भारत की नई शिक्षा नीति- 2020

New Education Policy 2020

भारत की नई शिक्षा नीति 2020 

🔸सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक पूर्व इसरो प्रमुख पद्म विभूषण डॉ. के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में शिक्षा समिति का गठन जून, 2017 में किया गया तथा मई, 2019 में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा” कैबिनेट को प्रस्तुत किया गया ।

🔸केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जुलाई 2020 को “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” (NEP-2020) को अपनी मंजूरी प्रदान की ।

New Education Policy 2020
New Education Policy 2020

🔸नई शिक्षा नीति 34 वर्ष पुरानी ” राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986″ का स्थान लेगी ।

🔸वर्तमान शिक्षा नीति 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है ।

🔸वर्ष 1968 और 1986 के बाद यह भारत की तीसरी शिक्षा नीति है ।

🔸नई शिक्षा नीति सतत् विकास लक्ष्य ( SDG) 2030 के अनुकूल है, जिसे भारत ने 2015 में अपनाया था ।

🔸NEP-2020 के तहत् केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा के क्षेत्र पर देश की कुल GDP का 6% हिस्सा शिक्षा पर व्यय किया जाएगा ।

नोट – कोठारी आयोग ने प्रथम शिक्षा नीति 1968 में इसकी अनुशंसा की थी, जिसे कभी लागू नहीं किया गया ।

शिक्षा मंत्रालय

🔸’मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ का नाम बदलकर अब “शिक्षा मंत्रालय” कर दिया है । हालांकि पहले यह मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय ही था जिसे 1985 में बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) किया गया था ।

प्रस्ताव: मुख्य बिंदु

स्कूली शिक्षा में बदलाव

🔸पहले के 10 + 2 फॉर्मेट को समाप्त कर अब 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर स्कूली पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा ।

चरण आयु  कक्षा स्तर
फाउंडेशन स्टेज 3 से 8 वर्ष आंगनबाड़ी/ नर्सरी
प्री प्रेटरी 8 से 11 कक्षा 3 से 5
मध्यम स्तर 11 से 14 वर्ष कक्षा 6 से 8
अंतिम स्तर 14 से 18 वर्ष कक्षा 9 से 12

  🔸ECCE शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए NCERT द्वारा छह माह ( जो आंगनबाड़ी कर्मचारी 10+2 या अधिक योग्यता ) एवं 1 वर्ष ( जो कर्मचारी कम शैक्षणिक योग्य ) का डिप्लोमा कार्यक्रम कराया जाएगा ।

🔸पहले सरकारी स्कूलों में प्री स्कूलिंग नहीं होती थी, बच्चा 6 वर्ष की आयु से पढ़ना प्रारम्भ करता था लेकिन अब 3 वर्ष से ही शिक्षा ECCE ( Early Childhood Care and Education ) द्वारा प्रारंभ (आंगनबाड़ी के माध्यम से )

🔸कक्षा 5 तक की पढ़ाई मातृ या स्थानीय भाषा में कराई जाएगी जिससे अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता अब नहीं रहेगी ।

🔸छठी कक्षा से वोकेशनल और कौशल शिक्षा की शुरुआत की जाएगी , जिसमें छात्र विशेष रूचि के क्षेत्र की स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कर सकेगा ताकि भविष्य में रोजगार के मामले में कोई समस्या ना आए ।

🔸पहले जहां कक्षा 11 से विषय चुन सकते थे अब छात्रों को कक्षा 9 से विषय चुनने की आजादी रहेगी ।

🔸कक्षा 9 से 12 की पढ़ाई में किसी विषय के प्रति गहरी समझ तथा बच्चों की विश्लेषणात्मक क्षमता को बढ़ाकर जीवन में बड़े लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा ।

🔸10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव कर अब वर्ष में दो बार (सेमेस्टर प्रणाली द्वारा) ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव फॉर्मेट में परीक्षा होगी।

➡त्रि-भाषा फार्मूला

(१) स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को विकल्प के रूप में चुनने का अवसर होगा ।

