Mesopotamia Sabhyata in Hindi
मेसोपोटामिया यूनान भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है- दो नदियों के बीच की दूरी । इस देश का आधुनिक नाम इराक है । इस प्रदेश को दजला और फरात नदियाँ सींचती है ।
मेसोपोटामिया को इसकी अर्द्धचन्द्र सी आकृति तथा खेती की दृष्टि से अत्यधिक उर्वर होने के कारण “उपजाऊ अर्द्धचंद्र” भी कहा गया है ।
प्राचीन काल में इस प्रदेश का दक्षिणी भाग सुमेर कहलाता था जो मेसोपोटामिया की सभ्यता का मुख्य केंद्र था । सुमेर के उत्तर-पूर्व की तरफ के भाग बाबुल ( बेबीलोन) तथा अक्वद कहते थे और उत्तर की ऊँची भूमि असीरिया कहलाती थी ।

मेसोपोटामिया के राज्यों का उत्थान और पतन
कालांतर में उत्तर के पर्वतीय प्रदेशों से आए सुमेरियन लोग मेसोपोटामिया में बस गई और उन्होंने एक अत्यधिक समृद्ध सभ्यता का विकास किया ।
सुमेरियन लोगों ने नगर राज्य की सरकार स्थापित की । उर, लगाश, एरेक तथा एरिडू प्रसिद्ध नगर राज्य थे ।
2500 ई.पू. लगभग सागॉन प्रथम ने , जो अक्कद से आया था , सुमेरियन लोगों को जीत लिया ।
सुमेर और अक्कद दोनों राज्यों को मिलाकर उसने एक सुदृढ़ राज्य स्थापित किया , किन्तु 2100 ई. पू. के लगभग ये अक्कादियन लोग भी पराजित हो गए ।
बाबुल या बेबीलोन में एक नए सामी राजवंश का उदय हुआ । बेबीलोन नगर अब इस साम्राज्य की राजधानी बन गया ।
बेबीलोनिया के सबसे प्रसिद्ध सम्राट हम्मूराबी ने विभिन्न नगर राज्यों में होने वाली लड़ाइयों को रोककर तथा समस्त देश में एक जैसे कानून लागू कर एक दृढ़ राज्य स्थापित किया ।
बेबीलोनिया की सभ्यता भी सुमेरियन सभ्यता पर आधारित थी । इसके अनंतर मेसोपोटामिया में असीरियाई लोगों ने अपना साम्राज्य (1100- 612 ई.पू.) स्थापित किया ।
असीरियाई लोगों ने सीरिया, फिलस्तीन, फिनिशिया अभी प्रदेशों को जीतकर विशाल साम्राज्य स्थापित किए ।
इसके बाद काल्डियाई लोगों ने असीरियाई लोगों को पराजित कर एक दूसरे शक्तिशाली बेबीलोनियन साम्राज्य ( 612-539ई.पू.) राज्य का निर्माण किया , किन्तू 539 ई. पू. उन्हें पारसियों के हाथों पराजित होना पड़ा ।
सुमेरिया(3500-2340 ई.पू.) , बेबीलोनिया, असीरिया तथा कोल्डिया की सभ्यताओं को समग्र रूप में मेसोपोटामिया की सभ्यता के नाम से जाना जाता है ।
मेसोपोटामिया सभ्यता की विशेषताएँ –
(1) हम्मूराबी की विधी संहिता –
बेबीलोन के सम्राट हम्मूराबी ने अपनी प्रजा के लिए एक विधि संहिता बनाई थी जो इस समय उपलब्ध सबसे प्राचीन विधि संहिता है । सम्राट ने इसे एक 8 फूट ऊँची पत्थर की शिला पर उत्कीर्ण कराया था । हम्मूराबी का दण्ड विषयक सिद्धान्त यह था कि ” जैसे को तैसा और खून का बदला खून “
(2) मेसोपोटामिया का सामाजिक जीवन –
मेसोपोटामिया सभ्यता में राजा पृथ्वी पर देवताओं का प्रतिनिधि माना जाता था । राजा व राज परिवार के बाद दूसरा स्थान पुरोहित वर्ग का था जो संभवत: राजतंत्र की प्रतिष्ठा से पूर्व शासक रहे थे । मध्यमवर्ग में जमीदार,व्यापारी एवं दुकानदार थे । समाज में दासों की स्थिति सबसे नीचे थी । लगातार युद्ध होते रहने के कारण समाज में सेना का महत्वपूर्ण स्थान था ।
(3) आर्थिक जीवन –
(१) कृषि व पशुपालन – इस सभ्यता के लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि था । वहां के किसान भूमि की जुताई हलों से करते थे और बीज एक कीप द्वारा बोते थे । खेत की सिंचाई के लिए वह नदियों के बाढ़ के पानी को नहर द्वारा ले जाकर बड़े-बड़े बांधों में इकट्ठा कर लेते थे ।
(२) व्यापार व उद्योग – मेसोपोटामिया की सभ्यता मूलत: एक व्यवसायिक सभ्यता थी । वहां देवता का मंदिर एक धार्मिक स्थल ही नहीं एक व्यवसायिक केंद्र भी था । यही सर्वप्रथम बैंक प्रणाली का विकास हुआ । मेसोपोटामिया का भारत की सिंधु– सरस्वती सभ्यता से व्यापारिक संबंध था ।
(4) धार्मिक मान्यताएँ –
मेसोपोटामिया के लोग अनेक देवताओं में विश्वास करते थे । प्रत्येक नगर का अपना संरक्षक देवता होता था । उसे ‘जिगुरात‘ कहते थे जिसका अर्थ है – स्वर्ग की पहाड़ी ।
उर नगर मेसोपोटामिया के सबसे बड़े नगरों में से था । उर नगर में जिगुरात का निर्माण एक कृत्रिम पहाड़ी पर ईंटो से हुआ था । उर के जिगुरात में तीन मंजिल थी और उसकी ऊंचाई 20 मीटर से अधिक थी ।
(5) ज्ञान विज्ञान –
विज्ञान के क्षेत्र में मेसोपोटामिया के लोगों की उपलब्धियां महत्वपूर्ण थी । खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उन्होंने काफी उन्नति कर ली थी । उन्होंने सूर्योदय, सूर्यास्त तथा चन्द्रोदय, चन्द्रोस्त का ठीक समय मालूम कर लिया था । उन्होंने दिन और रात्रि के समय का हिसाब लगाकर पूरे दिन को 24 घंटों में बांटा था । 60 सेकंड का मिनट और 60 मिनट के 1 घंटे का विभाजन सबसे पहले उन्होंने ही किया ।
रेखा गणित के वृत्त को उन्होंने 360-degree में विभाजित करना प्रारंभ किया था । इस तरह मेसोपोटामिया के निवासी विज्ञान और गणित की उन्नत परम्पराओं से अवगत थे ।
(6) स्थापत्य कला –
मेसोपोटामिया के कलाकारों ने मेहराब का भी आविष्कार किया । मेहराब स्थापत्य कला की एक महत्वपूर्ण खोज थी क्योंकि यह बहुत अधिक वजन संभाल सकती थी और देखने में आकर्षक लगती थी ।
(7) कीलाक्षर लीपि –
मेसोपोटामिया की पहली लिपि का विकास सुमेर में हुआ । सुमेरियन व्यापारियों ने अपना हिसाब किताब रखने के लिए कीली जैसे चिन्ह लेखन कला का विकास किया । किसी कूनिफार्म या कीलाक्षर कहते हैं ।