राव जैतसिंह व राव कल्याणमल का इतिहास

राव जैतसिंह व राव कल्याणमल का इतिहास

आज हम बीकानेर राज्य के राठौड़ वंश के राव जैतसिंह व राव कल्याणमल का इतिहास की बात करेंगे ।

राव जैतसिंह (1526-1542 ई.)

राव लूणकरण के जेष्ठ पुत्र जैतसिंह (जैतसी) का जन्म 31 अक्टूबर 1489 को हुआ था । अपने पिता के देहांत के बाद जैतसिंह ने राज्य की बागडौर संभाली ।

कामरान से युद्ध ( 26 अक्टूबर 1534)

  • मुगल बादशाह बाबर की मृत्यु होने पर उसके पुत्र कामरान ने लाहौर को अपने अधिकार में कर एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की ।
  • बाबर के पुत्र कामरान ने एक बड़ी सेना के साथ मारवाड़ की ओर रुख किया । उसने सबसे पहले खेतसी को हराकर भटनेर पर अधिकार किया । वहाँ से कामरान की सेना बीकानेर की ओर चली ।
  • उस समय जैतसिंह ने भोजराज रुपावत तथा कुछ भाट्टियों को बीकानेर गढ़ की रक्षा के लिए छोड़ खुद वहां से हट गया । भोजराज रुपावत को मारकर मुगलों ने वहां पर अधिकार कर लिया ।
  • 26 अक्टूबर 1534 को रात्रि के समय मुगलों की सेना पर राव जैतसिंह ने आक्रमण कर दिया । जैतसी मुगलों पर विजय हासिल हुई ।
  • इस युद्ध का विस्तृत वर्णन बीठू सूजा कृत ‘राव जैतसी रो छंद’ ग्रंथ में मिलता है । इस युद्ध का वर्णन ‘जैतसी रो पाधड़ी’ , ‘जैतसी रासो’ और ‘साख के गीतों’ में भी मिलता है । इसके अलावा इस युद्ध की पुष्टि बीकानेर के चिंतामणि श्री चौबीसटाजी के जैन मंदिर के मूलनायक की प्रतिमा के शिलालेख से भी होती है ।

पाहेबा/ साहेबा का युद्ध (1541-42)

  • मारवाड़ के शासक राव मालदेव ने 1541ई. में बीकानेर पर अधिकार करने के लिए कूंपा महराजोत व पंचायण करमसियोत की अध्यक्षता में एक बड़ी सेना बीकानेर भेजी ।
  • साहेबा नामक स्थान पर यह युद्ध हुआ । राव जैतसी वीरता पूर्वक लड़ते हुए 26 फरवरी 1542 को वीरगति को प्राप्त हुए । बीकानेर पर राव मालदेव का अधिकार हो गया ।

राव कल्याणमल (1544-1574 ई.)

  • राव जैतसी के जेष्ठ पुत्र राव कल्याणमल का जन्म सोढी रानी कश्मीरदे से 6 जनवरी 1519 को हुआ ।
  • 1544 में शेरशाह व राव मालदेव के मध्य गिरी सुमेल युद्ध हुआ जिसमें शेरशाह विजय हुआ । राव कल्याणमल भी इस युद्ध में शेरशाह के साथ था ।
  • शेरशाह ने मालदेव को हराकर 1544 में राव कल्याणमल को बीकानेर का शासक बनाया ।
  • बादशाह अकबर 16 नवंबर 1570 को नागौर पहुंचा था । नागौर दरबार में राव कल्याणमल अपने पुत्र कुंवर रायसिंह के साथ उनकी सेवा में उपस्थित हुए । राव कल्याणमल बीकानेर के पहले शासक थे जिन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार की एवं मुगलों से वैवाहिक संबंध स्थापित किए ।
  • राव कल्याणमल की मृत्यु 24 जनवरी 1574 को हुई ।

पृथ्वीराज राठौड़ :-

  • राव कल्याणमल ने अपने छोटे पुत्र पृथ्वीराज राठौड़ को अकबर की सेवा में भेज दिया । वह अकबर के नवरत्नों में से एक था । पृथ्वीराज को राजस्थानी साहित्य में ‘पीथल’ कहा गया ।
  • पृथ्वीराज ने 1580 ई. में डिंगल भाषा में ‘बेलिकिशन रुक्मणी री’ ग्रंथ की रचना की । दुरसा आढ़ा ने इस ग्रंथ को पाँचवा वेद19वाँ पुराण कहा है ।
  • पृथ्वीराज राठौड़ 1581 की मिर्जा हकीम के साथ काबुल की और 1596 में अहमदनगर की लड़ाईयों में अकबर की शाही सेना के साथ था । बादशाह ने इन्हें गागरोन का किला जागीर में दिया । पृथ्वीराज को महाराणा प्रताप पर असीम श्रद्धा थी । पृथ्वीराज राठौड़ का देहांत 1600 ई. में मथुरा में विश्रान्त घाट पर हुआ ।

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