Samas Grammer Vyakaran In Hindi
समास (Samas) शब्द सम् + आस शब्द से मिलकर बना है , जिसका अर्थ है – शब्दों के परस्पर निकट बैठने से उत्पन्न व्यापक अर्थ ‘
समास का तात्पर्य है “संक्षिप्तीकरण”
दो या दो से अधिक शब्दों (पदों) के परस्पर संयोग को समास कहते हैं ।
दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बनाते हैं तो उस मेल को समास कहते है ।
उदाहरण :
- विद्यामंदिर- विद्या का मंदिर
- रामकृष्ण – राम और कृष्ण
परस्पर संबंध बताने वाले समास युक्त शब्द को समास पद या समस्त पद कहते हैं , जबकि इनको अलग- अलग करने की पद्धति समास विग्रह कहलाती है ।
समास के भेद (प्रकार)- Types of Samas in Hindi Grammar
Samas Ke Bhed: समास के निम्नलिखित 6 भेद होते हैं –
1) अव्ययीभाव समास ( Adverbial compound)
2)तत्पुरुष समास (Determinative Compound)
3)द्विगु समास ( Numeral Compound)
4)द्वंद्व समास (Dialectic Compound)
5)कर्मधारय समास (Appositional Compound)
6)बहुव्रीहि समास ( Attributive Compound)
1) अव्ययीभाव समास ( Avyayibhav Samas)
उपसर्ग एवं अव्यय से उत्पन्न होने वाले समस्त पद अव्ययीभाव समास कहलाते हैं ।
उदाहरण : –
- प्रतिदिन – दिन दिन
- प्रतिवर्ष – वर्ष वर्ष
- यथाविधि- विधि के अनुसार
- यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
- अभियोग – योग के योग्य
- प्रत्येक – एक एक
- आजन्म – जन्म पर्यंन्त
- आज्ञानुसार – आज्ञा के अनुसार
- आमरण – मरण तक
- प्रतिपल – हर पल
- अनजाने – बिना जानकार
- भरपेट – पेट भरकर
2) तत्पुरुष समास ( Tatpurush Samas)
जिस समास में पहले पद की विभक्ति का लोप हो और दूसरा पद प्रधान हो , उसे तत्पुरुष समास कहते हैं ।
इसमें कर्ता और संबोधन कारक को छोड़कर शेष छ: कारक चिन्ह का प्रयोग होता है – कर्म कारक, करण कारक, सम्प्रदान कारक ,अपादान कारक, सम्बंध कारक, अधिकरण कारक
उदाहरण :-
कर्म तत्पुरुष (को) –
- मुँहतोड़ – मुँह को तोड़ने वाला
- नरभक्षी – नरों को भक्षित करने वाला
- शरणागत -शरण को आया हुआ
- सर्वज्ञ – सर्व को जानने वाला
- पक्षधर – पक्ष को धारण करने वाला
- गगनचुंबी – गगन को चूमने वाला
- यशप्राप्त – यश को प्राप्त
- कमरतोड़ – कमर को तोड़ने वाला
करण तत्पुरुष (से,द्वारा)
- रेखांकित – रेखा के द्वारा अंकित
- शोकाकुल – शौक से आकुल
- मदमत्त – मद से मत्त हुआ
- सूरकृत – सूर द्वारा कृत
- हस्तलिखित – हस्त द्वारा लिखित
- मदांध – मद से अंधा
- रत्नजड़ित – रत्न से जड़ित
- वयोवृद्ध – उम्र से बुड्ढा
सम्प्रदान तत्पुरुष (के लिए )
- गौशाला – गो के लिए शाला
- विद्यालय – विद्या के लिए आलय
- कारागृह – कारा के लिए गृह
- मालगोदाम – माल के लिए गोदाम
- विधानसभा – विधान के लिए सभा
- शपथपत्र – शपथ के लिए पत्र
- न्यायालय – न्याय के लिए आलय
अपादान तत्पुरुष (से )
- जन्मांध – जन्म से अंधा
- पदच्युत – पद से च्युत
- नेत्रहीन – नेत्र से हीन
- ऋणमुक्त – ऋण से मुक्त
