सवाई ईश्वरी सिंह व माधोसिंह प्रथम का इतिहास

सवाई ईश्वरी सिंह व माधोसिंह प्रथम का इतिहास

आज हम सवाई ईश्वरी सिंह व माधोसिंह प्रथम का इतिहास की बात करेंगे ।

आमेर के सवाई ईश्वरी सिंह का इतिहास (History of Sawai Ishwari singh in Hindi)

सवाई ईश्वरी सिंह (1743-1750 ई.)

  • सवाई जयसिंह की मृत्यु के बाद उसके जेष्ठ पुत्र ईश्वर सिंह 1743 ई. में जयपुर के राजसिंहासन पर विराजमान हुए ।
  • 1747 ई. को सवाई ईश्वर सिंह ने टोंक में राजमहल की नींव डाली ।

राजमहल का युद्ध :- 1 मार्च 1747 को राजमहल स्थान पर हुए भीषण युद्ध में ईश्वर सिंह के सेना ने अपने सौतेले भाई माधोसिंह की संयुक्त सेना को बुरी तरह पराजित किया । इस विजय की स्मृति में सवाई ईश्वर सिंह ने त्रिपोलिया बाजार में ‘ईसरलाट’ ( वर्तमान सरगासूली) नामक एक ऊँची मीनार का निर्माण करवाया ।

बगरू का युद्ध :- राजमहल के युद्ध में पराजय का बदला लेने के लिए माधोसिंह , मेवाड़ महाराणा जगतसिंह , कोटा महाराव की सेना एवं मराठा सरदार पेशवा बालाजी एवं मल्हार राव होल्कर की सेना के साथ पुन: जयपुर पर आक्रमण हेतु प्रस्थान किया । 1748 में बगरू के युद्ध में ईश्वर सिंह की सेना परास्त हुई ।

सवाई ईश्वर सिंह राजपूताना का एकमात्र शासक था जिसने मराठों के दबाव में 12 दिसंबर 1750 को आत्महत्या कर ली ।

सवाई माधोसिंह प्रथम ( 1750-1758 ई.)

  • महाराजा ईश्वर सिंह के निधन होते ही उनके सौतेले भाई माधोसिंह 10 जनवरी 1751 को जयपुर के शासक बने ।
  • मराठा सरदार जयअप्पा सिंधिया माधोसिंह को धमकाकर उसके साम्राज्य का 1/4 भाग लेना चाहा । 10 जनवरी 1751 को जयपुर में 1500 मराठों की हत्या कर दी गई ।
  • 18 नवम्बर 1759 को माधोसिंह और होल्कर के मध्य कांकोड़ का युद्ध हुआ , जिसमें माधोसिंह की विजय हुई ।
  • सवाई माधोसिंह ने भरतपुर के जाट महाराजा सूरजमल , मुगल सम्राट अहमदशाह एवं अवध के नवाब सफदरजंग के मध्य संधि करवा दी । इसके फलस्वरूप जनवरी 1759 में मुगल सम्राट ने रणथंभौर का दुर्ग माधोसिंह को सौंप दिया । इसके कारण कोटा का शासक शत्रुशाल माधोसिंह से नाराज हो गया ।
  • 30 नवम्बर 1761 को भटवाड़ा का युद्ध में कोटा के महाराजा शत्रुशाल ने जयपुर की सेना को हराया । इस युद्ध में कोटा की सेना का नेतृत्व झाला जालिम सिंह ने किया था ।
  • सवाई माधोसिंह ने 1763 ई. में जयपुर में मोती डूँगरी पर महलों का निर्माण करवाया तथा रणथंभौर दुर्ग से कुछ किमी दूर सवाई माधोपुर कस्बा बसाया ।
  • शील डूँगरी (चाकसू) पर शीतला माता के मंदिर का निर्माण करवाया ।
  • सवाई माधोसिंह की सेना ने भरतपुर के जाट शासक जवाहरसिंह को 1767 ई. के अंत में मांवण्डा के युद्ध में हराया ।
  • 4 मार्च 1768 को सवाई माधोसिंह का निधन हो गया ।
  • सवाई माधोसिंह के निधन के बाद उनके बड़े पुत्र पृथ्वीसिंह को 5 वर्ष की आयु में 7 मार्च 1768 को जयपुर का महाराजा बनाया ।
  • 15 अप्रैल 1778 को महाराजा पृथ्वीसिंह का 15 वर्ष की आयु में निधन हो गया ।
  • इनके शासनकाल में राज्य की अव्यवस्था का लाभ उठाकर माचेड़ी के जागीरदार प्रताप सिंह नरूका ने शेखावाटी, मेवात व जाटों के कुछ प्रदेशों पर अधिकार कर लिया एवं दुर्गों का निर्माण करवा लिया । मुगल बादशाह ने 1775 ईस्वी में उसे रावराजा की उपाधि व शाही मनसब देकर जयपुर से मुक्त एक स्वतंत्र रियासत के शासक के रूप में खिलअत प्रदान कर दी । इस प्रकार जयपुर रियासत से अलग होकर यह स्वतंत्र रियासत अलवर राज्य के नाम से प्रसिद्ध हुई ।

आमेर (Aamer History in Hindi) के कछवाहा वंश के इतिहास में अगली पोस्ट में आमेर के शासक सवाई प्रतापसिंह और उनके उत्तराधिकारी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।

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