Rajasthan me Prajamandal Aandolan

राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन | Rajasthan me Prajamandal Aandolan

आज हम राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन (Rajasthan me Prajamandal Aandolan) की बात करेंगे ।

Rajasthan Prajamandal Aandolan in Hindi

प्रजामंडल की स्थापना का उद्देश्य :- रियासती कुशासन व उसमें व्याप्त बुराइयों को समाप्त कर नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना , रियासतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना करना ।

हरिपुरा अधिवेशन :- सन् 1938 में सुभाष चंद्र बोस की अध्यक्षता में कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन में रियासतों की जनता को अपने-अपने राज्यों में उत्तरदायी शासन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र संगठन बनाकर आंदोलन करने और जनजागृति फैलाने का अह्नान किया गया । जवाहर लाल नेहरू अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद के अध्यक्ष बने । इस अधिवेशन में कांग्रेस ने पहली बार निर्णय लिया कि कांग्रेस को रियासती जनता के संघर्ष में साथ देना चाहिए ।

1. जयपुर प्रजामंडल (1931) –

  • यह राजस्थान का प्रथम प्रजामंडल था ।
  • जयपुर में राजनीतिक जागृति का सर्वप्रथम संगठित प्रयास करने का श्रेय अर्जुन लाल सेठी को है ।
  • पंडित हीरालाल शास्त्री के प्रेरणा से ‘जयपुर हितकारिणी सभा’ का गठन किया गया था । इसके अध्यक्ष बालचंद शास्त्री और मंत्री केसरलाल कटारिया थे ।
  • ठाकुर कल्याण सिंह खाचरियावास , श्याम लाल वर्मा आदि के नेतृत्व में 1922 में जयपुर में हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए आंदोलन चलाया गया ।
  • 5 अप्रैल 1931 को जयपुर नगर में मेवाड़ के भील नेता मोतीलाल तेजावत की मुक्ति के लिए ‘मोतीलाल दिवस’ मनाया गया ।
  • 1931 ईस्वी में श्री कपूरचंद पाटनी एवं श्री जमनालाल बजाज के प्रयासों से ‘जयपुर प्रजामंडल’ की स्थापना की गई ।
  • 1936 ईस्वी में सेठ जमुनालाल बजाज के प्रयासों से व श्री हीरालाल शास्त्री के सहयोग से जयपुर राज्य प्रजामंडल’ का पुनर्गठन किया गया । जयपुर के श्री चिरंजीलाल मिश्र को उसका अध्यक्ष बनाया गया ।
  • सन् 1938 में श्री जमनालाल बजाज जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष निर्वाचित किए गए । उनकी अध्यक्षता में जयपुर में 8 व 9 मई 1938 को प्रजामंडल का प्रथम अधिवेशन हुआ । इस अधिवेशन में कस्तूरबा गांधी ने भाग लिया ।
  • 1939 में जयपुर प्रजामंडल को अवैध घोषित कर दिया गया ।
  • 18 मार्च 1939 को जयपुर में श्रीमती दुर्गावती देवी शर्मा के नेतृत्व में महिला सत्याग्रह शुरू हुआ ।
  • 1940 में जयपुर प्रजामंडल का पंजीकरण हुआ तथा हीरालाल शास्त्री को अध्यक्ष बनाया गया ।
  • जेन्टलमेन्स एग्रीमेंट (17 सितंबर 1942 ) :- जयपुर प्रजामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष श्री हीरालाल शास्त्री रियासत के प्रधानमंत्री से मिर्जा इस्माइल के मध्य एक समझौता हुआ , जिसके तहत महाराजा ने राजकाज में जनता को शामिल करने की अपनी नीति का उल्लेख किया तथा हीरालाल शास्त्री ने जयपुर प्रजामंडल को भारत छोड़ो आंदोलन से पूर्णत: अलग रखा ।
  • इस समझौते के विरोध में बाबा हरिश्चंद्र ने एक नए संगठन ‘आजाद मोर्चे’ का गठन कर जयपुर में भारत छोड़ो आंदोलन का शुभारंभ कर दिया ।
  • 1946 में जयपुर रियासत द्वारा देवीशंकर तिवारी को प्रथम गैर सरकारी सदस्य के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया । इस प्रकार जयपुर राज्य राजस्थान का पहला राज्य बना जिसने अपने मंत्रिमंडल में गैर सरकारी सदस्य नियुक्त किया ।
  • 1 मार्च 1948 को जयपुर के प्रधानमंत्री वी टी कृष्णामाचारी ने संविधानिक सुधारों की घोषणा की ।
  • 30 मार्च 1949 को जयपुर रियासत को विलय कर दिया गया ।

