महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय का इतिहास

महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय का इतिहास

आज हम महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय (Maharaja Jaswant Singh Second History in Hindi) का इतिहास की बात करेंगे ।

महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय का जीवन परिचय

महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय ( 1873-1895 ई.)

  • जसवंत सिंह महाराजा तख्तसिंह के बड़े पुत्र थे , जो 1 मार्च 1873 को जोधपुर की गद्दी पर बैठे । उनका जन्म 7 अक्टूबर 1837 को अहमदनगर में हुआ था ।
  • महाराजा जसवंतसिंह में 1876 के कलकत्ता दरबार व 1877 के दिल्ली दरबार में भाग लिया ।
  • 1878 में महाराजा ने अजमेर से आबू जाने वाली ‘राजपूताना मालवा रेल्वे‘ की लाइन के लिए जमीन दी ।
  • 8 मई 1879 को महाराजा और अंग्रेजी सरकार के बीच में नमक की संधि हुई । इसके अनुसार डीडवाना, पचपदरा, फलौदी और लूनी के तट की नमक की खानों का ठेका भी अंग्रेज सरकार ने ले लिया ।
  • 13 जुलाई 1882 को ‘कोर्ट-सरदारान‘ नामक अदालत की स्थापना की गई ।
  • 3 मई 1884 को जोधपुर नगर में डॉ. आर्चिबाल्ड एडम्स की निगरानी में म्युनिसिपैलिटी कायम की गई ।
  • महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय ने राज्य में रेल लाइनों का निर्माण कार्य आरंभ करवाया
  • मारवाड़ की नाप की जाकर बीघोड़ी (प्रति बीघा के हिसाब से लगान वसूली की प्रथा ) बाँध दी गई ।
  • बालसमंद बाँध से नहर बनवाई गई ।
  • महारानी विक्टोरिया के 50 वर्ष राज्य कर चुकने के उपलक्ष्य में जोधपुर में 17 फरवरी 1887 को ‘गोल्डन जुबली’ उत्सव मनाया गया ।
  • 20 जनवरी 1888 को मारवाड़ राज्य का इतिहास तैयार करने के लिए ‘तवारीख का महकमा‘ कायम किया गया ।
  • 22 फरवरी 1890 को तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट विक्टर एडवर्ड जोधपुर आए थे ।
  • अप्रैल,1890 में मारवाड़ में पुन: मनुष्य गणना के लिए ‘मर्दुमशुमारी‘ का महकमा खोला गया ।
  • 28 फरवरी 1893 को ऑस्ट्रिया के शहजादे आर्कड्यूक फ्रैंज फर्डिनेंड जोधपुर आए ।
  • 6 मार्च 1895 को जोधपुर में सबसे पहले ‘ट्रेवर कैटल फेयर‘ आयोजित किया गया ।
  • महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय के समय ही राज्य कवि बारहठ मुरारीदान ने ‘यशवंत यशोभूषण‘ नामक अलंकार के ग्रंथ की रचना की थी और महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय ने उसी ‘कविराजा‘ की उपाधि प्रदान की थी ।
  • स्वामी भास्करानंद के यूरोप और अमेरिका में जाकर आर्य समाज के सिद्धांतों का प्रचार करने का सारा खर्च महाराजा ने दिया था ।
  • न्यायालयों को एक ही स्थान पर स्थापित करने के लिए महाराजा के प्रधानमंत्री प्रतापसिंह ने नई ‘जुबली कोटर्स’ (कचहरी) बनाई गई थी ।
  • 11 अक्टूबर 1895 को महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय का देहांत हो गया ।

नन्ही भगतन :- नन्ही भगतन रामपुर की भगतन जाति की एक नृत्यांगना थी, जो अत्यंत रूपवती थी । वह शीघ्र ही महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय के हृदय की स्वामिनी बन गई थी । उस समय सर प्रताप के निमंत्रण पर स्वामी दयानंद सरस्वती जोधपुर आए । स्वामी दयानंद सरस्वती ने नन्ही भगतन का अपमान किया था , इसलिए अपने अपमान का बदला लेने हेतु नन्ही भगतन ने 29 सितंबर 1883 को स्वामी दयानंद सरस्वती के दूध में पिसा हुआ कांच मिला दिया , जिससे 30 अक्टूबर को स्वामी दयानंद सरस्वती का निधन हो गया । नन्ही भगतन का निधन 23 अगस्त 1909 को हुआ ।

जोधपुर राज्य (Jodhpur History in Hindi) के राठौड़ वंश का इतिहास में अगली पोस्ट में जोधपुर के राठौड़ शासक महाराजा सरदारसिंह, सुमेरसिंह, उम्मेदसिंह, हनवन्तसिंह और गजसिंह द्वितीय के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।

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