बंगाल पर अंग्रेजों का आधिपत्य

बंगाल पर अंग्रेजों का आधिपत्य । Bangal Par Angrejo ka Adhipatya

ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब

मुगल साम्राज्य के अंतर्गत आने वाले प्रांतों में बंगाल सर्वाधिक संपन्न राज्य था । इस समय बंगाल में आधुनिक पश्चिमी बंगाल प्रांत, समूचा बांग्लादेश,बिहार और उड़ीसा सम्मिलित थे ।

बंगाल के प्रथम स्वतंत्र शासक मुर्शीद कुली खाँ तथा उसके उत्तराधिकारी शुजाउद्दीन और अलीवर्दी खाँ के समय बंगाल इतना अधिक संपन्न हो गया इसे ‘भारत का स्वर्ग’ कहा जाने लगा ।

बंगाल के नवाब ( 1713-1775)

(1) मुर्शीद कुली खाँ (1713-1727)
(2) शुजाउद्दीन (1727-1739)
(3) सरफराज खाँ (1739-1740)
(4) अलीवर्दी खाँ (1740-1756)
(5) सिराजुद्दौला (1756-57)
(6) मीर जाफर (1757-60, 1763-66)
(7) मीर कासिम (1760-1763)
(8) निजामउद्दौला (1765-66)
(9) शैफ उद्दौला (1766-70)
(10) मुबारक उद्दौला (1770-1775)

(1) मुर्शीद कुली खाँ (1713-1727)

  • मुर्शीद कुली खाँ प्रथम स्वतंत्र शासक था , परंतु यह नियमित रूप से मुगल बादशाह को राजस्व भेजता था ।
  • मुर्शीद कुली खाँ ने अपनी राजधानी ढाका के मुर्शीदाबाद ( भागीरथी नदी के तट पर ) स्थानांतरित की ।
  • इसने इजारेदारी प्रथा प्रारंभ की तथा कृषकों को तकाबी ऋण ( खेती के लिए अग्रिम कर्ज) प्रदान किया ।????1727 ई. में मुर्शीद कुली खाँ का निधन हो गया और इसका उत्तराधिकारी इसका दामाद शुजाउद्दीन हुआ ।

(2) शुजाउद्दीन (1727-1739)

  • मुर्शीद कुली खाँ की मृत्यु के बाद उसका दामाद शुजाउद्दीन बंगाल का नवाब बना । ये पहले उड़ीसा का उप-सूबेदार था ।
  • 1732 ई. में बिहार को भी बंगाल में मिला दिया गया ।
  • इसने 1732 ई. में अलीवर्दी खाँ को बिहार का उप-सूबेदार बना दिया ।

(3) सरफराज खाँ (1739-1740)

  • शुजाउद्दीन की 1739 ईसवी में मृत्यु के बाद उसका पुत्र सरफराज खाँ अगला नवाब बना ।
  • इसने हैदरजंग उपाधि धारण की थी ।
  • 1740 ई. में सरफराज और अलीवर्दी खाँ के मध्य हुए गिरिया के युद्ध में सरफराज खाँ पराजित हुआ और उसकी मृत्यु हो गई ।

(4) अलीवर्दी खाँ (1740-1756)

  • 1740 ई. के गिरिया के युद्ध में सरफराज को मारकर बिहार के उप-सूबेदार अलीवर्दी खाँ बंगाल का नवाब बना ।
  • इसमें अपने शासनकाल में मुगलों को राजस्व देना बंद कर दिया ।
  • इसके शासनकाल में बंगाल इतना समृद्धिशाली बन गया कि बंगाल को भारत का स्वर्ग कहा जाने लगा ।
  • इसने अंग्रेजों एवं फ्रासीसियों को कोलकाता एवं चंद्रनगर में किलेबंदी की इजाजत नहीं दी ।
  • मराठों के आक्रमण के कारण अलीवर्दी खाँ को बहुत नुकसान हुआ ।
  • अलीवर्दी खाँ का कोई पुत्र भी नहीं था इसलिए उसने अपनी सबसे छोटी बेटी के पुत्र (अलीवर्दी खाँ का नाती) सिराजुद्दौला को अपना उत्तराधिकारी चुन लिया ।

