Economic survey 2021-22 in Hindi
केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी 2022 को संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 (Economic survey 2021-22) को पेश करते हुए कहा कि इस वर्ष की आर्थिक समीक्षा का मूल विषय ‘त्वरित दृष्टिकोण’ है , जिसे कोविड-19 महामारी की स्थिति में भारत के आर्थिक क्रियाकलाप के माध्यम से कार्यान्वित किया गया है ।
इस वर्ष की समीक्षा को बदलकर एक पुस्तिका और सांख्यिकीय सारणियों की एक अलग पुस्तिका के रूप में सीमित किया गया है ।
बजट से पहले केंद्र सरकार आर्थिक सर्वेक्षण या इकोनामिक सर्वे (Economic Survey) पेश करती है । इस साल का बजट सत्र 31 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ । उसके बाद वित्त मंत्री ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया ।

क्या होता है इकोनामिक सर्वे ?
- इकोनामिक सर्विस देश के आर्थिक विकास का लेखा-जोखा होता है जिसके आधार पर यह देखा जाता है कि गत 1 वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था किस तरह की रही है ।
- इसके साथ ही अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में फायदे अथवा नुकसान का आकलन भी इस सर्वें में लगाया जाता है । यह वित्त मंत्रालय का प्रमुख वार्षिक दस्तावेज होता है ।
- आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के इकोनॉमिक्स डिवीजन के द्वारा तैयार किया जाता है ।
- मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है । इसको वित्तमंत्री की मंजूरी के बाद ही जारी किया जाता है ।
- इस बार आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन और अन्य अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया है ।
महत्वपूर्ण बिंदु :-
(1) अर्थव्यवस्था की स्थिति :-
- 2020-21 में 7.3 ℅ की गिरावट के बाद 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 9.3% बढ़ने का अनुमान है । 2022-23 में जीडीपी की विकास दर 8-8.5% रह सकती हैं ।
- आईएमएफ ( IMF) के ताजा विश्व आर्थिक परिदृश्य अनुमान के तहत् 2021-22 और 2022-23 में भारत की रियल जीडीपी विकास दर 9% और 2023-24 में 7.1% रहने की संभावना है, जिससे भारत की अगले 3 साल तक दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बनी रहेगी ।
- 2021-22 में कृषि और संबंधित क्षेत्रों के 3.9% ; उद्योग के 11.8% और सेवा क्षेत्र के 8.2% बढ़ने का अनुमान है ।
- माँग की बात करें तो 2021-22 में खपत 7% , सकल स्थायी पूंजी निर्माण (GFCF)15% , निर्यात 16.5% और आयात 29.4% बढ़ने का अनुमान है ।
(2) राजकोषीय मजबूती :-
- 2021-22 बजट अनुमान (2020-21 के अंतिम आंकड़ों की तुलना में ) 9.6% की अनुमानित वृद्धि की तुलना में केंद्र सरकार की राजस्व प्राप्तियां (अप्रैल-नवंबर 2021 ) 67.2% तक बढ़ गई है ।
- सालाना आधार पर अप्रैल- नवंबर 2021 के दौरान सकल कर-राजस्व में 50% से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई ।
- टिकाऊ राजस्व संग्रह और एक लक्षित व्यय नीति से अप्रैल- नवंबर 2021 के दौरान राजकोषीय घाटे को बजट अनुमान के 46.2% के स्तर पर सीमित रखने में सफलता मिली ।
- कोविड-19 के चलते उधारी बढ़ने के साथ 2020-21 में केंद्र सरकार का कर्ज बढ़कर जीडीपी का 59.3% हो गया, जो 2019-20 में जीडीपी के 49.1℅ के स्तर पर था ।
(3) बाह्य क्षेत्र :-
- विदेशी निवेश में निरंतर बढ़ोतरी, सकल बाह्य वाणिज्यक उधारी में बढ़ोतरी , बैंकिंग पूंजी में सुधार और अतिरिक्त विशेष निकासी अधिकार (SDR) आवंटन के दम पर 2021-22 की पहली छमाही में सकल पूंजी प्रवाह बढ़कर 65.6 बिलियन डॉलर हो गया ।
- 2021-22 की पहली छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर से ऊपर निकल गया और यह 31 दिसंबर 2021 तक 633.6 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया ।