2. बूँदी प्रजामंडल (1931) –

  • 1931 में श्री कांतिलाल द्वारा स्थापित ।
  • 19 जुलाई 1944 को ऋषिदत्त मेहता ने बृजसुन्दर शर्मा के सहयोग से बूंदी राज्य लोक परिषद का गठन किया ।

3. मारवाड़ प्रजामंडल (1934) –

  • संस्थापक – जयनारायण व्यास , भंवरलाल सर्राफ , आनंद राज सुराणा , अभयमल जैन, अचलेश्वर प्रसाद शर्मा , चाँदमल सुराणा , रणछोड़ दास गट्टानी , मथुरादास माथुर , इन्द्रमल जैन ।
  • 1915 में ‘मरूधर मित्र हितकारिणी सभा’ नामक प्रथम राजनीतिक संगठन की स्थापना की गई ।
  • 1920 में जयनारायण व्यास ने ‘मारवाड़ सेवा संघ’ की स्थापना की ।
  • 1921 में मारवाड़ हितकारिणी सभा का गठन किया गया ।
  • सर सुखदेव प्रसाद ने एक नया संगठन ‘राजभक्त देश हितकारिणी सभा’ बनाया ।
  • 1929 में जयनारायण व्यास ने अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद की जोधपुर इकाई ‘मारवाड़ राज्य लोक परिषद’ की स्थापना की
  • 10 मई 1931 को जयनारायण व्यास ने मारवाड़ यूथ लीग की स्थापना की ।
  • 1931 में ही ‘बाल भारत सभा’ नामक एक नई संस्था का गठन किया गया ।
  • गणेशीलाल व्यास ‘उस्ताद’ ने सरकारी नौकरी छोड़ कर अपनी कविताओं के संग्रह ‘गरीबों की आवाज’ के माध्यम से जनजागृति फैलाने का कार्य किया ।
  • 24-25 नवंबर 1931 को ‘मारवाड़ राज्य लोक परिषद’ का प्रथम अधिवेशन कस्तूरबा गांधी की अध्यक्षता में पुष्कर में आयोजित हुआ । इसके सभापति चांदकरण शारदा थे ।
  • 1934 में भंवरलाल सर्राफ की अध्यक्षता में जोधपुर प्रजामंडल (मारवाड़ प्रजामंडल) की स्थापना की गई । अभयमल जैन को इसका मंत्री बनाया गया ।
  • सन् 1936 में कृष्णा दिवस मनाया गया ।
  • 21 जून 1936 को जोधपुर शिक्षा दिवस मनाया गया ।
  • 20 नवम्बर 1937 को जोधपुर प्रजामंडल को अवैध घोषित कर दिया गया ।
  • 23 जनवरी 1938 को सुभाष चंद्र बोस जोधपुर पहुँचे ।
  • 16 मई 1938 ईस्वी को ‘मारवाड़ लोक परिषद’ नामक संगठन की स्थापना की जिसमें रणछोड़ दास गट्टानी को अध्यक्ष चुना गया ।
  • इसके विरोध में वकील गणेशदास बोहरा ने 20 मई 1938 को ‘श्री राजभक्त देश हितकारिणी सभा’ की स्थापना की ।
  • फरवरी 1939 ईस्वी में मारवाड़ सरकार ने जयनारायण व्यास के राज्य में प्रवेश पर लगाए गए सब प्रतिबंध हटा दिए गए । जयनारायण व्यास पर लगे प्रतिबंध को हटवाने में बीकानेर के महाराजा गंगासिंह का काफी योगदान था ।
  • 28 मार्च 1941 को मारवाड़ में उत्तरदायी शासन दिवस मनाया गया ।
  • जोधपुर नगर पालिका के चुनाव 7-8 जून 1941 को हुए । श्री जय नारायण व्यास जोधपुर नगर पालिका के प्रथम अध्यक्ष निर्वाचित हुए ।
  • 19 जून 1942 को बालमुकुंद बिस्सा जोधपुर जेल में शहीद हो गए ।
  • मारवाड़ लोक परिषद ने 14 नवंबर 1947 को विधानसभा विरोध दिवस मनाया ।
  • 23 अक्टूबर 1945 को जवाहरलाल नेहरू जोधपुर आये ।
  • संविधान सभा में जोधपुर से सी एम वेंकटाचारी एवं जयनारायण व्यास को प्रतिनिधि बनाकर भेजा गया ।
  • 3 मार्च 1948 को राज्य में प्रथम लोकप्रिय मिली-जुली मंत्रिमंडल का गठन किया गया । जयनारायण व्यास प्रधानमंत्री व माधोसिंह दीवान बनाए गए ।
  • 30 मार्च 1949 को जोधपुर राज्य को वृहत राजस्थान में शामिल कर लिया गया ।