(5) सिराजुद्दौला (1756-57)

  • अलीवर्दी खाँ के बाद उसका नाती सिराजुद्दौला 10 अप्रैल 1756 को बंगाल का नवाब बना ।
  • सिराजुद्दौला के राजगद्दी के प्रतिद्वंदी और विरोधियों में प्रमुख थे पूर्णिया के नवाब शौकतजंग (चचेरा भाई ) , सिराज की मौसी घसीटी बेगम तथा उसका सेनापति मीरजाफर (अलीवर्दी खाँ का दामाद ) आदि ।
  • अपने विरोधियों के दमन में सिराजुद्दौला ने मौसी घसीटी बेगम को बंदी बना लिया तथा सेनापति मीर जाफर को हटाकर उसके स्थान पर मीरमदान को नियुक्त किया ।
  • 1756 में सिराज ने पूर्णिया के नवाब शौकतजंग के दमन हेतु प्रस्थान किया । अक्टूबर 1756 ईसवी में ‘मनिहारी के युद्ध’ में सिराज ने शौकतजंग को पराजित कर उसकी हत्या कर दी ।
  • 15 जून 1756 को सिराजुद्दौला ने कोलकाता पर अधिकार कर लिया । कोलकाता के गवर्नर ड्रेक को फुल्टा द्वीप में शरण लेनी पड़ी । सिराजुद्दौला ने कलकत्ता का अधिकारी मानिकचंद को बनाया ।
  • रचयिता जेड. हॉलवेल के अनुसार 20 जून 1756 को फोर्ट विलियम के पतन के बाद सिराजुद्दौला ने 146 अंग्रेजों को अंधेरी कालकोठरी में बंदी बना लिया । जिसमें से 23 व्यक्तियों को छोड़कर सारे मारे गए । इस घटना को काल कोठरी की त्रासदी ( Black Hole Tragedy) कहा गया ।
  • मानिकचंद ने घूस लेकर कलकत्ता रॉबर्ट क्लाइव को सौंप दिया । 9 फरवरी 1757 को कंपनी और नवाब सिराज के मध्य अलीनगर की संधि हुई ।
  • फ्रांसीसी बस्ती चंद्रनगर को अंग्रेजों ने मार्च 1757 को जीता ।
प्लासी का युद्ध ( 1757)
➡ प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को अंग्रेजों के सेनापति रॉबर्ट क्लाइव एवं बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच हुआ, जिसमें नवाब अपने सेनापति मीर जाफर की धोखाधड़ी करने के कारण पराजित हुआ । अंग्रेजों ने मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया ।

➡ प्लासी की लड़ाई में मोहनलाल एवं मीर मदान के नेतृत्व में एक छोटी सी सेना नवाब के वफादार रही ।

➡ नवाब की सेना का नेतृत्व तीन राजद्रोही मीर जाफर , यारलतीफ खां और राय दुर्लभ ने की ।

➡ वर्तमान में प्लासी नदिया जिले में स्थित है ।

➡ प्लासी युद्ध के समय आलमगीर द्वितीय मुगल बादशाह था ।

(6) मीर जाफर (1757-60)

  • 30 जून 1757 को रॉबर्ट क्लाइव ने मुर्शिदाबाद में मीर जाफर को बंगाल के नवाब के पद पर आसीन कराया ।
  • इसी समय से बंगाल में कंपनी ने नृप निर्माता की भूमिका की शुरुआत की ।
  • मीर जाफर को ‘कर्नल क्लाइव का गीदड़’ कहा गया ।
  • क्लाइव के हाथों की कठपुतली नवाब मीर जाफर को अंग्रेजों ने 1760 ई. में हटाकर उसके दामाद मीर कासिम को बंगाल का नवाब बनाया ।