(२) “एक भारत श्रेष्ठ भारत” पहल के तहत् कक्षा 6 से 8 के दौरान किसी समय भारत की भाषाओं पर एक आनंददायक गतिविधि में भाग लेना होगा ।

(३) विद्यार्थियों को अब नौवीं कक्षा से विदेशी भाषाओं को भी सीखने का विकल्प रहेगा ।

🔸स्कूलों से कला, विज्ञान, वाणिज्य का स्ट्रीम सिस्टम समाप्त कर रुचि के विषय पढ़ने की छूट ।

🔸स्कूलों को कॉन्प्लेक्स कर कुशल संसाधन और प्रभावी गवर्नेंस का प्रयास ।

रिपोर्ट कार्ड

🔸छात्र के अंतिम परिणाम में उसके व्यवहार, अन्य पाठ्य सहगामी क्रियाओं तथा मानसिक क्षमताओं का भी ध्यान रखा जाएगा । रिपोर्ट कार्ड 360° Assessment के आधार पर तैयार किया जाएगा ।

शिक्षक

🔸नेशनल मेंटरिंग प्लान – इससे शिक्षकों का उन्नयन किया जाएगा ।

🔸सिस्टम को प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए भर्ती किया जाएगा तथा पदोन्नति भी अब योग्यता आधारित होगी ।

🔸शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् द्वारा वर्ष 2022 तक राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (NPST) तैयार किया जाएगा ।

🔸प्रत्येक स्कूल में शिक्षक छात्रों का अनुपात (PTR) 30:1 से कम हो तथा सामाजिक- आर्थिक रूप से वंचित बच्चों की अधिकता वाले क्षेत्रों के स्कूलों में अनुपात 25:1 से कम हो ।

🔸प्रत्येक शिक्षक से अपेक्षित होगा कि वह स्वयं व्यवसायिक विकास के लिए स्वेच्छा से प्रत्येक वर्ष 50 घंटों का सतत् व्यवसायिक विकास कार्यक्रम में हिस्सा लें ।

🔸शिक्षकों को गैर- शिक्षण गतिविधियों से संबंधित कार्यों में शामिल न करने का सुझाव ।

🔸संविदा शिक्षक रखने की बजाय नियमित शिक्षक भर्ती करने पर जोर ( जेएस वर्मा कमेटी की सिफारिश के अनुसार )

उच्च शिक्षा (Higher Education)

🔸बहु- स्तरीय प्रवेश एवं निकासी वर्तमान में 3 या 4 वर्ष की डिग्री कोर्स में कोई छात्र किसी कारणवश पढ़ाई बीच में छोड़ देता है, तो उसकी डिग्री न मिलने से यह पढ़ाई बेकार हो जाती है , लेकिन अब 1 वर्ष की पढ़ाई पर सर्टिफिकेट, 2 वर्ष में डिप्लोमा तथा 3 या 4 वर्ष के बाद डिग्री मिलेगी ।

🔸एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट – इसमें विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखा जाएगा तथा उनके प्रदर्शन के आधार पर प्रमाण पत्र मिलेगा ।

🔸3 वर्ष की ग्रेजुएशन डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन में नहीं जाना ।

🔸शोध अध्ययन करने वालों के लिए ग्रेजुएशन डिग्री अब 4 वर्ष की होगी ।

🔸पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में 1 वर्ष पश्चात पढ़ाई छोड़ने का विकल्प रहेगा तथा 5 साल का संयुक्त ग्रैजुएट- मास्टर कोर्स लाया जाएगा ।

🔸कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) – उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एग्जाम होगी जिसे राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी करवाएगी । संस्था के लिए प्रवेश एग्जाम अनिवार्य नहीं है ।

🔸अभी केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय और प्राइवेट विश्वविद्यालय के लिए अलग-अलग नियम है, इन्हें अब एक समान बनाया जाएगा ।