4. हाड़ौती (कोटा) प्रजामंडल (1934, 1938) –

  • प्रथमत: हाड़ौती प्रजामंडल के नाम से 1934 में पंडित नयनूराम शर्मा व प्रभुलाल विजय द्वारा स्थापित किया गया ।
  • 1938 में पंडित नयनूराम शर्मा , अभिन्न हरि व तनसुखलाल मित्तल के प्रयत्नों से कोटा प्रजामंडल स्थापित किया गया ।
  • नयनूराम शर्मा कोटा में जनजागृति के जनक थे ।

5. सिरोही प्रजामंडल (1934, 1939) –

  • 1934 में मुंबई में बुद्धि शंकर त्रिवेदी तथा भीम शंकर त्रिवेदी (अध्यक्ष) द्वारा सिरोही प्रजामंडल की स्थापना की गई ।
  • 23 जनवरी 1939 को श्री गोकुलभाई भट्ट के निर्देशन में सिरोही प्रजामंडल का मुख्यालय मुंबई से सिरोही में स्थानांतरित किया गया ।

6. बीकानेर प्रजामंडल (4 अक्टूबर 1936 ) –

  • संस्थापक – मघाराम वैद्य
  • उस समय बीकानेर में महाराजा गंगासिंह का शासन था ।
  • 1937 में कोलकाता में निवास करने वाले बीकानेर राज्य के निवासियों ने मघाराम वैद्य , लक्ष्मी देवी आचार्य और श्री राम आचार्य आदि कार्यकर्ताओं के सहयोग से कोलकाता में बीकानेर राज्य प्रजामंडल की स्थापना की । इसका अध्यक्ष लक्ष्मी देवी आचार्य को बनाया गया ।
  • रावतमल पारीक के घर 22 जुलाई 1942 को वकील बाबू रघुवर दयाल गोयल के नेतृत्व में ‘बीकानेर राज्य प्रजा परिषद’ की स्थापना की गई । इसका अध्यक्ष श्री रघुवरदयाल गोयल को बनाया गया ।
  • 1 जुलाई 1946 को रायसिंहनगर हत्याकांड में बीरबल हरिजन शहीद हुए ।
  • विजयसिंह मेहता ने नादिरशाही पुस्तक लिखी ।
  • महाराजा गंगासिंह दूसरे गोलमेज सम्मेलन में देशी राज्यों के प्रतिनिधि के रूप में लंदन गए । बीकानेर राज्य के राजनीतिक कार्यकर्ताओं से प्राप्त सूचना के आधार पर बीकानेर एक दिग्दर्शन नामक ज्ञापन तैयार करके सम्मेलन के सदस्यों में बांटा गया ।
  • 17 दिसंबर 1933 को बीकानेर दिवस मनाया गया ।
  • चूरू में स्वामी गोपालदास ने पंडित कन्हैयालाल व श्रीराम मास्टर के सहयोग से सर्वहितकारिणी सभा की स्थापना की । इस सभा ने लड़कियों के लिए पुत्री पाठशाला और अछूतों को शिक्षा के लिए कबीर पाठशाला प्रारंभ की ।
  • 28 अप्रैल 1947 को बीकानेर के प्रतिनिधि के एम पन्निकर ने संविधान निर्मात्री सभा में स्थान ग्रहण किया ।

7. भरतपुर प्रजामंडल (4 मार्च 1938)-

  • किशनलाल जोशी संस्थापक तथा इसका अध्यक्ष श्री गोपीलाल यादव को बनाया गया ।
  • 25 अक्टूबर 1939 को प्रजामंडल का नाम बदलकर ‘भरतपुर प्रजा परिषद’ रख दिया गया ।
  • भरतपुर में महिला सत्याग्रह का नेतृत्व श्रीमती सरस्वती बोहरा ने किया ।
  • भरतपुर प्रजामंडल के नेता जुगल किशोर चतुर्वेदी को ‘दूसरा जवाहरलाल नेहरू’ व गोकुल वर्मा को ‘शेर ए भरतपुर’ कहा जाता है ।