(7) मीर कासिम (1760-1763)

  • मीर कासिम ने अपनी राजधानी को मुर्शिदाबाद से मुंगेर स्थानांतरित किया ।
  • मुंगेर में मीर कासिम ने तोपों तथा तोड़ेदार बंदूकों के निर्माण हेतु कारखाने की स्थापना की ।
  • 1763 में मीर कासिम को कंपनी ने बर्खास्त कर मीर जाफर को पुन: बंगाल का नवाब बनाया ।
  • 19 जुलाई 1763 को मीर कासिम और एडम्स के नेतृत्व में करवा नामक स्थान पर ‘करवा का युद्ध’ हुआ , जिसमें मीर कासिम पराजित हुआ ।
  • इसके अलावा गिरिया का युद्ध ( सितंबर 1763 ) और उधौनला का युद्ध (1763 ) में भी मीर कासिम को पराजित होना पड़ा ।
  • अंग्रेजों द्वारा बार-बार पराजित होने के कारण मीर कासिम ने एक सैनिक गठबंधन बनाने की दिशा में प्रयास किया । कालांतर में मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय , अवध के नवाब शुजाउद्दौला और मीर कासिम ने मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध एक सैन्य गठबंधन का निर्माण किया ।
बक्सर का युद्ध ( 1764 )
➡ बक्सर का युद्ध 1764 ईस्वी में अंग्रेजों एवं मीर कासिम ,अवध के नवाब शुजाउद्दौला और मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के बीच हुआ । इस युद्ध में भी अंग्रेज विजय हुए । इस युद्ध में अंग्रेज सेनापति हेक्टर मुनरो था ।

➡ बक्सर के युद्ध के समय बंगाल का नवाब मीर जाफर था ।

(8) निजामउद्दौला (1765-66)

  • 5 फरवरी 1765 को मीर जाफर की मृत्यु के बाद कंपनी ने उसके पुत्र निजामउद्दौला को अपने संरक्षण में बंगाल का नवाब बनाया ।
  • मई,1765 में रॉबर्ट क्लाइव दूसरी बार बंगाल का गवर्नर बनकर आया ।
  • 12 अगस्त 1765 ई. को रॉबर्ट क्लाइव ने मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय से इलाहाबाद की प्रथम संधि की । इसके संधि के तहत कंपनी ने मुगल बादशाह को वार्षिक 26 लाख रुपए देना स्वीकार किया । इस संधि के तहत मुगल बादशाह ने बंगाल, बिहार, उड़ीसा की दीवानी कंपनी को सौंप दी ।
  • रॉबर्ट क्लाइव ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला से 16 अगस्त 1765 को इलाहाबाद की द्वित्तीय संधि की ।

बंगाल में द्वैध शासन

➡ इलाहाबाद की प्रथम संधि के बाद अंग्रेजों को ₹26 लाख वार्षिक देने के बदले ‘दीवानी’ का अधिकार तथा 53 लाख रू० बंगाल के नवाब को देने पर ‘निजामत’ का अधिकार प्राप्त हुआ ।

➡ दीवानी और निजामत दोनों अधिकार प्राप्त कर लेने के बाद ही कंपनी ने बंगाल में द्वैध शासन की शुरुआत की ।

➡ द्वैध शासन का जनक लियो कार्टिस को माना जाता है ।

रॉबर्ट क्लाइव ने 1765 में बंगाल में द्वैध शासन की स्थापना की ।

➡ रॉबर्ट क्लाइव फरवरी 1767 में सदा के लिए भारत छोड़कर चला गया ।

➡ द्वैध शासन के समस ही बंगाल में 1770 ईसवी में भयंकर अकाल पड़ा ।

➡ अकाल के समय कार्टियर बंगाल का गवर्नर था ।

➡ बंगाल में द्वैध शासन 1772 ई. तक चलता रहा ।

(10) मुबारक उद्दौला (1770-1775)

  • बंगाल का अंतिम नवाब मुबारक उद्दौला था ।

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