- नवम्बर 2021 के अंत तक चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत चौथा सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश था ।
(4) मूल्य तथा मुद्रास्फीति :-
- औसत शीर्ष सीपीआई- संयुक्त मुद्रास्फीति 2021-22 में सुधरकर 5.2℅ हुई, जबकि 2020-21 की इसी अवधि में यह 6.6℅ थी । खुदरा स्फीति में गिरावट खाद्य मुद्रास्फीति में सुधार के कारण आई ।
- 2021 22 (अप्रैल से दिसंबर ) में औसत खाद्य मुद्रास्फीति 2.9℅ के निम्न स्तर पर रही , जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 9.1℅ थी ।
- थोक मूल्य सूचकांक ( WPI) पर आधारित थोक मुद्रास्फीति 2021-22 (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान 12.5℅ बढ़ी । ऐसा निम्नलिखित कारणों से हुआ – (१) पिछले वर्ष में निम्न आधार (२) आर्थिक गतिविधियों में तेजी (३) कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भारी वृद्धि तथा अन्य आयतित वस्तुओं तथा उच्च माल ढुलाई लागत ।
(5) सतत विकास तथा जलवायु परिवर्तन :-
- नीति आयोग SDG इंडिया सूचकांक तथा डैशबोर्ड पर भारत का समग्र स्कोर 2020-21 में सुधरकर 66 हो गया , जबकि यह 2019-20 में 60 तथा 2018-19 में 57 था ।
- फ्रंट रनर्स (65-99 स्कोर) की संख्या 2020-21 में 22 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में बढ़ी, जो 2019-20 में 10 थी ।
- नीति आयोग पूर्वोत्तर क्षेत्र जिला एसडीजी सूचकांक 2021-22 में पूर्वोत्तर भारत में 64 जिले फ्रंट रनर्स तथा 39 जिले परफॉर्मर रहे ।
- भारत, विश्व में 10वां सबसे बड़ा वन क्षेत्र वाला देश है । 2010 से 2020 के दौरान वन क्षेत्र वृद्धि के मामले में 2020 में भारत का विश्व में तीसरा स्थान रहा । 2020 में भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र में कवर किए गए वन 24 प्रतिशत रहे यानी विश्व के कुल वन क्षेत्र का 2% ।
- अगस्त 2021 में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2021 अधिसूचित किए गए , जिसका उद्देश्य 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक को समाप्त करना है ।
- गंगा तथा उसकी सहायक नदियों के तटों पर अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों की अनुपालन स्थिति 2017 के 39% से सुधार कर 2020 में 81% हो गई ।
- प्रधानमंत्री ने नवंबर 2021 में ग्लास्को में आयोजित पक्षों के 26 वें सम्मेलन ( COP-26) के राष्ट्रीय वक्तव्य के हिस्से के रूप में उत्सर्जन में कमी लाने के लिए 2030 तक प्राप्त किए जाने वाले महत्वकांक्षी लक्ष्य की घोषणा की ।
(6) कृषि तथा खाद्य प्रबंधन :-
- पिछले 2 वर्षों में कृषि क्षेत्र में विकास देखा गया । देश के कुल मूल्यवर्धन में महत्वपूर्ण 18.8℅ (2021-22 ) की वृद्धि हुई , इस तरह 2020-21 में 3.6℅ की वृद्धि हुई ।
- 2019-20 में समाप्त होने वाले पिछले 5 वर्षों में पशुधन क्षेत्र 8.15% के सीएजीआर बढ़ रहा है । कृषि परिवारों के विभिन्न समूह में स्थाई आय का साधन रहा है और ऐसे में उन परिवारों की औसत मासिक आय का यह लगभग 15% है ।
(7) उद्योग और बुनियादी ढांचा :-
- अप्रैल-नवम्बर 2021 के दौरान औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक बढ़कर 17.4% हो गया । यह अप्रैल-नवंबर 2020 में (-) 15% था ।
- भारतीय रेलवे के लिए पूंजीगत व्यय 2009-2014 के दौरान ₹ 45,980 करोड़ के वार्षिक औसत से बढ़कर 2020-21 में ₹ 155,181 करोड़ हो गया और 2021-22 में इसे ₹ 215,058 करोड़ तक बढ़ाने का बजट रखा गया है , इस प्रकार इसमें 2014 के स्तर की तुलना में 5 गुना बढ़ोतरी हुई है ।
- वर्ष 2020-21 में प्रतिदिन सड़क निर्माण की सीमा को बढ़ाकर 36.5 किलोमीटर प्रतिदिन कर दिया गया है जो 2019-20 में 28 किलोमीटर प्रतिदिन थी । इस प्रकार इसमें 30.4% की बढ़ोतरी दर्ज हुई है ।