8. शाहपुरा प्रजामंडल (18 अप्रैल 1938 )

  • संस्थापक – श्री रमेश चंद्र ओझा , लादूराम व्यास , अभयसिंह डांगी व श्री माणिक्य लाल वर्मा । अभयसिंह डांगी इसके अध्यक्ष बने ।
  • शाहपुरा प्रथम देशी व एकमात्र राजपूताना रियासत थी , जहाँ सर्वप्रथम जनतांत्रिक व पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना हुई ।

9. मेवाड़ (उदयपुर) प्रजामंडल (24 अप्रैल 1938 ) –

  • माणिक्य लाल वर्मा संस्थापक तथा बलवंत सिंह मेहता इसके अध्यक्ष थे ।
  • मेवाड़ प्रजामंडल प्रथम प्रतिबंध 1938 में मेवाड़ के प्रधानमंत्री धर्म नारायण काक द्वारा लगाया गया ।
  • माणिक्य लाल वर्मा ने मेवाड़ का वर्तमान शासन पुस्तक की रचना की ।
  • श्री भुरेलाल बया को सराड़ा किले (मेवाड़ का काला पानी) में नजरबंद कर दिया गया ।
  • 25-26 नवंबर 1941 को माणिक्य लाल वर्मा की अध्यक्षता में पहला अधिवेशन आयोजित किया जिसका उद्घाटन आचार्य जे बी कृपलानी ने किया । इस सम्मेलन में कांग्रेस की ओर से विजयालक्ष्मी पंडित ने भाग लिया ।
  • मेवाड़ प्रजामंडल ने बेगार एवं बलेठ प्रथा के विरुद्ध अभियान चलाया ।
  • उदयपुर के सलेटियां मैदान में ‘अखिल भारतीय देशी लोक राज्य परिषद’ के छठवें अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू अध्यक्ष निर्वाचित हुए ।

10. अलवर प्रजामंडल (1938 ) –

  • संस्थापक- हरिनारायण शर्मा , कुंज बिहारी लाल मोदी , मास्टर भोलानाथ , भवानी शंकर शर्मा ।
  • महाराजा जयदेवसिंह इस राष्ट्रीय आंदोलन के प्रति सहानुभूति का भाव रखते थे । इन्होंने स्वदेशी कपड़ा पहनने का प्रण लिया । अंग्रेज सरकार ने महाराजा को अलवर छोड़कर इंग्लैंड जाने की आज्ञा दी ।

11. धौलपुर प्रजामंडल (1936) –

  • संस्थापक – कृष्ण दत्त पालीवाल व ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु ।
  • 11 अप्रैल 1947 को तसीमों हत्याकांड में 2 शहीद हुए – छतरसिंह परमार व ठाकुर पंचम सिंह कुशवाहा ।
  • धौलपुर में जनजागृति का श्रेय यमुनाप्रसाद वर्मा को दिया जाता है । धौलपुर में 1910 ईस्वी में इनके द्वारा आचार सुधारिणी सभा की स्थापना हुई ।

12. करौली प्रजामंडल (1939 ) –

  • श्री त्रिलोकचंद माथुर , चिरंजीलाल शर्मा व कुँवर मदनसिंह द्वारा गठित ।

13. किशनगढ़ प्रजामंडल (1939 ) –

  • श्री कांतिलाल चौथानी एवं श्री जमालशाह द्वारा स्थापित ।

14. कुशलगढ़ प्रजामंडल (अप्रैल, 1942 )

