भारतीय संविधान की अनुसूचियां

भारतीय संविधान की अनुसूचियां (bhartiya samvidhan ki Anusuchiyan)

भारत के मूल संविधान में 8 अनुसूचियां थी परंतु वर्तमान में भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियां हैं । भारतीय संविधान में नौंवी अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन (1951), 10वीं अनुसूची 52वें संविधान संशोधन (1985), ग्यारहवीं अनुसूची 73वें संविधान संशोधन (1993) एवं 12वीं अनुसूची भारतीय संविधान संशोधन (1993) के द्वारा सम्मिलित की गई ।

भारतीय संविधान की अनुसूचियां
भारतीय संविधान की अनुसूचियां

प्रथम अनुसूची : इसमें भारतीय संघ के घटक राज्य ( 28 राज्य) एवं केंद्र शासित (8) क्षेत्रों का उल्लेख है ।

नोट – संविधान के 69वें संशोधन के द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया ।

31 अक्टूबर 2019 को जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आ गये । 26 जनवरी 2020 को दमन व दीव और दादरा व नगर हवेली केंद्र शासित प्रदेशों को एक कर दिया गया है ।

द्वितीय अनुसूची : इसमें भारतीय राजव्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति एवं उपसभापति, विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष , विधान परिषद के सभापति एवं उपसभापति , उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदि ) को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन आदि का उल्लेख किया गया है ।

तृतीय अनुसूची : इसमें विभिन्न पदाधिकारियों ( मंत्री, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ) द्वारा पद ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है ।

चौथी अनुसूची : इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है ।

पाँचवी अनुसूची : इसमें विभिन्न अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में उल्लेख है ।

छठी अनुसूची : इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है ।

सातवीं अनुसूची : इसमें केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे के बारे में दिया गया है तथा इसी अनुसूची में सरकारों द्वारा शुल्क एवं कर लगाने के अधिकारों का उल्लेख है । इसके अंतर्गत तीन सूचियां हैं – संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची ।

(१) संघ सूची – इस सूची में दिए गए विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है । संविधान के लागू होने के समय इसमें 97 विषय थे , परंतु वर्तमान में 100 विषय हैं ।

(२) राज्य सूची – इस सूची में दिए गए विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है । राष्ट्रीय हित से संबंधित होने पर केंद्र सरकार भी कानून बना सकती है । संविधान के लागू होने के समय इसके अंतर्गत 66 विषय थे , परंतु वर्तमान में 61 विषय हैं ।

(३) समवर्ती सूची – इसके अंतर्गत दिए गए विषय पर केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें कानून बना सकती है , परंतु कानून के विषय समान होने पर केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होता है । संविधान के लागू होने के समय समवर्ती सूची में 47 विषय में , परंतु वर्तमान में 52 विषय हैं ।

आठवीं अनुसूची : इसमें भारत की 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है । मूल रूप से आठवीं अनुसूची में 14 भाषाएँ थी परन्तु 21 वां संशोधन (1967) में सिंधी को, 71वां संशोधन (1992) में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली को और 92वां संशोधन ( 2003) में मैथिली, संथाली, डोगरी एवं बोडो को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया ।

नोट -22 भाषाएँ (असमिया , बांग्ला,बोडो,डोगरी,गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली,सिंधी, तमिल, तेलुगू तथा उर्दू )

नौवीं अनुसूची : सविधान में यह अनुसूचि प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम ,1951 के द्वारा जोड़ी गई । इसके अंतर्गत राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है । इस अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है । वर्तमान में इस अनुसूची में 284 अधिनियम हैं ।

नोट -11 जनवरी, 2007 के संविधान पीठ के एक निर्णय द्वारा यह स्थापित किया गया की नौवीं अनुसूची में सम्मिलित किसी भी कानून को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तथा उच्चतम न्यायालय इन कानूनों की समीक्षा कर सकता है ।

दसवीं अनुसूची : यह संविधान में 52वें संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई है । इसमें दल-बदल से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है ।

ग्यारहवीं अनुसूची : यह अनुसूची संविधान में 73वें संशोधन, 1993 के द्वारा जोड़ी गयी है । इसमें पंचायतीराज संस्थाओं को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किए गए हैं ।

बारहवीं अनुसूची : यह अनुसूची संविधान में 74वें संविधानिक संशोधन ,1993 के द्वारा जोड़ी गई है । इसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (नगरपालिका) को कार्य करने के लिए 18 विषय प्रदान किए गये हैं ।

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