pressure ki paribhasha in Hindi

दाब – परिभाषा,मात्रक तथा नियम

आज हम सामान्य विज्ञान में दाब की परिभाषा (Pressure Ki Paribhasha in Hindi) तथा द्रवों में दाब के बारे में जानेंगे, जो आपके आने वाले एग्जाम SSC, RRB, Patwari, आदि में प्रश्न पूछा जाता है ।

Pressure in Hindi (दाब की परिभाषा )

किसी सतह की प्रति इकाई क्षेत्रफल पर कार्य कर रहा बल दाब कहलाता है ।

अर्थात्  दाब (P) = बल/ क्षेत्रफल
P= F/A

क्षेत्रफल जितना बड़ा होगा दाब उतना ही कम होगा और क्षेत्रफल जितना कम होगा दाब उतना ही अधिक होगा ।

दाब का एस आई (SI) मात्रक न्यूटन / मीटर² होता है , जिसे पास्कल (Pa) कहते हैं । यह मात्रक द्रव्यों का विस्तृत अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल के सम्मान में रखा गया है । दाब अदिश राशि है ।

वायुमंडलीय दाब ( Atmospheric Pressure)

पृथ्वी के चारों ओर उपस्थित वायु एवं विभिन्न गैसों के आवरण को वायुमंडल कहा जाता है । वायुमंडल में उपस्थित वायु दाब डालती है जिसे वायुमंडलीय दाब कहा जाता है ।

सामान्यत: वायुमंडलीय दाब वह दाब होता है ,जो पारे के 76 सेंटीमीटर वाले एक कॉलम द्वारा 0°C पर,45° के अक्षांश पर समुंद्र तल पर लगाया जाता है । यह एक वर्ग सेंटीमीटर अनुप्रस्थ काट वाले पारे के 76 सेंटीमीटर लंबे कॉलम के भार के बराबर होता है ।

वायुमंडलीय दाब 10⁵ न्यूटन / मीटर² के बराबर होता है ।

ऊंचाई पर जाने पर दाब कम होता जाता है । उदाहरण :- वायुयान में बैठे यात्री के फाउंटेन पेन से स्याही का रिसना तथा व्यक्ति की नाक से खून का निकलना, साँस लेने में कठिनाई होना आदि ।

वायुमंडलीय दाब को बैरोमीटर से मापा जाता है ।

बैरोमीटर का पाठ्यांक जब एकाएक नीचे गिरता है तो आंधी आने की संभावना होती है ।

बैरोमीटर का पाठ्यांक जब धीरे-धीरे नीचे गिरता है, तो वर्षा होने की संभावना होती है ।

बैरोमीटर का पाठ्यांक जब धीरे-धीरे ऊपर चढ़ता है, तो दिन साफ रहने की संभावना होती है ।

वायुदाब के कारण अगले 100 डिग्री सेल्सियस से कम ताप पर उबलने लगता है ।

द्रवों में दाब ( Pressure in liquids) :-

द्रव पदार्थों का दाब उनके भार के कारण होता है । द्रव के अणु विभिन्न दिशाओं में अनियमित गति करते रहते हैं । इस कारण द्रव के अणु परस्पर तथा बर्तन की दीवारों से टकराते रहते हैं , जिसके कारण बर्तन की दीवार एवं तली एक बल का अनुभव करती है ।

गहराई बढ़ने पर द्रव का दाब बढ़ता जाता है तथा समान गहराई पर द्रव का दाब द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है ।

यदि कोई वस्तु द्रव की सतह से h गहराई पर स्थित है तो उस पर दाब

P= hdg
(जहाँ d द्रव का घनत्व और g गुरूत्वीय त्वरण है )

द्रवों में दाब संबंधी नियम :-

(1) द्रव के किसी बिंदु पर दाब स्वतंत्र तल के बिंदु की गहराई के समानुपाती होता है ।

(2) स्थिर द्रव के भीतर किसी बिंदु पर दाब प्रत्येक दिशा में बराबर होता है ।

(3) स्थिर द्रव में एक ही क्षैतिज तल में स्थित सभी बिंदुओं पर दाब समान होता है ।

(4) किसी बिंदु पर द्रव का दाब द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है ।

द्रव-दाब संबंधी पास्कल के नियम ( Pascal’s Law)

पास्कल के नियम का पहला कथन :- यदि गुरूत्वीय प्रभाव को नगण्य माना जाए , तो संतुलन की अवस्था में द्रव के भीतर प्रत्येक बिंदु दाब समान होता है । यदि गुरूत्वीय प्रभाव को नगण्य न माना जाए , तो समान गहराई पर स्थित सभी बिंदु पर द्रव का दाब समान होता है ।

पास्कल के नियम का दूसरा कथन :- किसी बर्तन में बंद द्रव के किसी भाग पर आरोपित बल , द्रव द्वारा सभी दिशाओं में समान परिमाण में संचारित कर दिया जाता है ।

पास्कल के नियम के आधार पर कई द्रवचालित यंत्र बनाए गए हैं , जैसे- हाइड्रोलिक ब्रेक, हाइड्रोलिक लिफ्ट, हाइड्रोलिक प्रेस ।

गलनांक एवं क्वथनांक पर दाब का प्रभाव

(1) गलनांक पर दाब का प्रभाव – गर्म करने पर जिन पदार्थों का आयतन बढ़ता है , दाब बढ़ाने पर उनका गलनांक बढ़ जाता है । जैसे :- मोम, घी आदि ।

इसके विपरीत गर्म करने पर जिन पदार्थों का आयतन घटता है , दाब बढ़ाने पर उनका गलनांक कम हो जाता है । जैसे :- बर्फ,बिस्मथ,ढलवा लोहा आदि ।

(2) क्वथनांक पर दाब का प्रभाव :- सभी द्रवों का क्वथनांक उनकी खुली सतह पर दाब बढ़ाने से बढ़ जाता है , जैसे – साधारण वायुमंडलीय दाब पर पानी का क्वथनांक 100°C होता है , परंतु यदि दाब को दो गुना कर दिया जाए, तो जल का क्वथनांक लगभग 125°C हो जाता है ।

प्रेशर कुकर के अंदर दाब बढ़ाकर पानी का क्वथनांक बढ़ा देते हैं , जिससे अधिक उष्मा की मात्रा ग्रहण होती है एवं खाना जल्दी पक जाता है ।

नमक मिले पानी का क्वथनांक कम होने के कारण भोजन जल्दी पक जाता है ।

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