(8) सेवाएँ :-
- समग्र सेवा क्षेत्र जीवीए में 2021-22 में 8.2% की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है । वर्ष 2021-22 की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र में 16.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( FDI) प्राप्त किया जो भारत में कुल एफडीआई प्रवाह का लगभग 54% है ।
- भारत, अमेरिका और चीन के बाद विश्व में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है । नए मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स की संख्या 2021-22 में बढ़कर 14000 से अधिक हो गई है , जो 2016-17 में केवल 735 थी ।
- 44 भारतीय स्टार्ट-अप्स ने 2021 में यूनिकॉर्न दर्जा हासिल किया । यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की कुल संख्या 83 हो गई है और इनमें से अधिकांश सेवा क्षेत्र में है ।
- आर्थिक समीक्षा में इस बात को रेखांकित किया गया है कि वैश्विक सेवा निर्यात में भारत का प्रमुख स्थान रहा । वर्ष 2020 में यह शीर्ष 10 सेवा निर्यातक देशों में बना रहा । विश्व वाणिज्यिक सेवाओं के निर्यात में उसकी भागीदारी वर्ष 2019 में 3.4% से बढ़कर 2020 में 4.1% हो गई ।
(9) सामाजिक बुनियादी ढांचा और रोजगार :-
- 16 जनवरी, 2022 तक कोविड-19 टीके की 157.94 करोड़ खुराक दी जा चुकी है । इसमें 91.39 करोड़ पहली खुराक और 66.05 करोड़ दूसरी खुराक शामिल है ।
- सामाजिक सेवा (स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य ) पर जीडीपी के अनुपात के रूप में केंद्र और राज्यों का व्यय जो 2014-15 में 6.2% था ,वह 2021-22 (बजट अनुमान) में बढ़कर 8.6% हो गया ।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार –
(१) कुल प्रजनन दर 2019-20 में घटकर 2 हो गई जो 2015-16 में 2.2 थी ।
(२) शिशु मृत्यु दर , पाँच साल से कम शिशुओं की मृत्युदर में कमी हुई और अस्पतालों / प्रसव केंद्रों में शिशु के जन्म में 2015-16 की तुलना में 2019- 21 में सुधार हुआ है ।
(10) सामाजिक क्षेत्र पर व्यय :-
- वर्ष 2021-22 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार महामारी के दौरान सामाजिक सेवाओं पर सरकार के खर्च में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है । 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-22 में सामाजिक सेवा क्षेत्र के व्यय आवंटन में 9.8% की वृद्धि दर्ज की गई ।
- आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि केंद्र तथा राज्य सरकारों ने 2021-22 में सामाजिक सेवा क्षेत्र पर खर्च के लिए कुल ₹ 71.61 लाख करोड़ निर्धारित किए । पिछले 5 वर्षों के दौरान कुल सरकारी व्यय में सामाजिक सेवाओं का हिस्सा लगभग 25% रहा
। यह 2021-22 (बजट अनुमान) में 26.6% था।
(11) स्वास्थ्य व शिक्षा पर व्यय :-
- आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया कि स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यय 2019-20 के ₹ 2.73 लाख करोड़ की तुलना में 2021-22 (बजट अनुमान) में बढ़कर ₹ 4.72 लाख करोड़ हो गया । इस तरह इसमें लगभग 73% की बढ़ोतरी हुई ।
- समीक्षा में कहा गया है कि शिक्षा क्षेत्र के लिए समान अवधि में यह वृद्धि 20% की रही ।
(12) बारबेल रणनीति :-
परिवर्तनशील वायरस की नई लहरों, यात्रा प्रतिबंध, आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान और हाल ही में वैश्विक मुद्रास्फीति के चलते पिछले 2 साल दुनिया भर में नीति निर्माण के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण रहे हैं । इन सभी अनिश्चितताओं का सामना करते हुए भारत सरकार ने ‘बारबेल स्ट्रैटेजी‘ का विकल्प चुना , जिसमें समाज/ व्यवसाय के कमजोर वर्गों का प्रभाव को कम करने के लिए सुरक्षा जाल का गठन किया गया ।