत्व किया । उन्होंने जीवन पर्यंत खादी वस्त्र धारण करने का व्रत लिया ।
(12) लक्ष्मी देवी आचार्य
बीकानेर के स्वतंत्रता सेनानी श्री राम आचार्य की धर्मपत्नी जिन्होंने स्वतंत्र संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया । ये बीकानेर प्रजामंडल की संस्थापकों में से एक थी ।
(13) नारायणी देवी वर्मा
➡ राजस्थान के प्रसिद्ध स्वतंत्र सेनानी श्री माणिक्य लाल वर्मा की धर्मपत्नी जिनका राजस्थान की महिला स्वतंत्र सेनानी में अग्रणी स्थान है ।
➡ इनका जन्म मध्य प्रदेश के सिंगोली ग्राम में हुआ था ।
➡ उन्होंने देश में प्लेग महामारी के दौरान बहुत सहायता की ।
➡ 1939 में उन्होंने वर्माजी के जेल जाने पर मेवाड़ प्रजामंडल का संचालन भी किया ।
➡ उन्होंने 14 नवंबर 1944 को भीलवाड़ा में महिला आश्रम की स्थापना की ।
➡ 1952-53 में उन्होनें वर्माजी के साथ मिलकर आदिवासी कन्या महाविद्यालय की स्थापना की ।
➡ 1970 से 1976 तक राज्यसभा की सदस्य रही ।
➡ 12 मार्च 1977 को उनका निधन हो गया ।
(14) मणि बहन पंड्या
भोगीलाल पंड्या की धर्मपत्नी जिन्होंने अपने पति के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में बराबर सहयोग किया ।
(15) श्रीमती शकुन्तला त्रिवेदी
बाँसवाड़ा राज्य प्रजामंडल की गतिविधियों का संचालन करने के लिए श्रीमती शकुन्तला त्रिवेदी ने बांसवाड़ा में स्वयंसेवक दल का गठन किया व प्रजामंडल आंदोलन में हिस्सा लिया ।
(16) श्रीमती सत्यभामा
बूँदी के स्वतंत्रता सेनानी श्री नित्यानंद नगर की पुत्रवधू सत्यभामा को गाँधीजी की मानस पुत्री होने का सौभाग्य मिला ।
(17) श्रीमती शांता त्रिवेदी
राजस्थानी महिला जागरण की दिशा में कार्य करने में उनका अग्रणी स्थान है । उदयपुर में प्रजामंडल आंदोलन में स्वयंसेविका के रूप में भाग लिया ।
(18) श्रीमती भगवती देवी विश्नोई
भगवती देवी ने 1933-34 में अजमेर में नारेली आश्रम में रहकर हरिजन जातियों में समाज सुधार और शिक्षा प्रसार का कार्य किया था ।
(19) सत्यवती शर्मा
इनके नेतृत्व में महिलाओं का प्रथम जत्था मथुरा से भरतपुर सत्याग्रह करने पहुंचा । इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तथा इनके साथ आई उनकी दो बच्चियों को इनसे छीन कर अनाथ आश्रम में भेज दिया गया । 1939 से 1947 तक ये भरतपुर के प्रजामंडल आंदोलन में भाग लेते रहे ।
(20) सुशिला त्रिपाठी
ये अलवर में लोक जागरण के अग्रदूत श्री लक्ष्मणस्वरूप त्रिपाठी की पत्नी थी । इन्होंने अपने पति के साथ हिंदुस्तानी सेवा दल की शाखा को सहयोग दिया । 1933 में दिल्ली के चांदनी चौक में सत्याग्रह किया तथा 6 माह तक जेल गई ।
(21) रतन शास्त्री
1939 जयपुर राज्य प्रजामंडल के सत्याग्रह में सक्रिय भूमिका निभाई । पद्मश्री व पद्मभूषण से सम्मानित होने वाली यह राज्य की एकमात्र महिला है ।