- राजद्रोह -राजा से द्रोह
- सेवानिवृत्त – सेना से निवृत
सम्बन्ध तत्पुरुष (का ,के ,की )
- राजसभा – राजा की सभा
- सेनापति – सेना का पति
- भूकंप – भू का कंप
- रामचरित- राम का चरित्र
- कन्यादान – कन्या का दान
- रघुवंश – रघु का वंश
अधिकरण तत्पुरुष (में ,पर )
- कविराज – कवियों में राजा
- मुनिश्रेष्ठ – मुनियों में श्रेष्ठ
- ग्रामवास – ग्राम में वास
- वनवास – वन में वास
- कर्माधीन – कर्म पर आधीन
- आपबीती- अपने पर बीती
- सिरदर्द – सिर में दर्द
3) द्विगु समास ( Dvigu Samas)
जिस समास में पहला पद संख्यावाचक होता है, वहाँ द्विगु समास होता है । इस समास में विग्रह करते समय संख्यावाचक शब्द के साथ ‘समूह’ लिखना पड़ता है ।
उदाहरण :-
- दोपहर – दो पहरों का समूह
- चतुर्वेद – चार वेदों का समूह
- त्रिभुवन – तीन भुवनों का समूह
- सप्तर्षी – सात ऋषियों का समूह
- नवरात्र – नौ रात्रों का समूह
- शताब्दी – सौ अब्दों (वर्षों) का समय
- पंचवटी – पाँच वृक्षों का समूह
- त्रिलोकी – तीन लोकों का समूह
- त्रिफला – तीन फलों का समूह
- अठन्नी – आठ आनों का समूह
- सप्तसिन्धु – सात सिन्धुओं का समूह
4) द्वंद्व समास ( Dvandva Samas)
इस समास में दोनों पद समान रूप से प्रधान होते हैं और उनके बीच में “या” अथवा “और” शब्द का लोप हो जाता है ।
उदाहरण :-
- अन्न-जल – अन्न और जल
- दिन- रात – दिन और रात
- धर्माधर्म – धर्म और अधर्म
- गुण- दोष – गुण और दोष
- राधा- कृष्ण – राधा और कृष्ण
- पच्चीस – पाँच और बीस
- हरिहर – हरि और हर
- लाभालाभ – लाभ या अलाभ
- शीतोष्ण – शीत और उष्ण
5) कर्मधारय समास ( Karmadharaya Samas)
जिस समास में पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य हो उसे कर्मधारय समास कहते हैं ।
उदाहरण :-
- नीलकमल- नीला है जो कमल
- सर्वोत्तम – सर्व में है जो उत्तम
- महापुरुष – महान है जो पुरुष
- चरणकमल -चरण जैसे कमल
- महात्मा – महान है जो आत्मा
- मुखचंद्र – मुख रूपी चंद्रमा
- कमलनयन – कमल के समान नयन
- महर्षि – महान है जो ऋषि
- विद्याधन – विद्या रूपी धन
- शिष्टाचार – शिष्ट है जो आचार
- नवयुवक – नव है जो युवक
- पूर्णांक – पूर्ण है जो अंक
6) बहुव्रीहि समास ( Bahuvrihi Samas)
जहां कोई पद प्रधान न हो और समस्त पद के दोनों शब्द मिलकर कोई नया अर्थ निकलता हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं ।
उदाहरण :-
- चतुरानन- चतुर है आनंद जिसके वह (ब्रह्मा)
- वीणापाणी- वीणा है पाणि में जिसके वह (सरस्वती )
- दशानन – दश है आनन जिसके (रावण )
- लंबोदर – लंबा है उदर जिसका (गणेश )
- घनश्याम- घन के समान श्याम (कृष्ण )
- षडानन – छ: है आनंद जिसके (कार्तिकेय )
- त्रिनेत्र – तीन नेत्र हैं जिनके (शंकर )
- वज्रपाणि – वज्र है जिनके पाणी में (इंद्र )
- मनोज – मन से उत्पन्न होता है जो (कामदेव )
- हलधर – वह जो हल को धारण करता है (बलराम )
- पीताम्बर- पीत हैं अम्बर जिसके ( विष्णु )