  • श्री भंवरलाल निगम (अध्यक्ष) व कन्हैया लाल सेठिया द्वारा गठित ।

15. डूँगरपुर प्रजामंडल (1944 ) –

  • डूंगरपुर में श्री भोगीलाल पंड्या व श्री गौरी शंकर उपाध्याय द्वारा वागड़ सेवा मंदिर की स्थापना की गई ।
  • बाबा लक्ष्मण दास व श्री शोभालाल गुप्त द्वारा सागवाड़ा में हरिजन आश्रम की स्थापना की गई ।
  • श्री माणिक्यलाल वर्मा द्वारा सागवाड़ा में खांदलाई आश्रम की स्थापना की गई ।
  • श्री भोगीलाल पांड्य द्वारा डूंगरपुर में सेवा संघ की स्थापना की गई ।
  • हरिजन सेवा हेतु श्री रामनारायण चौधरी ने ‘राजपूताना हरिजन सेवा संघ’ की स्थापना की गई । इसी उद्देश्य से अजमेर के समीप नारेली आश्रम की स्थापना हुई थी ।
  • डूंगरपुर में खादी कार्य के प्रसार के लिए श्री गौरी शंकर उपाध्याय द्वारा सेवाश्रम स्थापित की गई ।
  • 26 जनवरी 1944 को श्री भोगीलाल पांड्य की अध्यक्षता में डूंगरपुर प्रजामंडल की स्थापना की गई ।
  • मई,1947 में डूंगरपुर के ग्राम पूनावाड़ा की पाठशाला में अध्यापक शिवराम भील को घोर यातनाएं दी गई ।
  • डूंगरपुर सरकार राजस्थान की ऐसी पहली सरकार थी जिसने शिक्षण व विद्यालय संचालन को दंडनीय अपराध मान कर कठोर दमन की नीति अपनाई ।
  • डूंगरपुर रियासत में राष्ट्रीय चेतना के प्रवाह की स्रोत बनी रास्तापाल की सेवा संघ द्वारा संचालित पाठशाला को राज्य द्वारा बंद कराने का विरोध करने पर नानाभाई खाँट 19 जून 1947 को 13 वर्षीय बालिका कालीबाई 21 जून 1947 को अध्यापक सेंगाभाई को बचाने के खातिर शहीद हुए । श्री नानाभाई खाँट व कालीबाई का दाह संस्कार गैबसागर के पास सुरपुर ग्राम में किया गया ।
  • डूंगरपुर के श्री गौरी शंकर उपाध्याय द्वारा ‘सेवक’ नामक हस्तलिखित समाचार पत्र निकाला ।
  • डूंगरपुर महारावल ने श्री वीरभद्रसिंह के मुख्यमंत्रित्व में 1 दिसंबर 1947 को एक अंतरिम सरकार का गठन किया । बाद में जनवरी 1948 में श्री गौरी शंकर उपाध्याय के मुख्यमंत्रित्व में एक लोकप्रिय मंत्रिमंडल का निर्माण किया गया ।

16. बाँसवाड़ा प्रजामंडल (27 मई 1945 ) –

  • संस्थापक- भूपेंद्र नाथ त्रिवेदी
  • चिमनलाल मालोत ने 1930 में राजनैतिक चेतना प्रसार हेतु शांतसेवा कुटीर नामक संस्था की स्थापना की तथा ‘सूर्योदय वाहक’ नामक पत्रिका का प्रकाशन भी आरंभ किया ।

17. प्रतापगढ़ प्रजामंडल (1945 ) –

  • संस्थापक- चुन्नीलाल और अमृतलाल पायक ।

18. जैसलमेर प्रजामंडल (15 दिसंबर 1945 ) –

  • संस्थापक – मिठालाल व्यास ।
  • 1915 में सर्वहितकारिणी वाचनालय स्थापित किया गया ।
  • 14 नवंबर 1930 को जैसलमेर में जवाहर दिवस मनाया गया ।

19. झालावाड़ प्रजामंडल (25 नवंबर 1946) –

  • संस्थापक- मांगीलाल भव्य
  • यह राजस्थान का अंतिम प्रजामंडल था ।
  • यह एकमात्र प्रजामंडल था जिसे वहां के शासक नरेश हरिश्चंद्र का समर्थन प्राप्त था ।

महत्वपूर्ण तथ्य :-

  • जीतमल पुरोहित पहले व्यक्ति थे जिन्होंने जैसलमेर में तिरंगा झंडा फहराया ।
  • चुरू में 26 जनवरी 1930 को पंडित चंदनमल बहड़ व स्वामी गोपालदास द्वारा धर्मस्तूप के शिखर पर तिरंगा झंडा फहराया गया ।
  • झालावाड़ में 1947 में लोकप्रिय नारी मंडल की स्थापना हुई ।
  • जौहरी लाल इंदू के साथ मिलकर ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु ने ‘नागरी प्रचारिणी सभा’ की स्थापना की ।

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