🔸UGC,NCTE तथा ACTE को समाप्त कर एक रेगुलेटरी बॉडी बनेगी ।

🔸कॉलेजों को स्वायत्तता दी जाएगी तब 15 वर्ष में विश्वविद्यालयों से सम्बद्धता की प्रक्रिया पूरी तरह से समाप्त होगी ।

🔸सर्वश्रेष्ठ भारतीय विश्वविद्यालयों को अन्य देशों में परिसर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, चुनिंदा विश्वविद्यालयों को भारत में संचालित करने की अनुमति दी जाएगी ।

उच्चतर शिक्षा आयोग

🔸यह संपूर्ण उच्च शिक्षा का सर्वोच्च निकाय होगा तथा इसमें मेडिकल और कानूनी शिक्षा को शामिल नहीं किया जाएगा ।

🔸वर्ष 2040 तक सभी वर्तमान उच्चतर शिक्षा संस्थानों का उद्देश्य अपने आप को बहु-विषयक संस्थानों के रूप में स्थापित करना होगा ।

🔸वर्ष 2030 तक प्रत्येक जिले में या उसके समीप कम से कम एक बड़ा बहु- विषयक उच्चतर शिक्षा संस्थान होगा ।

🔸वर्ष 2030 तक प्रत्येक जिले में एक उच्च शिक्षण संस्थान का निर्माण ।

🔸उच्च शिक्षण संस्थानों का बहु- विषयक संस्थानों में रूपांतरण ।

अनुसंधान-

🔸नई नीति में एमफिल समाप्त

🔸पीएचडी के लिए 4 वर्षीय ग्रेजुएशन फिर M.A उसके बाद एमफिल की अनिवार्यता समाप्त ।

🔸नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) – सभी तरह के वैज्ञानिक एवं सामाजिक अनुसंधानों पर नियंत्रण रखेगा ।

लक्ष्य-

🔸वोकेशनल शिक्षा सहित उच्च शिक्षा में सकल नामांकन दर को वर्ष 2018 के 26. 3% से बढ़ाकर वर्ष 2035 तक 50% तक करना ।

🔸100% युवा और वयस्क साक्षरता प्राप्त करना ।

🔸वर्ष 2025 तक कक्षा तीन तक के छात्रों को मूलभूत साक्षरता तथा अंकज्ञान (NMSL- National Mission on Foundational Literacy &Numeracy) सुनिश्चित किया जाएगा ।

🔸बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए स्वास्थ्य कार्ड जारी कर सभी स्कूली बच्चों को 100% टीकाकरण होगा ।

महत्वपूर्ण प्रश्न ( Q & A) New Education Policy 2020

Q. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा क्षेत्र में देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कि कितने प्रतिशत हिस्से के बराबर निवेश का प्रस्ताव किया गया है ?

Ans- 6%

Q. नई शिक्षा नीति 2020 अब किस शिक्षा नीति का स्थान लेगी ?

Ans- 1986

Q. भारत में अब तक कितनी बार शिक्षा नीति में परिवर्तन किया जा चुका है ?

Ans- तीन बार

Q. कैबिनेट द्वारा नवीन शिक्षा नीति के तहत “मानव संसाधन विकास मंत्रालय” का नाम बदलकर अब क्या कर दिया है ?

Ans- शिक्षा मंत्रालय

Q. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अध्यक्ष कौन हैं ?

Ans- के कस्तूरीरंगन

Q. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई को किस फार्मूले द्वारा चार चरणों में बांटने का प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूर किया है ?

Ans- 5+3+3+4

Q. किस कक्षा स्तर के पश्चात बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल विकास की शिक्षा का प्रस्ताव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में किया गया है ?

Ans- कक्षा 6 से

Q. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत् किस कक्षा स्तर के पश्चात छात्रों को अब विषय चयन की स्वतंत्रता रहेगी ?

Ans- कक्षा 9

Q. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को कितने स्तंभों पर आधारित बताया है ?

Ans- 5

Q. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार ECCE ( प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा ) की उपलब्धता किस आयु वर्ग के बच्चों के लिए रहेगी ?

Ans- 3 से 6 वर्ष

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